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बीजेपी का अभेद्य किला है रायपुर, हर बार चेहरे बदलकर जमीन तलाश रही कांग्रेस…

Raipur Lok Sabha Election 2024: रायपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सीटों में से एक मानी जाती है। रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है और राजधानी होने से यह प्रदेश की वीआईपी सीट मानी जाती है। रायपुर लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रहा है। यह पार्टी का अभेद्य किला है। भाजपा ने इस सीट पर 8 बार विजयश्री हासिल है। बीजेपी के दिग्गज नेता रमेश बैस सात बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में बीजेपी के सुनील सोनी सासंद हैं।

रायपुर लोकसभा सीट का दिलचस्प इतिहास रहा है। पिछले 20 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। वर्ष 1952 में यह सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी। साल 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। बाकी के कुछ सालों को छोड़ दें तो यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है। करीब तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी आसीन है।

साल 1996 से 2019 तक रमेश बैस लगातार सांसद रहे। लोकसभा चुनाव 2024 में रमेश बैस ने कांग्रेस के सत्यनारायण शर्मा को शिकस्त दी थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील कुमार सोनी ने जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे को हराया था। यहां पर कांग्रेस को अपनी जमीन तलाशने के लिए लगातार मेहनत कर रही है। उसे हर बार अलग-अलग चेहरे चुनावी मैदान में उतारने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी को यह सीट बरकरार रखने की चुनौती है।

रायपुर लोकसभा सीट की नौ विधानसभा सीटों में प्रचार चरम पर है। इस बार पार्टी ने सीटिंग एमपी सुनीली सोनी का टिकट काटकर मौजूदा स्कूल शिक्षा मंत्री और 8 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल को चुनावी रण में उतारा है। दूसरी कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से विधायकी का चुनाव हार चुके विकास उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है।

8 बार के विधायक हैं बृजमोहन अग्रवाल

बीजेपी ने रायपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद सुनील कुमार सोनी का टिकट काटकर उनकी जगह 8 बार के विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। बृजमोहन रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से लगातार विधायकी का चुनाव जीतते आ रहे हैं। हर बार मंत्री पद पर आसीन रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ बीजेपी की राजनीति में संकटमोचन कहा जाता है। बृजमोहन अग्रवाल अविभाजित मध्य प्रदेश में पटवा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसके बाद वो रमन सरकार के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे। एक मई 1959 को रायपुर में जन्मे बृजमोहन अग्रवाल ने एलएलबी की डिग्री ली है।

मध्य प्रदेश विधानसभा में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी मिल चुका है। साल 1977 में बृजमोहन ने मात्र 16 साल की उम्र में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ली थी। इसके बाद वर्ष 1981 और 1982 के दौरान वे छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। 1984 में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली। फिर 1988 से 1990 तक वे भाजयुमो के युवा मंत्री रहे। साल 1990 में पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक के लिये निर्वाचित हुए। उस दौरान वो राज्य के सबसे युवा विधायक थे। इसके बाद वे लगातार साल 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 2018 और 2023 में विधायक बने।

पहली बार सांसदी का चुनाव लड़ रहे विकास उपाध्याय

विकास उपाध्याय पहली बार रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वर्ष 2018 में वो पहली बार रायपुर पश्चिम से विधायक बने। तीन बार के बीजेपी विधायक रहे राजेश मूणत को हराया था। विधानसभा चुनाव 2023 में राजेश मूणत ने उन्हें हराकर इस सीट पर कब्जा कर लिया।

विकास उपाध्याय वर्ष 1998 में एनएसयूआई रायपुर जिले के ब्लॉक अध्यक्ष रहे। वर्ष 1999 में रायपुर जिले के एनएसयूआई जिला अध्यक्ष बने। साल 2004 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने। साल 2006 में एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव बने। वर्ष 2009 में युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव बनाए गये। साल 2010 में युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बने। वर्ष 2013-2018 तक रायपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे।

नौ विधानसभा सीटों का गणित –

       विधानसभा   –  विधायक

  • बलौदाबाजार-टंकराम वर्मा (भाजपा)
  • भाटापारा- इंद्रकुमार साव (कांग्रेस)
  • धरसींवा-अनुज शर्मा (भाजपा)
  • रायपुर शहर पश्चिम-राजेश मूणत (भाजपा)
  • रायपुर शहर उत्तर-पुरंदर मिश्रा (भाजपा)
  • रायपुर शहर दक्षिण-बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा)
  • रायपुर ग्रामीण-मोतीलाल साहू (भाजपा)
  • अभनपुर- इंद्रकुमार साहू (भाजपा)
  • आरंग-गुरु खुशवंत सिंह साहेब (भाजपा)

चुनावी मुद्दे

  • कृषि
  • शहरी विकास
  • रोजगार
  • पलायन
  • सड़क
  • नल-जल
  • बिजली
  • मकान
  • मूलभूत सुविधायें

जातीय गणित

रायपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल नौ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें बलौदाबाजार, भाटापारा, धरसीवां, रायपुर ग्रामीण, रायपुर शहर पश्चिम, रायपुर शहर दक्षिण, रायपुर शहर उत्तर, आरंग और अभनपुर विधानसभा सीट शामिल हैं। इन नौ सीटों पर बीजेपी विधायकों का कब्जा है। रायपुर लोकसभा सीट पर एससी और ओबीसी की बहुलता है।

साहू, कुर्मी और सतनामी समाज के वोटर्स बड़े पैमाने पर हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन तीनों जातियों के वोटर्स की संख्या 8 लाख से ज्यादा है। साल 2011 जनगणना के मुताबिक, इस सीट पर 3.6 लाख से अधिक अनुसूचित जाति (ST) के वोटर हैं जबकि अनुसूचित जनजाति (ST) वोटर्स की संख्या 1.28 लाख के करीब हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 88 हजार के करीब हैं। इस सीट पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे और 4 जून को नतीजे आएंगे।

रायपुर लोकसभा चुनाव 2019 का रिजल्ट

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने इस सीट पर बहुत बड़ी जीत दर्ज की थी। बीजेपी उम्मीदवार सुनील सोनी ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे को 3 लाख 48 हजार 238 वोटों से हराया था। सुनील सोनी को 8 लाख 37 हजार 902 वोट मिले थे। वहीं प्रमोद दुबे ने 4 लाख 89 हजार 664 वोट हासिल किये थे। तीसरे नंबर पर बीएसपी के खिलेश कुमार साहू उर्फ खिलेश्वर थे। खिलेश्वर को मात्र 10,597 हजार वोट मिले थे। इस सीट पर कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे।

रायपुर लोकसभा चुनाव 2014 का परिणाम

लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी प्रत्याशी रमेश बैस ने 6,54,922 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा को 4,83,276-38 से हराया था। बैस को 52.36 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं शर्मा को 38.64 प्रतिशत वोट मिले थे।

रायपुर लोकसभा चुनाव 2009 का रिजल्ट

लोकसभा चुनाव 2009 में बीजेपी उम्मीदवार रमेश बैस ने 3,64,943 वोट से जीत हासिल की थी। उन्हें 49.19 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को 3,070, 42 वोट मिला था। उन्हें  41.39 प्रतिशत वोट मिले थे।

रायपुर लोकसभा सीट में कुल मतदाता

रायपुर लोकसभा सीट पर करीब 20,46,014 वोटर्स हैं। इनमें 10,39,867 पुरुष मतदाता हैं जबकि 10,05,871 महिला वोटर्स हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में 13,96,250 मतदाताओं ने मतदान किया था। यानी यहां 68 फीसदी मतदान हुआ था।

कब-कब किसने जीता रायपुर का चुनावी रण

    • 1952-भूपेन्द्र नाथ मिश्रा- कांग्रेस
    • 1957- बीरेंद्र बहादुर सिंह- कांग्रेस
    • 1962-केशर कुमारी देवी -कांग्रेस
    • 1967- लखन लाल गुप्ता -कांग्रेस
    • 1971- विद्याचरण शुक्ल- कांग्रेस
    • 1977- पुरूषोत्तम कौशिक – जनता पार्टी
    • 1980- केयूर भूषण-कांग्रेस
    • 1984- केयूर भूषण-कांग्रेस
    • 1989- रमेश बैस- बीजेपी
    • 1991- विद्याचरण शुक्ल-कांग्रेस
    • 1996- रमेश बैस-  बीजेपी
    • 1998- रमेश बैस- बीजेपी
    • 1999 -रमेश बैस- बीजेपी
    • 2004 -रमेश बैस- बीजेपी
    • 2009 -रमेश बैस- बीजेपी
    • 2014 – रमेश बैस- बीजेपी
    • 2019 -सुनील कुमार सोनी- बीजेपी

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