संविधान बचाने का संकल्प और विरोध प्रदर्शन
संविधान दिवस के अवसर पर, संयुक्त श्रम संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। दुर्ग जिले के सुपेला, भिलाई में घड़ी चौक पर दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक प्रदर्शन किया गया। इस दौरान महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टर के माध्यम से सौंपा गया।
संविधान की प्रस्तावना का पाठ और संकल्प
प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और इसे बचाने का संकल्प लिया। प्रदर्शन में सीटू, एटक, एक्टू, एचएमएस, स्टील वर्कर्स यूनियन और लोइमू जैसे संगठनों ने भाग लिया।
प्रमुख मांगें
ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें शामिल थीं:
- चार श्रम कोड रद्द करें: मजदूरों के हित में चार श्रम कोड को समाप्त किया जाए।
- ठेकाकरण और आउटसोर्सिंग पर रोक: स्थायी रोजगार की गारंटी दी जाए।
- राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और पेंशन लागू करें: ₹26,000 प्रतिमाह वेतन और ₹10,000 पेंशन सुनिश्चित करें।
- निजीकरण रोकें: रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद हो।
- मनरेगा में सुधार: 200 दिन का काम और ₹600 प्रतिदिन मजदूरी सुनिश्चित हो।
- वंचित वर्गों की सुरक्षा: दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव खत्म करें।
- किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी: सभी फसलों के लिए MSP लागू करें।
वक्ताओं के विचार
प्रदर्शन को विजय जागड़े, विनोद कुमार सोनी, बृजेन्द्र तिवारी, नंद किशोर गुप्ता, अशोक मिरी, त्रिलोक मिश्रा, अशोक पंडा, शमीम कुरैशी, कलादास डहारिहा और अर्चना ध्रुव ने संबोधित किया। उन्होंने सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताते हुए संविधान और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता की अपील की।
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