सेंट्रल यूरोप में ये है हमारा जिगरी दोस्त, मगर 45 साल से कोई PM नहीं गया हाल जानने, मोदी लेंगे सुध!
नई दिल्ली- 45 वर्षों से कोई भारतीय प्रधानमंत्री पोलैंड नहीं गया, लेकिन दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते अच्छे हैं. इतने अच्छे कि सेंट्रल यूरोप में आने वाले तमाम देशों से अगर तुलना की जाए तो पोलैंड के साथ द्विपक्षीय (बाय-लिटरल) व्यापार सबसे अधिक है. 4 दशक से भी अधिक समय के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के दौरे पर होंगे.
इस दौरे से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में एक नई गर्मजोशी आने की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21-23 अगस्त तक पोलैंड और यूक्रेन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह विजिट नई दिल्ली और वारसॉ के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर भी आयोजित हो रही है.
पोलैंडर से व्यापार का बड़ा हिस्सा कपड़ा, रसायन, मशीनरी, और कृषि उत्पादों पर केंद्रित है. इसके साथ ही पोलैंड भारत को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और रक्षा उपकरण निर्यात करता है. भारत और पोलैंड के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं, जो पिछले 5 वर्षों में और भी सशक्त हुए हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि देखने को मिली है. 2017-18 में जहां द्विपक्षीय व्यापार 2.36 बिलियन डॉलर था, वहीं 2021-22 में यह बढ़कर 3.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
साल दर साल ट्रेड के आंकड़े
2017-18: 2.36 बिलियन डॉलर
2018-19: 2.77 बिलियन डॉलर
2019-20: 2.94 बिलियन डॉलर
2020-21: 2.80 बिलियन डॉलर
2021-22: 3.4 बिलियन डॉलर
कौन किसे क्या भेजता है?
भारत से पोलैंड: कपड़ा, रसायन, खाद्य उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, और इंजीनियरिंग वस्तुएं.
पोलैंड से भारत: मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण, रसायन, और कृषि आधारित उत्पाद.
उज्ज्वल नजर आता है भविष्य
भारतीय प्रधानमंत्री के 45 साल बाद पोलैंड दौरे से दोनों देशों के बीच डिफेंस, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है. यह यात्रा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकती है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और भी गहरी हो सकती है, जिससे भारत और पोलैंड दोनों को लाभ होगा. दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर बोलते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, “डिफेंस सहयोग काफ़ी पुराना है. हमारे बीच रक्षा सहयोग पर एक समझौता है, जिस पर 2003 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसमें कंस्ल्टेशन और जॉइंट वर्किंग फॉर्मेट का प्रावधान है. भारत ने हाल ही में वारसॉ में दूतावास में रक्षा विंग को फिर से खोला है.”
आखिरी बार कौन-से प्रधानमंत्री गए थे पोलैंड?
आखिरी बार 1979 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पोलैंड का दौरा किया था. इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत और पोलैंड के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना था. दोनों देशों ने व्यापार, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की थी. कृषि, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्रियल डेवपलमेंट जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी को लेकर बातचीत हुई. यह दौरा शीत युद्ध के दौर में भारत और पोलैंड के संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था.
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