लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीते दो दिनों से दोनों प्रमुख अलायंस के भीतर बैठकों का दौर जारी है. स्पष्ट बहुत के साथ एनडीए ने सरकार बनाने की पहल कर दी है. हालांकि, बहुमत से पीछे रह गए इंडिया ब्लॉक ने अभी तक सरकार नहीं बनाने से पूरी तरह इनकार नहीं किया है. ऐसे में 100 फीसदी भरोसे के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि अगली सरकार एनडीए की ही बन रही है. ऊपर से इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने अपने बयानों से इस पूरी कवायद में भी थोड़ा सस्पेंस पैदा कर दिया है.
इंडिया ब्लॉक के कुछ साथी सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के पक्षधर हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम शिवसेना उद्धव गुट के नेता उद्धव ठाकरे का है. ठाकरे ने बुधवार को इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले ही कहा था कि हमें सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहिए. क्योंकि पूर्व में पीएम नरेंद्र मोदी ने टीडीपी नेता एन. चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार के साथ ठीक नहीं किया है. हालांकि, बयान देने के बाद ठाकरे इंडिया ब्लॉक की बैठक में नहीं आए थे. उनकी जगह संजय राउत ने बैठक में भाग लिया.
नीतीश-नायडू पर डोरे डालने की कोशिश
दरअलस, 234 सीटों पर अटके इंडिया ब्लॉक को बहुतम के लिए कम से कम 38 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. मौजूदा वक्त में एनडीए के साझेदार टीडीपी और जेडीयू के आने के बाद भी इनके पास बहुमत नहीं आएगा. टीडीपी के 16 और जेडीयू के 12 सांसद हैं. इन दोनों के आ जाने के बावजूद इंडिया ब्लॉक को 10 और सांसदों की जरूरत पड़ेगी.
संभवतः यही कारण है कि इंडिया ब्लॉक के सबसे बड़े दल कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इशारे-इशारे में कहा कि हमें अभी इंतजार करना होगा. सबसे पहले तो नायडू और नीतीश को पाला बदलना होगा. उसके बाद ही आगे कोई संभावना बनेगी. यही कारण है कि खरगे ने इंडिया ब्लॉक की ओर से जारी बयान में कहा कि देश की जनता ने भाजपा और मोदी को तगड़ा झटका दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि हम उचित समय पर उचित कदम उठाएंगे. उनका इशारा साफ था कि इंडिया ब्लॉक अभी फिलहाल सरकार बनाने का दावा नहीं करेगा लेकिन उसकी नजर बनी रहेगी. अगर एनडीए के भीतर कोई खटपट होता है तो इंडिया ब्लॉक उस मौके को लपकने से पीछे भी नहीं हटेगा. एनडीए की अगली सरकार में दो नेता नायडू और नीतीश सबसे ताकतवर होकर उभरे हैं.
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे