‘दिल को तेरी चाहत पर भरोसा बहुत, लेकिन तेरे…’ नीतीश पर क्यों फिट है ये शायरी…
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पटनाः मशहूर शायर अहमद फराज का एक शेर है, ‘दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता.’ ये शायरी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिल्कुल फिट बैठती है. हालांकि ये हमारा दावा नहीं है. बल्कि उनके राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड ये कहते हैं.
दरअसल, राजनीति में उलटफेर का सिलसिला कभी थमता नहीं है और थम जाए तो फिर राजनीति से रोचकता खत्म सी हो जाती है और यही एक बार फिर इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद देखने को मिल सकता है.
क्योंकि जनता का जनादेश इस बार किसी को भी पूर्ण रूप से नहीं मिला है. हालांकि एनडीए ने 272 का जादुई आकड़ा पार करते हुए 293 सीटों पर जीत तो हासिल कर ली है. लेकिन इसके सबसे करीबी घटक दलों में से एक जेडीयू, जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं, उनको लेकर एक बार अटकलें लगाई जाने लगी हैं.
सोशल मीडिया पर तो नीतीश कुमार को लेकर बहार है. हर कोई इसपर चर्चा कर रहा है. यहां तक की मीम बनाने वाले भी जमकर मीम बना रहे हैं. विपक्ष अटकलें लगा रहा है और इस कोशिश में है की नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारें. हालांकि चुनावी जनसभा में पीएम मोदी की मौजूदगी में नीतीश कुमार ने कहा था कि अब हम कहीं नहीं जाएंगे, आपके साथ ही मिलकर काम करेंगे.
इस दौरान पीएम मोदी मंच पर खूब मुस्कराए थे. लेकिन ये राजनीति है बाबू, यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है. सदियों पुराना दुश्मन दोस्त हो सकता है और लंबे समय की दोस्ती दुश्मनी में बदल सकती है.
विपक्ष को नीतीश कुमार से आस बहुत है. क्योंकि उनका रिकॉर्ड भी ऐसा रहा है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि नीतीश कुमार ने कब-कब बीजेपी का दामन छोड़ा है. नीतीश कुमार की चर्चा इसलिए है, क्योंकि इस वक्त देश की राजनीति उनके ईर्द-गिर्द घूम रही है. इसी साल बिहार में नीतीश कुमार ने महागठबंधन, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और सीपीआई शामिल थी. उसका साथ छोड़ते हुए बीजेपी का दामन थामा था.
जानें कब-कब छोड़ा एनडीए का साथ
- अगस्त 2022 में एनडीए से रिश्ता तोड़ते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि वो मरना पसंद करेंगे लेकिन उनके यानी कि बीजेपी के साथ लौटना पसंद नहीं करेंगे. वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नीतीश कुमार के लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं. हालांकि 2024 में नीतीश कुमार फिर बीजेपी में लौट आए थे.
- साल 2000 में 3 मार्च को पहली बार नीतीश कुमार शपथ लेकर सीएम बने थे. उस दौरान नीतीश समता पार्टी में थे. हालांकि सरकार महज सात दिन ही चली थी. इस दौरान भाजपा का समर्थन उन्हें हासिल हुआ था.
- साल 2005 में 24 नवंबर को नीतीश कुमार ने भाजपा-जदयू के गठबंधन में राजग (एनडीए) की सरकार बनाई. नीतीश कुमार फिर सीएम बने.
- नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2010 को एक बार फिर सीएम पद की शपथ ली. उनकी यह सरकार भी बीजेपी-जदयू के गठजोड़ वाली थी. एनडीए के साथ यह उनकी तीसरी पारी थी. हालांकि 2015 में 22 फरवरी को नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू की सरकार का गठन किया और सीएम बने.
- 2015 में ही 10 महीने बाद नीतीश कुमार फिर सीएम बन गए. लेकिन इस बार उन्होंने लालू यादव की पार्टी राजद के साथ मिलकर सरकार बनाई और ये पहली बार हुआ था. जब लालू यादव के साथ मिलकर सरकार बनाए हों.
- 2017 में 26 जुलाई को एक बार फिर राजद को छोड़कर राजग के साथ सरकार बनाई थी. सत्ता में जदयू-भाजपा शामिल रहीं. एनडीए की यह सरकार महज ढाई साल चली थी. 2020 में फिर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई. लेकिन दो साल बाद ही उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़ दिया और राजद का दामन पकड़ लिया और 2024 में फिर राजद का साथ छोड़ते हुए बीजेपी का दामन फिर से थाम लिया.
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