नई दिल्ली

राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी खासे अहम हैं विधानसभा चुनाव परिणाम…

अगर राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी गणित की बात करें तो बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी भूमिका में आ जाएंगे.

नई दिल्ली / पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम लोकसभा चुनाव के लिए ही राजनीतिक दलों की दशा-दिशा तय नहीं करेंगे, बल्कि राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी समीकरण बनाने-बिगाड़ने का काम करेंगे. गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.

ऐसे में भी ये पांच राज्यों के नतीजे तय करेंगे कि किस पार्टी या गठबंधन का प्रत्याशी देश का अगला राष्ट्रपति होगा. फिलवक्त तो भारतीय जनता पार्टी देश के शीर्ष पद पर अपने उम्मीदवार का चुनाव आसानी से करा सकती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में सीटों में मामूली उतार-चढ़ाव भी राष्ट्रपति पद के लिए सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं.

 राष्ट्रपति चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण

 ऐसी किसी भी स्थिति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि तेलंगाना के केसीआर इस मसले पर काफी पहले से ही सक्रिय हो गए थे. उन्होंने मुंबई में उद्धव ठाकरे और शरद पवार से भी मुलाकात की.

अगर राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी गणित की बात करें तो बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी भूमिका में आ जाएंगे. हालांकि केसीआर के अलावा ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल भी अलग-अलग रुख अपनाए हुए हैं.

यूपी निभाता है राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी भूमिका

उत्तर प्रदेश राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. जनसंख्या के मद्देनजर यूपी के एक विधायक के वोट की कीमत सबसे ज्यादा (208) है. राज्य में कुल 403 विधायक हैं. यूपी विधानसभा से वोटों की कुल कीमत 83 हजार 924 है. यह संख्या देश में सबसे ज्यादा है,

जबकि सिक्किम में एक वोट की कीमत सबसे कम (7) है. ऐसे में बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 के साथ-साथ राष्ट्रपति चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में ताकत झोंके रही. यूपी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी आलाकमान ने कई नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दे भविष्य की सियासत पर कदम बढ़ा दिए हैं.

अन्य राज्यों के वोट भी हैं अहम

उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब के विधायक के वोट की कीमत 116, उत्तराखंड की 64, गोवा की 20 और मणिपुर की 18 है. वोटों की इस तरह से गिनती के बाद एनड़ीए की ताकत 50 फीसदी के आंकड़े से थोड़ी ही कम है.

ऐसे में राष्ट्रपति उम्मीदवार की मजबूत दावेदारी के लिए सहयोगी पार्टियों के समर्थन पर निर्भर रहना होगा. गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य होते हैं. खास बात है कि विधान परिषद और नामित सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा नहीं होते.

आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो राज्यसभा के 233, लोकसभा के 543 और विधानसभाओं के 4120 सदस्यों से इलेक्टोरल कॉलेज बनता है. यहां चुनने वालों की कुल संख्या 4896 है.

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