Bangladesh Election 2024: भारत की ‘मित्र’ शेख हसीना चौथी बार बनी बांग्लादेश की पीएम….
Sheikh Hasina wins Gopalganj Seat: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को लगातार चौथा कार्यकाल हासिल किया और उनकी पार्टी अवामी लीग ने हिंसा की छिटपुट घटनाओं तथा मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) एवं उसके सहयोगियों के बहिष्कार के बीच हुए चुनावों में दो-तिहाई सीट पर जीत दर्ज की. हसीना की पार्टी ने 300 सदस्यीय संसद में 200 सीट पर जीत दर्ज की. रविवार को हुए मतदान के बाद मतगणना अब भी जारी है. चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा,”हम अबतक उपलब्ध परिणामों के आधार पर अवामी लीग को विजेता कह सकते हैं लेकिन बाकी निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना खत्म होने के बाद अंतिम घोषणा की जाएगी.”
हसीना ने गोपालगंज सीट से जीता चुनाव
हसीना ने गोपालगंज-3 संसदीय सीट पर फिर से शानदार जीत दर्ज की. उन्हें 2,49,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिले. बांग्लादेश में वर्ष 2009 से हसीना (76) के हाथों में सत्ता की बागडोर है. इसबार, एकतरफा चुनाव में वह लगातार चौथा कार्यकाल हासिल करने वाली हैं. प्रधानमंत्री के रूप में उनका अब तक का यह पांचवां कार्यकाल होगा.
अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादिर ने दावा किया कि लोगों ने मतदान कर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के चुनाव बहिष्कार को खारिज कर दिया है. कादिर ने कहा,”मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने 12वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में मतदान करने के लिए बर्बरता, आगजनी और आतंकवाद के खौफ का मुकाबला किया.” जातीय पार्टी के अध्यक्ष जी. एम. कादिर ने चुनावों में रंगपुर-3 सीट पर जीत दर्ज की.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने बताया कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मतदान लगभग 40 प्रतिशत था, लेकिन इस आंकड़े में बदलाव आ सकता है.
वर्ष 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था. चुनाव में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण मतदान होने के बावजूद, अधिकारियों और मीडिया ने शुक्रवार देर रात से देश भर में कम से कम 18 स्थानों पर आगजनी की घटनाओं की सूचना दी जिनमें से 10 में मतदान केंद्रों को निशाना बनाया गया.
बीएनपी ने किया चुनाव का बहिष्कार
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी के नेताओं ने कहा कि पार्टी मंगलवार से शांतिपूर्ण सार्वजनिक भागीदारी कार्यक्रम के माध्यम से सरकार विरोधी अपने आंदोलन को तेज करने की योजना बना रही है. रविवार को हुए आम चुनावों का बहिष्कार करने वाली बीएनपी ने इसे ‘फर्जी’ करार दिया है.
बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन इसने 2018 में चुनाव लड़ा था. इसके साथ, 15 अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया. पार्टी के नेताओं ने दावा किया है कि चुनाव में हुए कम मतदान से यह स्पष्ट है कि उनका बहिष्कार आंदोलन सफल रहा. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध कार्यक्रमों में तेजी आएगी और इससे लोगों को वोट देने का अधिकार स्थापित होगा.
बीएनपी की इस दौरान 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल जारी है, जो शनिवार सुबह छह बजे शुरू हुई थी और सोमवार सुबह छह बजे खत्म होगी. पार्टी ने मतदाताओं से चुनाव से दूर रहने का आह्वान किया था ताकि इसे “फासीवादी सरकार” के अंत की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जा सके.
इससे पहले, निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं के अलावा, 300 में से 299 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा. एक उम्मीदवार के निधन के कारण एक सीट पर मतदान बाद में कराया जाएगा.
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मतदान शुरू होने के तुरंत बाद ढाका सिटी कॉलेज मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला. इस दौरान उनकी बेटी साइमा वाजिद भी उनके साथ थीं.
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी बीएनपी-जमात-ए-इस्लामी गठबंधन लोकतंत्र में यकीन नहीं रखता है. उन्होंने कहा, ‘‘लोग अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करेंगे और हम मतदान का माहौल पैदा कर पाए. हालांकि, बीएनपी-जमात गठबंधन ने आगजनी समेत कई घटनाओं को अंजाम दिया.’’
हसीना ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा कि भारत, बांग्लादेश का ‘‘भरोसेमंद मित्र’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत सौभाग्यशाली हैं…भारत हमारा भरोसेमंद मित्र है. मुक्ति संग्राम (1971) के दौरान, 1975 के बाद उन्होंने न केवल हमारा समर्थन किया, जब हमने अपना पूरा परिवार- पिता, मां, भाई, हर कोई (सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था और केवल हम दो (हसीना और उनकी छोटी बहन रिहाना) बचे थे…उन्होंने हमें शरण भी दी. इसलिए हम भारत के लोगों को शुभकामनाएं देते हैं.’’
सैन्य अधिकारियों ने अगस्त 1975 में शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में ही हत्या कर दी थी. उनकी बेटियां हसीना और रिहाना उस हमले में बच गयी थीं, क्योंकि वे विदेश में थीं.
यह पूछने पर कि बीएनपी के बहिष्कार के कारण यह चुनाव कितना स्वीकार्य है, इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी लोगों के प्रति है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं. इसलिए मैं उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकार्यता की परवाह नहीं करती हूं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवादी दल क्या कहता है या क्या नहीं कहता है.’’
देश में जो 27 राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल है. बाकी सत्तारूढ़ अवामी लीग की अगुवाई वाले गठबंधन के सदस्य हैं जिसे विशेषज्ञों ने ‘‘चुनावी गुट’’ का घटक दल बताया है.
देश के निर्वाचन आयोग के अनुसार, 42,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ. चुनाव में 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं और उनके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं.
भारत के तीन पर्यवेक्षकों समेत 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक 12वें आम चुनाव की निगरानी करेंगे.
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