छत्तीसगढ़रायपुर

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई राहत से महंगाई से निपटने में महिलाओं को मिली मदद…

दुर्ग । छत्तीसगढ़ का नेतृत्व सेवाभावी है। वो आपके आज और कल दोनों को बुलंद बनाने काम कर रहा है। भूपेश सरकार की योजनाएं महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखकर बनाई गई हैं। छत्तीसगढ़ महतारी आज हर मंच में पूजी जा रही हैं। उनके एक हाथ में संस्कृति का कलश है और दूसरे हाथ में तकनीक है। छत्तीसगढ़ महतारी की समृद्धि के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है। यह बात श्रीमती प्रियंका गांधी ने आज भिलाई के जयंती स्टेडियम में आयोजित विशाल महिला समृद्धि सम्मेलन के अवसर पर कही।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिलावासियों को 309 करोड़ 56 लाख रुपए के 186 विकास कार्यों की सौगात दी गई। इसमें 241 करोड़ 59 लाख रुपए के 123 भूमिपूजन कार्य तथा 67 करोड़ 97 लाख रुपए के 63 कार्यों का लोकार्पण शामिल है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन केंद्रों को संवारने छत्तीसगढ़ महतारी सांस्कृतिक संवर्धन योजना लागू करने की घोषणा भी की।

दाई दीदी मन ल जोहार, छत्तीसगढ़ महतारी की जय और मां बम्लेश्वरी की जयकार के साथ आरंभ किये गये अपने संबोधन में श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि आप सभी जिस गंभीर समस्या से जूझ रही हैं वो महंगाई की समस्या है। छत्तीसगढ़ की सरकार ने हर संभव यह प्रयास किये हैं कि आपको आर्थिक रूप से ताकत दें ताकि आप इस समस्या से निजात पा सकें। छत्तीसगढ़ में धान का दाम सबसे अधिक है। पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं है।

जहां देश के दूसरे हिस्से में किसानों की संख्या घट रही है। छत्तीसगढ़ में लोग खेती की ओर लौट रहे हैं। किसानों को मिले उचित दाम की वजह से एवं छत्तीसगढ़ शासन की अन्य हितग्राहीमूलक योजनाओं से महंगाई का बोझ छत्तीसगढ़ की जनता पर घटा है। देश के किसी भी हिस्से में चले जाएं, आवारा पशुओं की वजह से खेती में बड़ी समस्या है। देश के कई प्रांतों में महिलाएं फसल की रखवाली करती हैं। छत्तीसगढ़ में सरकार ने गौठान बनाकर यह समस्या हल की है। मैं जिस भी प्रदेश में जाती हूँ इस बात का जिक्र जरूर करती हूँ।

श्रीमती गांधी ने कहा कि आज इस सम्मेलन में आने से पहले मैंने बहुत से स्टाल देखे। इसमें छत्तीसगढ़ में काम कर रहीं लाखों समूह की महिलाओं में से कुछ प्रतिनिधियों का काम देखा। आपका काम आपकी मेहनत और आपके जज्बे की मिसाल है। यह देश में महिला उद्यमशीलता का प्रतीक है। मैंने आत्मनिर्भर महिलाओं से चर्चा की। उनमें गहरा आत्मविश्वास मुझे दिखा। उनके चेहरे पर मुस्कुराहट है। उन्होंने मुझे बताया कि सरकार ने उनकी मदद की, आज वे अपने पैरों पर खड़ी हैं। मैं उन नौजवान डाक्टरों से मिलीं जो सेवाभाव से गांव गांव में मरीजों का उपचार कर रही हैं। उन महिलाओं से मिलीं जो समूहों से जुड़कर विविध उत्पाद बना रही हैं। समूह से जुड़कर उनकी कितनी तरक्की हुई है। यह सब सुनकर मुझे महसूस हुआ कि आज जो मैंने छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर देखी, उसमें उनके एक हाथ में संस्कृति का कलश है और दूसरे हाथ में तकनीक। यह आपकी तस्वीर है।

श्रीमती गांधी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं के लिए जितनी भी योजनाएं लाई हैं। ये ध्यान में रखकर लाई हैं कि वे इस देश की व्यवस्था की रीढ़ है। वे समाज का, परिवार का पूरा बोझ उठाती हैं। मुख्यमंत्री जी खुद अपने संबोधन में कह रहे थे कि घर परिवार दोनों की जिम्मेदारी आप निभा रही हैं। मैं जानती हूँ कि जो रात को आखिर में सोती हैं वो महिला हैं। जो हमारी संस्कृति है, हमारी अगली पीढ़ी का भविष्य महिलाएं बनाती हैं।

श्रीमती गांधी ने कहा कि आप सभी को सशक्त बनाने के लिए भूपेश बघेल जी की सरकार ने अनेक योजनाएं बनाईं। 10 लाख से अधिक महिलाएं समूहों से जुड़ी। कुछ समूह ऐसे हैं जिन्होंने लाखों रुपए कमाये हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय भी उन्होंने बढ़ाया। मितानिन बहनों का भी मानदेय बढ़ाया। दाई दीदी क्लिनिक आरंभ किया। निःशुल्क इलाज हो रहा है। महतारी जतन योजना एक ऐसी योजना है जिससे गर्भवती माताओं को अच्छा भोजन मिल रहा है। सरकारी स्कूलों में महिलाओं को मुफ्त शिक्षा दिलाई। महिला स्वसहायता समूहों में करोड़ों के ऋण माफ किये गये। मुख्यमंत्री नोनी सहायता योजना से मदद दी गई। मिशन क्लीन सिटी परियोजना के तहत हजारों महिलाएं कार्यरत हुईं। ऐसी कई योजनाएं प्रदेश सरकार ने मेरी बहनों के लिए लागू की।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समाज में हमेशा महिलाओं को सम्मान मिला है। लैंगिक अनुपात के मामले में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य रहा है। पुरुषों और महिलाओं के बराबरी के सहयोग से यहां सभी काम होते हैं। महिलाएं तो घर भी देखती हैं और बाहर भी काम करती हैं। हमने सभी वर्गों के लिए योजनाएं बनाईं। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम किया। मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका का मानदेय बढ़ाया। कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की।

स्वसहायता समूहों की कर्ज की सीमा बढ़ाई। उनका कर्ज भी हमने माफ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी प्रियंका जी ने स्टाल में देखा कि किस तरह से काम छत्तीसगढ़ में हो रहा है। बीपीओ खोले गये हैं। गारमेंट फैक्ट्री खोली गई है। कैसे आर्थिक संपन्नता आये, इस बात का प्रयास हम करते हैं। हमने तीज त्योहारों और अन्य स्थानीय त्योहारों पर अवकाश आरंभ किया। मुख्यमंत्री निवास में तीज त्योहार मनाया। बोरे बासी को सम्मान देने का काम हमने किया। हमारे खानपान की परंपराओं का सम्मान हमने किया। छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति कलेक्ट्रेट में लगाई। राजगीत को अपनाया। चाहे माडल जैतखंभ बनाने का काम हो, कृष्ण कुंज बनाने का काम हो। राम वनगमन परिपथ बनाने का काम हो। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संवारने का काम हमने किया है।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद दीपक बैज ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा, विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत, नगरीय प्रशासन मंत्री डा. शिव डहरिया, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्र कुमार, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, विधायक अरुण वोरा, विधायक देवेंद्र यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

मैंने बचपन में खेला है पिट्ठूल, लड़कियां हमेशा लड़कों को हराती थीं- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि आज प्रियंका जी को भौंरा हाथों में लेते वक्त मैंने महसूस किया कि वे पता नहीं इसे खेल पाएंगी या नहीं लेकिन उन्होंने इतने अच्छे से खेला कि हम सब चकित रह गये। इस पर अपने संबोधन में श्रीमती गांधी ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री जी को बताना चाहूँगी कि बचपन में मैंने पिट्ठूल, कंचे, गिल्ली डंडा और स्टापू सब खेला है। महिलाएं हमेशा लड़कों को हराती थीं।

भिलाई में आकर बहुत गौरव महसूस होता है- श्रीमती गांधी ने कहा कि आज यहां आकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। ये भिलाई है। 1955 में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने यहां स्टील प्लांट की नींव डाली। आज जो भिलाई है वो इस पूरे देश के लिए मिसाल है। पूरे देश भर से यहां लोग आते हैं। एकजुट होकर आप यहां रहते हैं। आधुनिक भारत की नींव यहीं पर डली। पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ ऐसे महापुरुष थे जो आजादी के लिए लड़े। उन्हीं के उसूलों से यह देश लड़ा। यह ऐसी राजनीति है जिसमें नेता वर्तमान को भी मजबूत बनाते हैं और भविष्य को भी देखते हैं।

अमेठी में पिता के साथ किए दौरे का संस्मरण सुनाया- श्रीमती गांधी ने कहा कि जब मैं छोटी थी तब मैं अपने पिता जी के साथ अमेठी के दौरे पर गई थी। वे खुद जीप चलाते गये। एक गांव में हम उतरे, कुछ लोगों से बातचीत करने लगे। एक महिला उन्हें जोरजोर से डांटने लगी। मुझे लगा कि मेरे पिता को कैसे डांट रही हैं। उसने कहा कि सड़क खराब है तुमने क्या किया है। मेरे पिता जी ने उनकी बात शांति से सुनी और कहा कि सब ठीक करेंगे। यह उस समय की राजनीति है कि प्रधानमंत्री को तक एहसास होता था कि जनता के प्रति उसकी जिम्मेदारी है। मैंने अपने पिता से पूछा कि बुरा नहीं लगा। मेरे पिता ने कहा कि नहीं उसका कर्तव्य मुझे ध्यान दिलाने का था और मेरा भी कर्तव्य है कि मैं उनकी समस्याओं को दूर करने काम करूँ।

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