छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

सिलिका रिडक्शन प्लांट के प्रदर्शन सुधार पर सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र की दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ…

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र की आयरन ओर कॉम्प्लेक्स-खानों द्वारा सिलिका रिडक्शन प्लांट (एसआरपी) की उत्पादकता एवं विश्वसनीयता में सुधार के उद्देश्य से “प्रदर्शन सुधार कार्यशाला” का आयोजन 05 व 06 मई 2025 को भिलाई निवास में किया जा रहा है।

कार्यशाला का शुभारंभ कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एस. मुखोपाध्याय द्वारा 05 मई 2025 को दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) ए.के. चक्रवर्ती, कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) प्रवीण निगम, कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार, कार्यपालक निदेशक (माइन्स) बी.के. गिरी, कार्यपालक निदेशक (संकार्य) राकेश कुमार,

मुख्य महाप्रबंधक (सीईटी, रांची) जितेन्द्र सलूजा, मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं) अनुराग उपाध्याय एवं उन्मेश भारद्वाज, मुख्य महाप्रबंधक (खान, आईओसी राजहरा)  आर.बी. गहरवार, मुख्य महाप्रबंधक (माइन्स) अनुपम बिष्ट, तथा अध्यक्ष (सेफी एवं ओए-बीएसपी) एन.के. बंछोर भी उपस्थित थे।

इस कार्यशाला में भिलाई इस्पात संयंत्र की माइन्स विभाग के महाप्रबंधकों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मियों के साथ-साथ एनएमडीसी, एलएंडटी, आईआईएमटी (IIMT), एनएमएल, वेसटेक इंजीनियरिंग, मेट्सो, वियर मिनरल्स, ज्योति पंप्स, एरीज़ तथा एबीबी जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित खनन एवं अभियांत्रिकी संगठनों से लगभग 50 प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
दो दिवसीय यह कार्यशाला संयंत्र के विभिन्न परिचालन सेक्शन्स में विशेष रूप से सिलिका रिडक्शन प्लांट एवं उससे जुड़ी उपयोगिताओं की दक्षता, विश्वसनीयता एवं लागत प्रभावशीलता को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।

कार्यशाला में तकनीकी मूल्यांकन, समस्या समाधान सत्र, विक्रेताओं से संवाद एवं सामूहिक मंथन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। प्रतिभागी प्रतिनिधि अपने तकनीकी प्रस्तुतियों में सिलिका रिडक्शन प्लांट से जुड़ी दीर्घकालिक तकनीकी चुनौतियों और परिचालन सुधारों के लिए अपनी रणनीतियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एस. मुखोपाध्याय ने अपने संबोधन में संसाधनों के सतत उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “हमारे उत्पादन लक्ष्यों के साथ-साथ धरती माँ द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग भी हमारी जिम्मेदारी है। नई खदानें अनवरत खोलना व्यावहारिक नहीं है, अतः मौजूदा खदानों से अधिकतम निष्कर्षण आवश्यक है – और इसमें सिलिका रिडक्शन प्लांट की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

श्री मुखोपाध्याय ने यह भी कहा कि डिज़ाइनरों, सलाहकारों एवं विभिन्न हितधारकों के सहयोग से एस आर पी की स्थापना होने के बावजूद अब तक वांछित परिणामों की पूर्ण प्राप्ति नहीं हो सकी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला प्रक्रिया एवं उपकरणों में सुधार, विक्रेता-समन्वित अनुरक्षण व्यवस्था और उत्पादकता बढ़ाने हेतु संरचित कार्ययोजना हेतु दिशा प्रशस्त करेगी।

कार्यक्रम के आरम्भ में अपने स्वागत भाषण में बी.के. गिरी ने कहा कि इस्पात उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें लौह व अन्य अयस्क की गुणवत्ता एवं उसमें उपस्थित सिलिका तथा गैंग जैसी अवांछनीय अशुद्धियाँ गुणवत्ता एवं लागत को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा, “राजहरा खदानों में कच्चे माल में सिलिका की मात्रा बढ़ने के कारण विभागीय रणनीति बनाना और उसे इस मंच के माध्यम से क्रियान्वित करना समय की मांग है।

” उन्होंने वास्तविक परिणामों हेतु पायलट परियोजनाओं की पहचान एवं उन्हें क्रियान्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन उप महाप्रबंधक (एच आर – एल एंड डी) श्री मुकुल सहारिया द्वारा किया गया।

यह कार्यशाला संस्थागत प्रतिनिधियों, सब्जेक्ट विशेषज्ञों एवं तकनीकी सहयोगियों को एक मंच पर लाकर प्रमुख चुनौतियों पर केंद्रित विचार-विमर्श एवं समाधान की दिशा में प्रयासरत है। कार्यशाला के सत्र वरिष्ठ संयंत्र अधिकारियों द्वारा संचालित पैनल चर्चाओं के रूप में आयोजित किए गए हैं।

जिनमें समाधान प्रदाताओं का सहयोग भी प्राप्त है। कार्यशाला के दूसरे दिन उपकरणों की विश्वसनीयता, अनुरक्षण अनुकूलन और परिचालन निरंतरता पर गहन चर्चा होगी, जिसमें विशेष ध्यान सिलिका रिडक्शन प्लांट पर केंद्रित रहेगा।

संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे

https://jantakikalam.com.

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button