छत्तीसगढ़राजनीति

आरक्षण विधेयक विवाद के बाद अब मंत्री से इस्तीफे की हो रही है मांग, केदार बोले- गैर जिम्मेदार हैं पद छोड़ें…

शुक्रवार को दिन भर चर्चा में रहे आरक्षण विधेयक विवाद के बाद अब मंत्री से इस्तीफे की मांग हो रही है। दरअसल आरक्षण बिल लौटाए जाने और कुछ अविश्वसनीय समाचार वेबसाइट पर चर्चाओं की खबरों के आधार पर संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने भी राज्यपाल के द्वारा आरक्षण विधेयक लौटाए जाने की बात कह दी थी।

इसके बाद से मंत्री रविंद्र चौबे को गैर जिम्मेदार बताकर बीजेपी उनके इस्तीफा की मांग रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा महामंत्री केदार कश्यप ने संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि, उन्होंने आरक्षण विधेयक जैसे गंभीर विषय की गंभीरता को नजरअंदाज किया।

भाजपा पूछ रही क्या कर रहे मंत्री

केदार कश्यप ने कहा, यह मंत्री के रूप में उनका बेहद गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है। क्या कांग्रेस मीडिया की खबरों पर चल रही है? क्या संसदीय कार्य मंत्री को इतने संवेदनशील विषय में जानकारी नहीं होना चाहिए? संसदीय कार्य मंत्री कर क्या रहे हैं? राज्य के संसदीय कार्य मंत्री को अपने विषय से जुड़ी जानकारी न होना साबित कर रहा है कि कांग्रेस हवा में तैर रही है।

मंत्री रविंद्र चौबे ने क्या कहा था…

मीडिया से आरक्षण के मामले में मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था, देखिए छत्तीसगढ़ का अहित हो रहा है। पुराने राज्यपाल ने सरकार से कहा था कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आप आरक्षण विशेष बिल पारित करें, तत्काल हस्ताक्षर करेंगे, फिर भाजपा के दबाव में आरक्षण विधेयक लागू होने नहीं दिया गया।

रविंद्र चौबे ने आगे कहा कि – आज तक बिल अटका हुआ था, कल मीडिया से जानकारी मिली कि राज्यपाल ने आरक्षण बिल लौटाया है। अभी भी हम उम्मीद करते हैं, जन अनुपात के बेस पर जो विधेयक हम लेकर आए अब जो भी कानूनी प्रक्रिया होगी उसे वैसा किया जाएगा। लेकिन छत्तीसगढ़ के नौजवानों का नुकसान है। भर्ती, पदोन्नति पर असर हो रहा है। प्रवेश परीक्षा सामने आ गई है। तो इसमें निर्णय लेना ही होगा।

राजभवन ने बताया फेक न्यूज

जब राजभवन की ओर से आरक्षण विधेयक लौटाए जाने की बात ने तूल पकड़ा तो आखिरकार राजभवन को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। कहा गया कि – राजभवन द्वारा आरक्षण संबंधी विधेयक राज्य शासन को वापस नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 की फाइल, राजभवन द्वारा राज्य शासन को वापस नहीं की गई है। इस सम्बध में कुछ समाचार चैनलों एवं वेब पोर्टल में जारी किया गया समाचार तथ्यहीन है।

आरक्षण अब भी अटका है

राज्य सरकार ने 2 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में विभिन्न वर्गों के आरक्षण को बढ़ा दिया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण कर दिया गया। इस विधेयक को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। तब राज्यपाल रहीं अनुसूईया उइके ने इसे स्वीकृत करने से इनकार कर दिया और अपने पास ही रखा।

आरक्षण मामले में मुख्यमंत्री ने जल्द फैसला करने का नए राज्यपाल से आग्रह किया था।
आरक्षण मामले में मुख्यमंत्री ने जल्द फैसला करने का नए राज्यपाल से आग्रह किया था।

राज्यपाल के विधेयक स्वीकृत नहीं करने को लेकर एडवोकेट हिमांक सलूजा ने और राज्य शासन ने याचिका लगाई थी। राज्य शासन ने आरक्षण विधेयक बिल को राज्यपाल की ओर से रोकने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस केस की अभी सुनवाई लंबित है। आरक्षण बिल पर 2 दिसंबर से ही राज्यपाल के हस्ताक्षर का इंतजार है। राज्यपाल बदल गए लेकिन हस्ताक्षर नहीं हुए। 18 अप्रैल को नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने मीडिया द्वारा आरक्षण विधेयक का सवाल सुना और आस्क टू सीएम कहकर चले गए थे।

संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे

https://jantakikalam.com

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button