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Priyanka Gandhi का हिरासत अनशन

SC ने कहा- ऐसी घटनाओं की कोई नहीं लेता जिम्मेदारी

Priyanka Gandhi कांग्रेस महासचिव ने अपनी अरेस्ट के विरोध में अनशन शुरू कर दिया। लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद सोमवार सुबह प्रियंका को सीतापुर में हिरासत में लिया गया था। प्रियंका व कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत कुछ वरिष्ठ नेता लखीमपुर खीरी जा रहे थे। सुबह करीब पांच बजे उन्हें हिरासत में ले लिया गया। उसके बाद उन्हें पीएसी कैंप में भेज दिया गया। इस दौरान उनका झाड़ू लगाते हुए एक वीडियो भी वायरल हुआ।

सोमवार सुबह प्रियंका को सीतापुर में हिरासत में लिया गया था। प्रियंका व कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत कुछ वरिष्ठ नेता लखीमपुर खीरी जा रहे थे। उसके बाद उन्हें पीएसी कैंप में भेज दिया गया। इस दौरान उनका झाड़ू लगाते हुए एक वीडियो भी वायरल हुआ।

पीटीआई के मुताबिक उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पुलिसकर्मियों पर प्रियंका से धक्का-मुक्की का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव किसानों का दर्द बांटने जा रही थीं। उन्हें इस तरह से रोका जाना अलोकतांत्रिक है। उन्होंने बताया कि प्रियंका ने खुद को रोके जाने के विरोध में पीएसी कैंप कक्ष में अनशन शुरू कर दिया। उनका कहना है कि प्रशासन ने प्रियंका को बहुत गंदे कमरे में रखा। Priyanka Gandhi ने खुद झाड़ू से कमरे को साफ किया।

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर मामले पर कहा कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो कोई भी उनकी जिम्मेदारी नहीं लेता है। एक किसान संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आठ लोगों के मारे जाने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। उसके बाद कोर्ट ने यह टिप्पणी की। संगठन ने याचिका में मांग की है कि उसे जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति दी जाए।

अटार्नी जनरल केॉके वेणुगोपाल ने जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच से कहा कि तीन नए कृषि कानूनों की वैधता को अदालत में चुनौती दी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में इस तरह के प्रदर्शनों पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कल लखीमपुर खीरी में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है।

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा के सिलसिले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। इस हिंसा में आठ व्यक्तियों की मौत हो गई। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला शीर्ष अदालत के समक्ष है तो उसी मुद्दे को लेकर किसी को भी सड़कों पर नहीं उतरना चाहिए।

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