संयंत्र के ऑक्सीजन प्लांट-2 में मॉक ड्रिल, संयुक्त मॉक ड्रिल में ऑक्सीजन रिसाव की स्थिति में आपात प्रतिक्रिया का सफल प्रदर्शन…

भिलाई/ सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के ऑक्सीजन प्लांट-2 (ओपी-2) स्थित तरल ऑक्सीजन टैंक-1 में एक संभावित खतरनाक स्थिति—तरल ऑक्सीजन रिसाव—की परिकल्पना पर आधारित एक व्यापक संयुक्त मॉक ड्रिल का आयोजन 19 मई 2025 को किया गया। यह मॉक ड्रिल राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) तथा बीएसपी के विभिन्न विभागों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य औद्योगिक दुर्घटनाओं, विशेष रूप से क्रायोजेनिक पदार्थों से जुड़ी आपात स्थितियों में तैयारियों और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का परीक्षण करना था।
19 मई 2025 के प्रातः काल लगभग 10:30 बजे, “प्रिपरेटरी मॉक ड्रिल गतिविधि” के अंतर्गत, यांत्रिक समूह के छह कर्मी तरल ऑक्सीजन टैंक-1 के सिलेंडर फिलिंग पंप में एसएस यूनियन से रिसाव की शिकायत पर ब्रेकडाउन अनुरक्षण कार्य में संलग्न थे। अनुरक्षण के दौरान, लोकल वाल्व बंद करने के पश्चात जब एसएस यूनियन को ढीला किया जा रहा था, तो फ्लैंज पैकिंग को क्षति पहुँची, जिससे अचानक और अनियंत्रित रूप से तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) का रिसाव होने लगा।
रिसाव की चपेट में आए चार कर्मियों को संभावित कोल्ड बर्न का खतरा उत्पन्न हुआ। -183 डिग्री सेल्सियस तापमान वाली तरल ऑक्सीजन के रिसाव से गंभीर कोल्ड बर्न तथा उच्च ऑक्सीजन वातावरण में लंबे समय तक रहने पर गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं और अग्नि जोखिम की आशंका रहती है। तरल ऑक्सीजन का रिसाव एक गंभीर दुर्घटना को जन्म दे सकता था।
जैसे ही रिसाव हुआ, यांत्रिक कर्मचारियों ने तत्काल चेतावनी दी और पास में कार्यरत विद्युत कर्मियों ने घटना की सूचना ओपी-2 के शिफ्ट मैनेजर को दी। स्थिति का आकलन कर आपात प्रोटोकॉल सक्रिय किए गए। सहायक प्रबंधक (ओपी-2) हेमंत कुमार अमरिया, जो घटनास्थल की निगरानी कर रहे थे, ने इंसिडेंट कंट्रोलर की भूमिका निभाते हुए आपातकालीन सायरन बजाया एवं महाप्रबंधक (ओपी-2) मोहम्मद नदीम खान को सूचना दी,
जिन्होंने वर्क इन्सिडेंट कंट्रोलर की भूमिका में मुख्य महाप्रबंधक (यूटिलिटीज) जे पी सिंह, चीफ इन्सिडेंट कंट्रोलर, को सूचित किया। इसके बाद तत्काल निकासी आदेश जारी किए गए और ओपी-2 कंट्रोल रूम द्वारा सभी आपात एजेंसियों को संदेश भेजा गया। घटना की सूचना 11:22 बजे दर्ज की गई और 11:28 बजे आपातकालीन सायरन बजाया गया और सभी सम्बंधित एजेंसियों को सूचना दी गयी। सीआईएसएफ की टीम पहुँची और क्षेत्र की घेराबंदी कर अनधिकृत प्रवेश को रोका एवं वाहन संचालन नियंत्रित किया।
अन्य विभागीय एवं बाह्य एजेंसियाँ जैसे कि एसईडी, सिविल डिफेंस, पर्यावरण प्रबंधन, गैस सुरक्षा, एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीमें भी 11:35 बजे के बीच पहुँच गईं और स्थिति पर तत्काल नियंत्रण करने और फाल्ट को दुरुस्त करने का प्रयास किया गया। स्थिति पर नियंत्रण पाते ही “ऑल क्लियर” सायरन 11:52 बजे बजाया गया।
इस संयुक्त मॉक ड्रिल का प्रत्यक्ष अवलोकन उपखण्ड दण्डाधिकारी (भिलाई नगर) हितेश पिस्दा, कार्यवाहक मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (सेवाएँ) पी आर भल्ला, मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (यांत्रिक एवं उपयोगिताएँ) बी के बेहरा, मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (यूटिलिटीज) अनिल कुमार जोशी, कमांडेंट (सीआईएसएफ) अभिजीत कुमार, उप कमांडेंट (एनडीआरएफ) पवन जोशी, एवं उप कमांडेंट (एसडीआरएफ) नागेन्द्र कुमार सिंह ने किया।
ड्रिल के पश्चात आयोजित डी-ब्रीफिंग सत्र में हितेश पिस्दा ने समुचित सूचना आदान-प्रदान एवं समन्वय की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इसके बाद एक पोस्ट-ड्रिल समीक्षा बैठक मानव संसाधन विकास विभाग के सभागार में पी आर भल्ला की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में बी के बेहरा, अनिल कुमार जोशी, अभिजीत कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं) देबदत्त सतपथी, मुख्य महाप्रबंधक (शॉप्स) एच के सचदेव, जे पी सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
महाप्रबंधक (एसईडी) एवं नोडल अधिकारी एस आर शेंडे ने सभी प्रतिभागियों की सराहना करते हुए बैठक की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा महाप्रबंधक (एसईडी) पी एम राजेन्द्र कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। संयंत्र की सुरक्षा संरचना की संपूर्ण कार्यकुशलता और विभिन्न एजेंसियों के बीच सुचारू समन्वय को यह मॉक ड्रिल एक बार पुनः सफलतापूर्वक दर्शाने में सक्षम रही।
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