Ashish Mishra Lakhimpur 3 दिन पुलिस रिमांड पर, 14 दिन की कस्टडी कोर्ट ने की खारिज
एसआईटी का कहना है कि पूछताछ के दौरान आशीष मिश्रा सहयोग नहीं कर रहा है। इसी वजह से एसआईटी आशीष को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है। फिलहाल आशीष के मोबाइल की जांच कराई जा रही है। पुलिस देख रही है कि इसमें से कोई डाटा या डिटेल से छेड़छाड़ तो नहीं की गई है।
Ashish Mishra Lakhimpur को कोर्ट ने तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। हालांकि एसआईटी ने उन्हें 14 दिन के रिमांड पर भेजने की अपील कोर्ट से की थी, लेकिन अदालत ने माना कि फिलहाल तीन दिन उनसे पुलिस हिरासत में पूछताछ की जाए। कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
आशीष मिश्रा की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। तकनीकी कारणों से थोड़ी देर के लिए सुनवाई रुक गई थी। एसआईटी ने आशीष से पूछताछ के लिए उसका 14 दिन का रिमांड मांगा। मामले में दोपहर दो बजे से सुनवाई होनी थी। व्यवधान दूर होने के बाद दोपहर ढाई बजे दोबारा सुनवाई शुरू की गई। आशीष को शनिवार देर रात गिरफ्तार किया गया था। 12 घंटे की पूछताछ के बाद वह अरेस्ट हुआ था।
एसआईटी का कहना है कि पूछताछ के दौरान आशीष मिश्रा सहयोग नहीं कर रहा था। इसी वजह से एसआईटी आशीष को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है। फिलहाल आशीष के मोबाइल की जांच कराई जा रही है। पुलिस देख रही है कि इसमें से कोई डाटा या डिटेल से छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। इसके अलावा आशीष की राइफल की भी फारेंसिंक जांच कराई जा रही है। पुलिस ने मौके से जली हुई थार कार से दो मिस कारतूस बरामद किए थे। अब उन कारतूसों के असलहे की तलाश पुलिस कर रही है। राइफल की फारेंसिक जांच में मालूम चलेगा कि इसका कब से प्रयोग नहीं हुआ।
आशीष मिश्रा की अरेस्ट को लेकर योगी सरकार और यूपी पुलिस पर तीखे हमले हो रहे थे। आरोप लग रहे थे कि पिता के रुतबे के चलते उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। एक दिन पहले तक वह पुलिस के सम्मन का जवाब देने की जहमत भी नहीं उठा रहे थे। शुक्रवार को पुलिस अफसर तीन घंटे तक उनका इंतजार करता रहा लेकिन वह नहीं पहुंचे। दूसरी तरफ यूपी पुलिस का रवैया भी संदेहजनक था। पुलिस ने आशीष को गवाह के तौर पर नोटिस भेजा था न कि आरोपी की तरह से।
गौरतलब है कि लखीमपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी तल्ख टिप्पणी की थी। उसके बाद सरकार हरकत में आई। आशीष की अरेस्ट को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अदालत ने सरकार को हिदायत दी गई थी कि वह इस बात की परवाह न करे कि आरोप किस पर हैं बल्कि कानून के तहत काम करे। कोर्ट ने कहा था कि क्या दूसरे मामलों में पुलिस आरोपी को तुरंत अरेस्ट नहीं करती है।