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पॉलिटेक्निक कॉलेज के निकट: शहीद हेमू कालाणी की मूर्ति का लोकार्पण….

दुर्ग / शहर के नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत पॉलिटेनिक कॉलेज के करीब वार्ड 29 मे शहीद हेमू कालाणी की मूर्ति का लोकार्पण आज पूज्य सिंधी जरनल पंचायत,दुर्ग द्वारा स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी अमर शहीद हेमू कालाणी स्मारक का लोकार्पण समारोह 28 जनवरी को सुबह 11 बजे से रखा गया।जिसका कार्यक्रम पॉलिटेक्निक कॉलेज के सामने किया गया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि विधायक गजेंद्र यादव ने सभापति राजेश यादव व आयुक्त लोकेश चन्द्राकर,लोक कर्म प्रभारी अब्दुल गनी,पार्षद नरेश तेजवानी की मौजूदगी में अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया।

विधायक ने कहा अमर शहीद हेमू कालाणी में राष्ट्रवाद की भावना का संचार बचपन मे हो गया था। समारोह कार्यक्रम के अवसर पर पूर्व महापौर आरएन वर्मा,एमआईसी भोला महोविया,पार्षद देवनारायण चन्द्राकर,पार्षद विजेंद्र भारद्वाज,अरवींद्र खुराना,पूज्य सिंधी पंचायत के पदाधिकारीगण मौजूद रहें।सिंधी पंचायत में अखण्ड भारत की आजादी में योगदान देने वाले अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा शहर में लगाने के लिए काफी प्रयास किए गए जो सपना देखा था वो आज हकीकत में बदलते देख कर समाज में खुशी की लहर है।

बता दे कि निर्माण कार्य हेतु विधायक गजेंद्र यादव ने निर्माण कार्य के लिए 8 लाख की स्वीकृति प्रदान की एवं महापौर धीरज बाकलीवाल के अनुशंसा पर नगर पालिक निगम द्वारा पॉलिटेक्निक कॉलेज के निकट शहीद हेमू कालाणी की मूर्ति के लिए 12 लाख स्वीकृति की गई थी एवं पूर्व विधायक अरुण वोरा के निधि से निर्माण कार्य हेतु 8 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई थी।

कार्यक्रम इस अवसर के मौके पर मौजूद कुलदीप सिंह,आसन दास मोहतानी, महेशगणेशाती, निवालरतनानी, जशनमल पंजवानी,बादत्त भावनानी, सुरमुख गोदवाली, भरविंदर सिंह रहराता- सिख्ख समाएं,धर्मदास बगा, राम सिंधीपंचायत,टेकनदास पुलवाती सिंधी पंचायत रायपुर नाग, संचालन श्रीचंद लेखपानी के अलावा आदि मौजूद रहें। इस दौरान विधायक गजेंद्र यादव ने कहा कि हेमू कालाणी देश के लिए शहीद होने वाले सबसे कम उम्र के क्रांतिकारीयो मे से एक थे 19 वर्ष की आयु में उन्हें अंग्रेजी हुकूमत के आदेश पर फांसी दी गई थी उन्होंने सक्खर पुल मे पटरी की फिश प्लेट खोलकर गिराने का काम कर रहे थे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया ,जब जेलर उनसे अपने साथियों का पुछते थे तो वे अपने साथियों का नाम उनके हाथो मे हथोड़ा और पाना बताया करते थे।

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