छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

रावघाट खदान क्षेत्र के कृषकों के लिए ‘मिलेट’ की खेती के प्रशिक्षण का कार्यक्रम….

भिलाई – रावघाट खदान क्षेत्र में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत किसानों की आजीविका सृजन, स्वरोजगार एवं आय वृद्धि के उद्देश्य से एक उल्लेखनीय पहल की गई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, नारायणपुर के माध्यम से क्षेत्र के किसानों को लघु धान्य फसलों जैसे रागी, कोदो, कुटकी आदि की वैज्ञानिक खेती कराई जा रही है।

इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक कृषि पद्धतियों को वैज्ञानिक तरीके से उन्नत करना है। रावघाट क्षेत्र में कृषि लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। किसान परंपरागत तरीकों से धान, रागी, कोदो, कुटकी एवं मक्का जैसी खरीफ फसलों की खेती करते हैं। लेकिन बदलते पर्यावरण और आर्थिक जरूरतों को देखते हुए अब लघु धान्य फसलें (मिलेट्स) किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।

रावघाट खदान क्षेत्र के कृषकों के लिए 'मिलेट' की खेती के प्रशिक्षण का कार्यक्रम....

ये फसलें कम लागत, कम पानी की आवश्यकता, प्रतिकूल मौसम में सहनशीलता और कीट-रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं। साथ ही, मिलेट्स का पोषण मूल्य भी अत्यधिक है। इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फॉस्फोरस और रेशा भरपूर मात्रा में होता है, जिससे ये मधुमेह, रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए बेहद लाभदायक मानी जाती हैं।

भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा चयनित 189 किसानों की सहमति से 250 एकड़ भूमि पर मिलेट्स की खेती कराई जा रही है। इसके लिए 17 और 18 जून 2025 को कृषि विज्ञान केंद्र, नारायणपुर में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें किसानों को उन्नत खेती तकनीकों की जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण के उपरांत किसानों को उन्नत किस्म के रागी के बीज का वितरण किया गया। इसके पश्चात कृषि वैज्ञानिकों द्वारा खेत में ही वैज्ञानिक पद्धति से बुवाई का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। फसल के पकने के बाद उसकी कटाई तथा प्रोसेसिंग भी कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा कराई जाएगी। इसके बाद मिलेट को बाजार में बेचने हेतु मार्केट लिंकेज की जानकारी भी किसानों को प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा रागी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा भी की गई है, जिससे किसानों को बाजार में बेहतर दर मिल सकेगी। यह पहल रावघाट क्षेत्र के किसानों के लिए आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो सतत कृषि विकास को बढ़ावा देगा।

भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा नारायणपुर क्षेत्र में कृषकों और आम नागरिकों के विकास के समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। युवाओं के लिए तकनीकी कुशलता के लिए उडीसा में और वाहन चालक प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम भी किये गये है।

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