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ऑनलाईन छात्रवृत्ति स्वीकृति प्रक्रिया का प्रशिक्षण संपन्न

दुर्ग / ऑनलाईन पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को ऑनलाईन छात्रवृत्ति स्वीकृति प्रक्रिया का प्रशिक्षण 17 जनवरी 2024 को बीआईटी दुर्ग में आयोजित की गई। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास से प्राप्त अनुसार प्रशिक्षण में ऑनलाईन आवेदन करना, आईडी पासवर्ड रिकवर करना, प्रस्ताव, स्वीकृति लॉक करने की प्रक्रिया एवं छात्रवृत्ति स्वीकृत करते समय सावधानियों, आवेदन जमा करने/आवश्यक अभिलेख की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में छात्रवृत्ति से संबंधित उनकी समस्याओं का निराकरण भी किया गया।

प्रशिक्षण में अपर कलेक्टर दुर्ग अरविंद कुमार एक्का, संयुक्त कलेक्टर एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास दुर्ग हरवंश सिंह मिरी तथा महाविद्यालय, पालीटेक्निक, आईटीआई के प्राचार्य, छात्रवृत्ति प्रभारी एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर उपस्थित हुए। अपर कलेक्टर द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के पात्र विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित न हो, छात्रवृत्ति का कार्य समय-सीमा में करने हेतु संस्थाओं को निर्देशित किया गया। संयुक्त कलेक्टर द्वारा विद्यार्थियों के समस्याओं का निराकरण करने, विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति आवेदन, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र का परीक्षण उपरांत निर्धारित समय में प्रस्ताव कार्यालय में जमा करने हेतु संस्थाओं को निर्देशित किया गया।

सोकपीट संयंत्र से उर्वरक, जल उत्पादन- छत्तीसगढ़ पतोरा में सोकपीट से उर्वरक उत्पादन परियोजना

दुर्ग / गोवा राज्य से पत्रकारों की टीम में ग्राम पंचायत पतोरा एवं ग्राम पंचायत मंचादुर का निरीक्षण कर ग्राम पंचायत को कार्याे का प्रशंसा किया । भारत सरकार द्वारा विकसित भारत संकल्प यात्रा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। गोवा राज्य के पत्रकार की यशवन्त बी पाटिल दैनिक गामान्तक, नीरज बांदेकर गोवा न्यूज़ हब, रोहित वाडकर के दल द्वारा निरीक्षण किया गया है।

दल के दौरान में महत्वपूर्ण निर्माण कार्य –

इनमें पतोरा गांव में चल रही जल निकासी परियोजना पूरे देश का ध्यान खींच रही है। यह सोकपीट में मिट्टी से जैविक उर्वरक और स्वच्छ पानी का उत्पादन करने की एक अत्याधुनिक परियोजना है और देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है। इस नवाचार को पतोरा गांव की पंचायत ने अपनाया है, जबकि गांव के घर के सोकपीट में मिट्टी का क्या किया जाए, इसकी गंभीर समस्या है। श्रीमती अंजीता साहू, सरपंच, पतोरा ने बताया कि गंभीर प्रश्न यह था कि गाँव के शौचालयों का मल कहाँ ले जाया जाए। लेकिन इस प्रोजेक्ट ने उस समस्या का समाधान कर दिया है.

इस परियोजना से न केवल खाद का उत्पादन हुआ है, बल्कि पानी का भी उत्पादन हुआ है और गांव दुर्गंध मुक्त हो गया है। आपकी पहल का अनुकरण अन्यत्र भी किया जाना चाहिए। एफएसटीपी प्लांट पतोरा गतिविधियों को क्रियान्वित करके देश के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। पतोरा गांव में इस गतिविधि का पतोरा केंद्र सरकार का लक्ष्य इस परियोजना को देश के पूरे ग्रामीण इलाकों में लागू करना है।

इस परियोजना से उत्पन्न पानी का उपयोग गाँव में फूलों और फलों के बगीचों में छिड़काव के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि शौचालयों में मल को अन्यत्र डालने से रोक दिए जाने से दुर्गंध खत्म हो गई है। इसलिए स्वच्छ भारत मिशन को मजबूत किया गया है।
मनोज बनिक, एड वाटर एड कार्यकर्ता रखा गया है यह अनूठी पहल केंद्र सरकार के सहयोग से गैर सरकारी संगठन वाटर एड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। इस योजना को सफल बनाने में पंचायत का बड़ा योगदान है. इस परियोजना के तहत गांव के शौचालयों से निकलने वाले कीचड़ को इकट्ठा किया जाएगा और इसे कहीं और निस्तारित करने के बजाय इसे उचित तरीके से बहाया जाएगा और इससे जैविक खाद और पानी का उत्पादन किया जाएगा।

ग्राम पंचायत में किये गये कार्य भ्रमण के दौरान

मनरेगा एवं स्वच्छ भारत के अभिसरण में निर्मित स्व-सहायता समूह हेतु सेग्रीगेशन वर्कशेड का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। सेग्रीगेशन वर्कशेड फ्रेंसिंग एवं वृक्षारोपण, वर्कशेड में शौचालय निर्माण, सेग्रीगेशन वर्कशेड के पास 01 वर्मी एवं 01 नाडेप टेंक का निर्माण, घर-घर कचरा एकत्रीकरण का कार्य किया गया है, सार्वजनिक शौचालय का निर्माण प्रगतिरत है, ग्राम पंचायत में 32 नाडेप टैंक, 10 वर्मी कम्पोस्ट टैंग एवं 60 सोख्ता गड्ढे का निर्माण किया गया है। ग्रामसभा में सिंगल युज प्लास्टिक प्रतिबंधित करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया है, प्लास्टिक प्रतिबंध हेतु प्रचार एवं प्रसार बोर्ड लगया गया है।

वेस्ट बोतल को रिसाकिल कर पौधे को लगाने हेतु किया गया स्वच्छता की टीम ने सरहना किया गया पंचायत नें बर्तन बैक रखा हैं गांव में परिवारिक कार्यक्रम बर्तन निशुल्क दिये जाने शाला में गोबर गैस संयंत्र स्थापित है “जब भी हमारे गांव में पारिवारिक समारोह होते हैं, हम बर्तन बैंक से बर्तन निःशुल्क प्रदान करते हैं। हमारे पास 1,000 गिलास और इतनी ही संख्या में प्लेटें हैं जिन्हें हम मुफ़्त प्रदान करते हैं, ”पंचायत निकाय के सदस्य गोपेश साहू ने कहा, जो इस आंदोलन का नेतृत्व करते हैं। पांचवें वित्त आयोग से 35,000 रुपये के शुरुआती निवेश के साथ वर्ष 2021 में एक पहल के रूप में शुरू हुआ बर्तन बैंक छत्तीसगढ़ के कम से कम 70-80 गांवों द्वारा अपनाया गया एक मॉडल है।

गोपेश बताते हैं कि कैसे पंचायत इस बैंक के लिए लोगों से दान लेती है और इसमें बर्तन जोड़ती रहती है। “मूल विचार सरल है। आमतौर पर लोग अपने कामकाज के लिए प्लास्टिक के कप और प्लेट रखते हैं, जिससे सूखा कचरा बनता है और पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। हम उन्हें बर्तन मुफ़्त उपलब्ध कराते हैं, उन्होंने कहा। एवं निजी संस्था द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर 01 यूनिट गोबर गैस संयंत्र एवं 01 यूनिट वाटर ट्रिटमेंट प्लांट की गैसे का उपयोग आंगनबाडी भोजन, महिला स्व-सहायता समूह को उपयोग कर रही है।

ब्लाक दुर्ग के मचांदुर में स्व-सहायता समूह के हाथों के बनाये हुए सामग्री की साबून, फिनाई, मशरूम उत्पादन, दीदीयों ने बनाई महिला श्रृंगार की उत्पादन की प्रशंसा किया गया है समूह की दीदीयों ने बकरी पालन, गाय पालन, एवं कुक्कट पालन का कार्य कर अपनी आजीविका चला रही है। पुरूषों के बराबर आय कर रही है। आरती स्व-सहायता मुर्गी पालन, श्रद्धा स्व-सहायता समूह, परमेश्वरी बाड़ी मां शीतला दर्री दीदीयों निर्माण कार्य कर रही है। भ्रमण के दौरान राज्य स्तर राजेश वर्मा, सहायक परियोजना अधिकारी स्वप्न धु्रव, सहायक परियोजना अधिकारी अरविद ढीढी, ़ऋचा शर्मा डी.ई ओ, प्रवीन वर्मा, गिरीश माथूरे गौरव मिश्रा कार्यक्रम अधिकारी, डालिमलता कार्यक्रम अधिकारी, उपस्थित रहें।

निकट भविष्य में राशन कार्डों का नवीनीकरण संभावित

दुर्ग / दुर्ग जिले में कुल 4,74,440 राशनकार्ड प्रचलित है, जिसमें 16,94,856 सदस्य सम्मिलित है। राशनकार्ड के सभी सदस्यों के ई-केेवाईसी के संबंध में शासन से निर्देश जारी हुए है, किन्तु अब तक 5,67,136 सदस्यों द्वारा अपने आधार कार्ड में नाम, पता या अन्य जानकारियों का संशोधन कराये जाने के कारण उनका पूर्व मंे दिये गये आधार की जानकारी से मिलान नही हो पा रहा है। इसी प्रकार सभी राशनकार्डों के कम से कम एक सदस्य का मोबाईल नम्बर भी विभागीय डाटाबेस में दर्ज किया जाना है, किन्तु अब तक 1,48,831 राशनकार्डों में पूर्व में दिये गये मोबाईल नम्बर में परिवर्तन या अन्य कारणों से सही मोबाईल नम्बर दर्ज नही है।

खाद्य नियंत्रक से प्राप्त जनकारी अनुसार निकट भविष्य में राशनकार्डों का नवीनीकरण संभावित है, जिसकेे लिए राशनकार्ड के सभी सदस्यांे की सही जानकारी की आवश्यकता होगी। अतः अपील की जाती है कि ऐसे सभी राशनकार्डधारी जिन्होंने अब तक अपने सभी सदस्यों का आधार एवं परिवार का मोबाईल नम्बर उचित मूल्य दुकान के माध्यम से डाटा बेस में दर्ज नही कराया है या अपने तथा अपने परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड में संशोधन कराया है तो अपने राशनकार्ड से संबंधित शासकीय उचित मूल्य दुकान में ई-केेवाईसी हेतु अपना/परिवार के सदस्यों का आधार की कापी तथा मुखिया/परिवार के कम से कम एक सदस्य का मोबाईल नम्बर भी जमा करें, जिससे राशनकार्डधारी की सही-सही पूर्ण जानकारी विभाग के डाटाबेस में दर्ज की जा सकें।

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