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Asaduddin Owaisi – वोट के लिए मिश्रा जी को बचा रही मोदी और योगी सरकार

Asaduddin Owaisi आजतक से बातचीत में उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर मोदी सरकार के साथ प्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के भाषण के बाद यह वारदात होती है। पुलिस को उनके बेटे को गिरफ्तार करने में इतना टाइम लग जाता है।

Asaduddin Owaisi ने लखीमपुर खीरी की घटना को एक षड्यंत्र बताते हुए कहा कि यह साजिश के तहत किया गया मर्डर है। बीजेपी और आरएसएस में कोई भी काम बिना ऊपर से इजाजत के नहीं हो सकता है। षड्यंत्र के तहत मासूम सिख किसानों को गाड़ी के नीचे रौंद दिया गया और अब वोटों की खातिर मोदी और योगी की सरकार मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को बचाने में जुट गई है।

आजतक से बातचीत में उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर मोदी सरकार के साथ प्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के भाषण के बाद यह वारदात होती है। पुलिस को उनके बेटे को गिरफ्तार करने में इतना टाइम लग जाता है। पूछताछ के दौरान एक हत्या के आरोपी की ऐसे मेहमाननवाजी की जा रही है मानो कि वह थाने में नहीं बल्कि अपनी ससुराल गया है।

ओवैसी ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि वह लखीमपुर खीरी कांड के 3 से 4 दिन बाद लखनऊ आते हैं। लेकिन लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर एक शब्द तक नहीं बोलते हैं। इसका सीधा मतलब कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता था। उन्होंने कहा- आपने देखा कि सरकार पूरी तरह से उस मंत्री और उस मंत्री के बेटे को बचाने में लगी रही। पुलिस और प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने में लगा था। वहां की हर सड़क पर पुलिस थी लेकिन अपराधी को पकड़ने के लिए एक भी पुलिसवाला नहीं निकला।

ओवैसी ने कहा कि अगर हमारे देश में कोई कुचला जाता है, किसी के प्रति हिंसा होती है तो किसके पास जाएगा। अगर सभी मिले हुए हैं, सब अपनी पीठ मोड़ देते हैं उनकी तरफ तो किसके पास जाए जनता और क्या करे? सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है कि मानो उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। चार किसानों को कार तले रौंद दिया गया पर हुकुमरान चुप बैठे हैं।

उनका कहना था कि किसानों ने 9-10 महीनों से एक आंदोलन जारी रखा है। 300 दिन से अधिक ये आंदोलन चला है। इसमें 600 से अधिक किसान शहीद हुए हैं। लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। किसान जानते हैं कि सरकार के कानूनों की वजह से उनकी आमदनी, उनके खेत, उनकी फसल सब इस सरकार के खरबपति मित्रों के पास जाने वाले हैं। इसी वजह से वो घर द्वार छोड़कर दिल्ली में बैठे हैं।

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