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थैलेसीमिया: लक्षण, बचाव और जांच – जानें खून से जुड़े इस जेनेटिक बीमारी के बारे में…

थैलेसीमिया खून से जुड़ा एक जेनेटिक बीमारी है, जिसमें असामान्य हीमोग्लोबिन बनता है. हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो शरीर की सेल्स तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है. थैलेसीमिया में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जिससे खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है.

नोएडा स्थित न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा के अनुसार इस बीमारी के बारे में जागरूकता और समय पर डायग्नोस बेहद जरूरी है. आइए डॉ. विज्ञान मिश्रा से थैलेसीमिया के लक्षण, कारण, बचाव और जांच के तरीकों को विस्तार से समझते हैं.

थैलेसीमिया के लक्षण

थकान: खून में ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने के कारण थकान महसूस होना.
कमजोरी: एनीमिया और रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम होने से शरीर में कमजोरी आ जाती है.
पीली स्किन: एनीमिया का एक आम लक्षण है.
सांस लेने में तकलीफ: शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
चेहरे की हड्डियों में दिक्कत: गंभीर मामलों में, खासकर बच्चों में चेहरे की हड्डियों में असामान्यताएं देखी जा सकती हैं.

थैलेसीमिया के कारण

थैलेसीमिया हीमोग्लोबिन उत्पादन को नियंत्रित करने वाले जीनों में उत्परिवर्तन के कारण होता है. ये जीन दोषपूर्ण होने पर शरीर असामान्य हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, जिससे रेड ब्लड सेल्स का निर्माण प्रभावित होता है.

थैलेसीमिया से बचाव

जिन परिवारों में थैलेसीमिया का पारिवारिक इतिहास है, उन्हें आनुवांशिक परामर्श लेकर जोखिम को समझना चाहिए.
पारिवारिक इतिहास वाले दंपत्तियों के लिए जन्मपूर्व जांच यह पता लगा सकती है कि क्या भ्रूण में थैलेसीमिया जीन मौजूद है.
पीजीडी में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के दौरान भ्रूणों की थैलेसीमिया जीन के लिए जांच की जाती है.

थैलेसीमिया के जांच तरीके

कम्प्लीट ब्लड काउंट(सीबीसी): रेड ब्लड सेल्स की मात्रा और गुणवत्ता का पता लगाता है.

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस: खून में मौजूद विभिन्न प्रकार के हीमोग्लोबिन की पहचान करता है, जिसमें असामान्य रूप भी शामिल हैं.

आनुवांशिक जांच: थैलेसीमिया के लिए जिम्मेदार विशिष्ट आनुवांशिक उत्परिवर्तन की पहचान करता है.

आयरन की जांच: खून में आयरन के स्तर को निर्धारित करता है, जो थैलेसीमिया और आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया में अंतर करने में मदद करता है.

अस्थि मज्जा बायोप्सी: थैलेसीमिया की गंभीरता का आकलन करने और उपचार की प्रभावशीलता की निगरानी के लिए किया जा सकता है.

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