छत्तीसगढ़

गोबर से बिजली के लिये भूपेश सरकार का एक्शन प्लान

गोबर से बिजली पैदा करने के लिये छत्‍तीसगढ़ राज्‍य सरकार द्वारा गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी. ये अब बिजली के मामले में स्वावलंबी होंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) गांधी जयंती पर किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ करेंगे. कार्यक्रम का आयोजन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल मैदान में किया जाएगा. राज्य के कई गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

महात्मा गांधी जयंती पर मुख्यमंत्री बघेल बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड के आदर्श गौठान राखी सहित दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड स्थित सिकोला गौठान और रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड स्थित बनचरौदा गौठान में गोबर से बिजली उत्पादन परियोजना की शुरुआत करेंगे. शासन इस परियोजना की कई महीनों से तैयारी कर रहा है. गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा. इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा.

गोबर से बिजली 6 हजार गांवों में हुआ गौठानों का निर्माण

गौरतलब है कि सुराजी गांव योजना के तहत राज्य के करीब 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण किया गया है. इन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है. यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये किलो में गोबर की खरीदी की जाएगी. उसके बाद  बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा. यहां समूह की महिलाएं कई अन्य रोजगारपरक गतिविधियां भी संचालित कर रही हैं. इन गौठानों से खरीदे गए गोबर से बिजली का उत्पादन 2 अक्टूबर से शुरू होगा.

460 किलोवाट बनेगी बिजली

इसके पहले फेज में बेमेतरा जिले के राखी, दुर्ग के सिकोला और रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से बिजली बनाने की यूनिट लगाई गई है. एक यूनिट से 85 क्यूबिक घन मीटर गैस बनेगी. एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट बिजली बनेगी. इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट बिजली बनेगी. इस तरह तीनों यूनिटों से करीब 460 किलोवाट बिजली बनेगी. इससे गौठानों में बिजली की व्यवस्था हो जाएगी और वहां स्थापित मशीनें चलाई जा सकेंगी. बताया जा रहा है कि बिजली बनने के बाद स्लरी का जो पानी बचेगा, उससे बाड़ी और चारागाह में सिंचाई की जाएगी. बाकी बची चीजों से जैविक खाद तैयार की जाएगी. इस तरह बिजली के साथ-साथ जैविक खाद भी मिलेगी. इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ होगा.

लाभार्थियों को हो चुका 102 करोड़ का भुगतान

उल्लेखनीय है कि सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. इनमें से 6112 गौठान शुरू भी हो गई हैं. इन गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है. इसके एवज में ग्रामीणों, पशुपालकों को 102 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है. गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद बनाकर बेची जा चुकी है. सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठान और गोधन न्याय योजना के कन्वर्जेंस से कई तरह के लाभ मिल रहे हैं. इससे गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिला है.

 

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