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ब्याज दर में बदलाव नहीं : 6.50% पर बना रहेगा रेपो रेट, महंगे नहीं होंगे लोन….

नई दिल्ली। अगर होम लोन और कार लोन की बढ़ती ईएमआई से आपके कंधे झुक गए हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की पहली बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। अभी भी रेपो रेट की दर 6.50% ही रहेगी। इससे आपके होम और कार लोन की EMI नहीं बढ़ेगी, क्योंकि बैंक अब ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं करेंगे। बता दें कि बैठक से पहले ये अनुमान लगाया जा रहा था कि RBI 0.25% रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। आरबीआई के इस ऐलान से बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। सुबह जब बाजार खुला था तब नुकसान में था। अभी ग्रीन में आ गया है।

RBI ने बैठक में कही ये बात

  1. अमेरिका में बैंकों के विफल होने से वित्तीय संकट मुद्दा बना है।
  2. भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगा।
  3. अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने के लिये हमने नीतिगत दर को यथावत रखा है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से कदम उठाएंगे।
  4. बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है।
  5. आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  6. वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। महंगाई अभी भी बनी हुई है।
  7. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई 5.2 प्रतिशत रहेगी।
  8. पहली तिमाही में यह 5.1 प्रतिशत पर होगी।
  9. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई में नरमी आएगी।
  10. महंगाई को कम करने के लिए जरूरी सभी प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। बता दें कि रेपो रेट में बदलाव करने से आम जनता पर असर कैसे पड़ता है, उसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

पिछले साल कब-कब बढ़ी ब्याज दर 

  1. मई – 0.4 %
  2. 8 जून -0.5 %
  3. 5 अगस्त – 0.5 %
  4. 30 सितंबर – 0.5 %
  5. 7 दिसंबर – 0.35 %
  6. 8 फरवरी – 0.25%

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