दुर्ग / छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के तत्वाधान में एवं जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग श्रीमती नीता यादव के मार्गदर्शन में ’’माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007’’ के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला/प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आज दिनांक 25/08/2023 को दोपहर 2ः00 बजे जिला न्यायालय, दुर्ग के सभागार स्थल पर आयोजित की गयी है।
उक्त आयोजित कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अति. जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, विवेक नेताम, नवम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग, कु. पॉयल टोप्नो, षष्ठदश व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग, आशीष डहरिया, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। वहीं कार्यशाला में प्रतिभागियों के रूप में विनय कुमार सोनी, संयुक्त कलेक्टर, दुर्ग/अनुविभागीय अधिकारी (रा.) धमधा , विपुल कुमार गुप्ता, संयुक्त कलेक्टर दुर्ग/अनुविभागीय अधिकारी (रा.) पाटन तथा सी.एस.कनवर, तहसीलदार धमधा, प्रफुल्ला गुप्ता अति. तहसीलदार दुर्ग, के अलावा लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम दुर्ग के समस्त कौंसिलगण, पेनल अधिवक्तागण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के समस्त पैरालीगल वार्लेिन्टयर्स बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।
’’माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007’’ के संबंध में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अति. जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, द्वारा कार्यशाला में उपस्थिति प्रतिभागियों को उक्त एक्ट की स्थापना माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को उनके अधिकारों को दिलाने हेतु होना बताते हुए, आज माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों को उनके अधिकार से वंचित होने को समाज के बदलते स्वरूप को जिम्मेदार होना बताते हुए कहा गया कि समाज/घर में अधिकांश लोग आज किस ओर जा रहे हैं उनकी भूमिका समाज/घर में क्या होनी चाहिए ये समझने वाला कोई नहीं है। हमें इसी बात को आमजनों/समाज के लोगों को समझाना है कि समाज/घर में उनकी भूमिका क्या होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त कार्यशाला में उपस्थित ट्रिब्यूनल के प्रतिभागियों /अधिकारियों को उक्त अधिनियम के तहत ट्रिब्यूनल में संपादित होने वाले कार्य संपादन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उक्त एक्ट के तहत पुलिस विभाग व चिकित्सा विभाग तथा अन्य विभागों की मदद कैसे ली जा सकती है के बारे में बताया गया तथा उपस्थित पैरालीगल वालेन्टियर्स को संबंधित अधिनियम के तहत उनकी भूमिका क्या होनी चाहिए के बारे में बताते हुए उन्हें वरिष्ठ नागरिकों की हरसंभव मदद करते हुए तथा उन्हें उनके अधिकार दिलाने में विधिवत आवश्यक रूप से सहायता प्रदत्त करने प्रेरित करते हुए कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को उनके द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का विधिनुरूप समुचित उत्तर देते हुए उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।
रिसार्स पर्सन विवेक नेताम, नवम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग द्वारा अपने उद्बोधन में ’’माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007’’ के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उक्त अधिनियम की धारा 4, 7, 10 धारा 11 एवं धारा 11(2), धारा 12, 15, 16, 23, 19, 20, 24 27 एवं धारा 34 की विस्तार से व्याख्या की गयी।
कु. पॉयल टोप्नो, षष्ठदश व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग, ने अपने उद्बोधन में उपस्थित प्रतिभागियों को संबंधित अधिनियम की धारा 32 के बारे में बताते हुए उक्त अधिनियम के प्रयोजनों को कार्र्यािन्वत करने के नियमों के बारे में बताते हुए कहा गया कि तत्संबंध में मामला ट्रिब्यूनल में प्रस्तुत किया जा सकता है तथा ट्रिब्यूनल में मामला प्रस्तुत होने उपरांत उसके निराकरण की प्रक्रिया क्या होगी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे