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16 फरवरी को ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद’ का आह्वान किया किसान मोर्चा ने, मजदूर-कर्मचारी हड़ताल को दिया समर्थन…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठनों ने मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर 16 फरवरी को ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बंद’ का आह्वान किया है। संयुक्त मोर्चा ने इसी दिन ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान पर होने वाली मजदूरों और कर्मचारियों की हड़ताल का भी समर्थन करने का निर्णय लिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति की बैठक के बाद आज यहां जारी एक बयान में मोर्चा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण बंद का आयोजन फसलों के सी-2 लागत का डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य देने, सभी गरीब किसानों को बैंकिंग और साहूकारी कर्ज से मुक्त करने, बिजली क्षेत्र के निजीकरण और स्मार्ट मीटर लगाने की परियोजना पर रोक लगाने जैसे अखिल भारतीय मुद्दों के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर रोक लगाने, हसदेव के जंगलों का विनाश रोकने, बस्तर में आदिवासियों पर हो रही राज्य प्रायोजित हिंसा पर रोक लगाने, एसईसीएल सहित अन्य उद्योगों में अधिग्रहण प्रभावित लोगों को नौकरी देने तथा मानवीय सुविधाओं के साथ भूविस्थापितों का पुनर्वास करने, मनरेगा, पेसा और वनाधिकार कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करने जैसे राज्य स्तरीय मुद्दे और जन समुदाय की स्थानीय मांगों को केंद्र में रखकर किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदेश के किसानों से 16 फरवरी को ग्रामीण बंद के दिन दुकानें और मंडियां बंद कर, पूरे गांव की गतिविधियों को रोक कर और बड़े पैमाने पर स्थानीय प्रदर्शन में शामिल होकर को बंद को सफल बनाने की अपील की है। बैठक में बंद को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में पर्चा वितरण, ग्रामीण बैठकों और नुक्कड़ सभाओं के जरिए सघन जन संपर्क अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को ही ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा आहूत मजदूरों और कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल का समर्थन किया है। यह हड़ताल 26,000 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन निर्धारित करने, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, रेलवे, रक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और सभी तबकों के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी मांगों पर आयोजित की जा रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इन मांगों का समर्थन करते हुए कहा है कि मजदूरों और किसानों के संयुक्त संघर्षों के कारण ही  भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की दमनकारी और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ़ एमएसपी, रोजगार, न्यूनतम मजदूरी, ऋण माफी और गरीबी सहित लोगों की आजीविका के मुद्दे राजनीतिक विमर्श के मुद्दे बने हैं। आने वाले दिनों में इस एकता और संघर्ष को और मजबूत किया जाएगा, ताकि कॉर्पोरेटपरस्त सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करके आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों, संविधान और इसमें निहित मूल्यों और सद्भाव व भाईचारे की रक्षा की जा सकें।

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