महिला सशक्तिकरण का सम्मान, मनरेगा की 66 प्रतिशत मेट महिलाएं…
– पांच मेट का किया पंचायत मंत्री ने वर्चुअल समारोह में सम्मान
दुर्ग / अनुराग ठाकुर चीचा में और योगेश्वरी साहू मड़ियापार में मेट के रूप में मनरेगा के सफलतापूर्वक संपादन में सहयोग दे रही हैं। इनकी दिव्यांगता इनके कर्तव्यपरायणता में बाधा नहीं बनी। आगे बढ़ने की आजादी के मनरेगा के एक खास कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने इनका सम्मान किया।
इनके साथ ही तीन अन्य मेट भी सम्मानित की गईं जो अपने गांवों में बेहतरीन कार्य कर रही थीं। इनमें लेखन साहू, संतोषी साहू और शीतला निर्मलकर भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले में कुल 2654 मेट कार्यरत हैं जिसमें महिला मेट 1770 कार्यरत हैं और पुरूष मेट 884 हैं इस तरह महिला मेट की भागीदारी 66 प्रतिशत भागेदारी रखती है।
कार्याे की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए इनके द्वारा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनके द्वारा मस्टर रोल का संधारण, दैनिक उपस्थिति, कार्य स्थल पर सुविधाओं का प्रबंधन, कार्यान्वयन का पर्यवेक्षक, मेट माप पुस्तिका का उपयोग, कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है।
इस मौके पर अपने संबोधन में मंत्री सिंहदेव ने कहा कि शासन द्वारा महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में सुनिश्चित की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं को समान अवसर प्रदान किये जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर कार्य हो रहा है। इस अवसर पर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी रिवेन्द्र यादव, सीईओ जिला पंचायत अश्विनी देवांगन भी उपस्थित रहे।
श्रीमती यादव ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं ने रोजगार गारंटी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है और इस महती योजना को सफल बनाने के पीछे नारी शक्ति का बड़ा योगदान है। जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि महिला मेट अपने परिवार के साथ ही मनरेगा के काम को भी पूरे समर्पण भाव से कर रही हैं।
यह बहुत अच्छी बात हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से दो महिलाएं दिव्यांग भी हैं फिर भी अपने कर्तव्य से वे पीछे नहीं हटीं। पूरे समर्पण भाव से अपना काम किया। मनरेगा में महिला मेट की नियुक्ति के बाद से कार्यस्थलों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों की सक्रिय महिलाओं को मनरेगा में मेट के रूप में नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में स्वसहायता समूहों की 1770 महिलाएँ मनरेगा मेट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
गांवों में पहले से ही स्वावलंबन की अलख जगा रही ये महिलाएं बाकी महिलाओं को भी न केवल मनरेगा में रोजगार दिला रही हैं, बल्कि स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार शुरू करने में भी सहायता कर रही हैं।
उन्हें रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़कर आय के स्थाई साधन तैयार कर रही हैं। महिला मेट कार्यस्थलों में महिलाओं की परेशानियों के निदान का भी विशेष ध्यान रखती हैं। उनकी निगरानी में कार्य करने का मौका पाकर महिलाएं मनरेगा कार्यों से ज्यादा संख्या में जुड़ रही हैं।
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