छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

विश्व जल दिवस 2024 पर ‘द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया’, भिलाई शाखा द्वारा व्याख्यान का आयोजन…

भिलाई स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया द्वारा शनिवार 13 अप्रैल 2024 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित “शांति हेतु जल” विषय पर एक तकनीकी व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डी एन शर्मा, क्षेत्र प्रमुख , पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर एवं विशिष्ट अतिथि वक्ता चैतन्य वेंकटेश्वर, महाप्रबंधक, (सेंटर फॉर इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी), सेल भिलाई थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुनीत चौबे, चेयरमैन, द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा ने की।

कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत भाषण में विषय के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की भिलाई शाखा के मानसेवी सचिव बसंत साहू ने कहा की जल के बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष चुने गए विषय “वाटर फाॅर पीस” के माध्यम से विभिन्न समुदायों और राष्ट्रों के बीच व्याप्त संघर्ष और तनाव को बेहतर जल प्रबंधन के माध्यम से दूर करने के उद्देश्य से और इस विषय पर सभी हित धारकों का ध्यान आकृष्ट करने हेतु किया है।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर डी एन शर्मा ने कहा कि पूरा जीवन और मनुष्य के शरीर की सारी प्रक्रिया पानी पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण पृथ्वी पर जो अनाज उपजता है से लेकर हमारी अर्थव्यवस्था जल के माध्यम से चल रही है। बिना जल के कोई भी उद्योग संचालित हो ही नही सकता मात्रा कम या अधिक हो सकती है। श्री शर्मा ने भिलाई इस्पात संयंत्र की उत्पादन प्रक्रिया से लेकर छत्तीसगढ़ में स्थापित ताप ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन में लगने वाले जल की मात्रा पर प्रकाश डाला।

श्री शर्मा ने विश्व जल दिवस की थीम पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कुछ दिनों पूर्व स्थानीय अखबार में भिलाई के कोहका के एक वार्ड में पानी की मांग को लेकर लगभग २५० महिलाओं के धरना देने की खबर छापी थी| उन्होंने कहा की जल से जुडी तकलीफ के बारे में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में लगातार अनेक समाचार आते रहते है| श्री शर्मा ने कहा की अनेक राज्यों एवं राष्ट्रों के मध्य भी जल को लेकर विवाद और तनाव की स्थिति बनी हुई है।

उदहारण स्वरुप उन्होंने तमिलनाडु और कर्णाटक के बीच कावेरी जल विवाद, भारत पाकिस्तान के बीच सिन्धु जल समझौता का विवाद, भारत चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी का विवाद जैसे राज्यों एवं राष्ट्रों के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद और तनाव की स्थिति बनी हुई है | उन्होंने बताया की ऐसा माना जा रहा है की चौथा विश्व युद्ध भी जल को लेकर होगा| उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पानी को लेकर तनाव एवं विवाद हैं।

डी एन शर्मा ने कहा कि समग्र एवं उचित जल प्रबंधन के द्वारा ही जल को लेकर व्याप्त तनाव एवं विवादों को समाप्त किया जा सकता है| उन्होंने कहा की विशाल बाँध जब तक अनिवार्य न हों उनका निर्माण नहीं होना चाहिए क्योंकि उसकी वजह से भी मानव जाती एवं जीव जंतुओं पर तनाव एवं विस्थापन का खतरा होता है।  उन्होंने अविभाजित दुर्ग जिले के बेरला विकास खंड में जलग्रहण मिशन के तहत किये गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा की स्थानीय स्तर पर छोटे छोटे प्रयासों से जल संरक्षण के क्षेत्र में चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं |

विशिष्ट अतिथि वक्ता चैतन्य वेंकटेश्वर, महाप्रबंधक, सेंटर फॉर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सेल ने जल से जुड़े तथ्यों और उपयोग विषय पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया की पूरी पृथ्वी पर उपलब्ध पानी का मात्र 1 प्रतिशत जल पीने योग्य है। चैतन्य ने जल गुणवत्ता पैरामीटर एवम उद्योग में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के जल जैसे डी एम वाटर, सॉफ्ट वाटर, रॉ वाटर, चिल्ड वाटर आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज से 100 वर्ष पूर्व जितना जल उपलब्ध था आज भी उतना ही जल है, परंतु आबादी के विस्तार, औद्योगिकरण, तीव्र एवम अनियमित शहरीकरण, कृषि उपयोग में बढ़ोतरी, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण आदि वजहों से पानी के स्वरूप में बदलाव आया है और पीने योग्य उपयोगी जल की मात्रा में कमी आ गई है।

श्री वेंकटेश्वर ने भारत सरकार द्वारा जल से संबंधित लिए गए निर्णयों, राष्ट्रीय जल नीति, नमामि गंगे योजना, नदी संरक्षण योजना, केंद्रीय जल आयोग एवम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जल संरक्षण, प्रबंधन एवं गुणवत्ता से जुड़ी जानकारी साझा की। उन्होंने इस्पात निर्माण प्रक्रिया में पानी के विभिन्न प्रकार के उपयोग जैसे उपकरणों को ठंडा करना, वाष्प की उत्पत्ति, धूल के नियंत्रण आदि और तत्पश्चात उसके निष्पादन की प्रक्रिया बताई।  चैतन्य ने भिलाई इस्पात संयंत्र के द्वारा जल प्रबंधन हेतु बनाए गए पाइपलाइन एवम लगभग 75 पंप हाउस के विशाल नेटवर्क को सविस्तार समझाया। उन्होंने जल संरक्षण हेतु सेल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उठाए गए निर्णायक कदम, जल के पुनर्चक्रण और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के बारे में हो रहे प्रयासों की जानकारी साझा की।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पुनीत चौबे, चेयरमैन, द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा ने कहा कि भूजल की निकासी, जल के भंडारण, उपयोग, संरक्षण, ट्रीटमेंट, रीसाइक्लिंग और जल से जुड़ी लगभग सभी गतिविधियों में अभियंताओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है। श्री चौबे ने कहा कि इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के सही उपयोग से ही आज बांध निर्मित हुए, जल विद्युत गृह निर्मित हुए, नहर बनी, जल उपचार संयंत्र बने, उद्योग में अनुकूल उपयोग हुआ, दूषित जल के उपचार संयंत्र निर्मित हुए, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बने।

इस नाते इंजीनियरिंग समुदाय से जल चक्र का बहुत बड़ा और अटूट नाता है। उन्होंने अभियंता समुदाय से आह्वान किया कि पृथ्वी पर मानव जीवन के अस्तित्व को जारी रखने वाले इस घटक के उपयोग एवम संरक्षण में हमे अपनी भूमिका पूरे मनोयोग से अदा करनी होगी। पुनीत चौबे ने युवा अभियंताओं से कहा कि आपको आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण और दूषित जल के पुनरुपयोग की दिशा में और अधिक कार्य करने की जरूरत है ताकि हम प्राकृतिक जल संसाधनों पर अपनी निर्भरता कम कर सकें।

इस अवसर पर लघु उद्योग भारती के यू एस गुप्ता, शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय, रायपुर से प्रोफेसर श्वेता चौबे, संस्था के पूर्व अध्यक्ष पी के तिवारी, बी पी यादव, शिखर तिवारी, पूर्व सचिव डा नागेंद्र त्रिपाठी, कार्यकारणी सदस्य अरविंद रस्तोगी, श्रीमती बोन्या मुखर्जी, वी के श्रीवास्तव, संजीव सोनी, डा सुप्रिया, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा के सम्मानित सदस्यगण, भिलाई इस्पात संयंत्र, सेल सी ई टी, एन टी पी सी रायपुर के वरिष्ठ अधिकारी, बी आई टी दुर्ग एवम शैक्षणिक संस्थानों के संकाय सदस्य एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सिद्धि चौबे ने किया एवम आभार प्रदर्शन अजय साहू ने दिया।

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