छत्तीसगढ़

व्यक्तित्व परिचय – मनसा आईटीआई के संस्थापक बी एस सक्सेना…

व्यक्ति का संघर्ष व्यवहार और कृतित्व उसके न रहने पर भी अमिट रहता है। जिंदगी दोबारा नहीं मिलती लेकिन अपने पद चिन्हों की छाप छोड़ जाने के बाद अच्छे कार्यों की याद स्मृतिपटल पर भी बने रहना विरले व्यक्तिव की पहचान होती है। ऐसे ही विरले संघर्षी व्यक्ति के धनी रहे बी.एस. सक्सेना जिन्होने आई.टी.आई. में निरंतर 38 वर्षों तक कार्य करने के उपरांत कालाभार में मनसा आई.टी.आई एवं मनसा महाविद्यालय की स्थापना की और शिक्षा जगत में नाम रोशन किया।

ब्रम्हस्वरुप सक्सेना ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित किया। आगरा में जन्मे अपनी शिक्षा पूर्ण कर प्रयागराज, भोपाल, होषंगाबाद, अंबिकापुर सागर, चंबल, जबलपुर, भिलाई में प्रथम श्रेणी शासकीय पदो  पर रहकर ग्वालियर से सेवानिवृत हुए। सक्सेना जी मनसा आई.टी.आई. एवं महाविद्यालय के संस्थापक थे। उनका विशिष्ट अंदाज भिलाई को पसंद था।

शिक्षा सर्व सुलभ हो, इसका ध्यान व इसके प्रति हमेशा तत्परता उनकी पहचान रही है। पैसे को न्यूनतम महत्त्व देना और मानवता को ही सर्वोपरि रखना, हर परिस्थिति में हंसमुख और हल्का महसूस करने की कला ही उनकी जीवटता थी। सदैव आध्यात्मिक चिंतन-मनन में लीन रहने वाले ब्रम्हस्वरूप सक्सेना साहब अब हमारे बीच नहीं है। उनका देहावसान गत 18 सितंबर 2022 को हो गया।

17 सितंबर को मनसा आई. टी. आई. में विश्वकर्मा जयंती की पूजा अर्चना करके अगले दिन मनसा महाविद्यालय एवं मनसा आई टी आई के शिल्पकार भिलाई स्थित अपने निज निवास में यह धाम छोड़कर परमधाम चले गये। ये राजीव सक्सेना महाप्रबंधक बहुराष्ट्रीय कंपनी दिल्ली,  डॉ संगीता श्रीवास्तव संचालक वासुकी विद्यालय व संजीव सक्सेना मनसा आई टी आई कॉलेज के संचालक के पिता व मनसा कॉलेज की प्राचार्या डॉ स्मिता सक्सेना के ससुर थे। जहाँ आज एक तरफ मनसा परिवार के बीच स्तब्धमयी मायुसी है वही उनके आदर्श व कृतित्वबोध को लेकर चलने की उत्प्रेरणा भी है। शुद्ध भारतीय व ग्रामीण परिवेष में रहना और सादगी के साथ सहज होकर पेश आना उनकी अदा थी।

हमेशा मदद के लिए तत्पर एवं सहयोगात्मक रुख के पर्याय सक्सेना साहब की इन्हीं खूबियों के चलते उनसे बार बार मिलना भी जारी रखते थे। उनके प्रशिक्षिण केन्द्र मनसा महाविद्यालय में कांधे पर लाल गमछा रखे बिलकुल देहाती सहज रूप में देखकर नये लोगों के लिए चौकने का विषय था। उनकी सादगी मन में घर कर जाती थी कि इतने बड़े संस्थान का संस्थापक और इतनी सहजता, इतनी विनम्रता। उनकी मुलाकात मानवीय उत्कण्ठा को जन्म दे गई।

मनसा आई. टी. आई. कॉलेज के परिसर में प्रवेश करते ही बरबस धनात्मक ऊर्जा से सराबोर होते मन में यह सहज प्रतीत होता है कि बीएस सक्सेना की कण कण में उपस्थिति व्याप्त है। ये सही कहा गया है कि जो सच में संघर्ष कर आगे बढ़ते हैं, जिनके मन में उदारता का एवं जनकल्याण का भाव होता है और जो सही मायने में बड़े होते हैं, ये उतने ही विनम्र भी होते हैं। यही विनम्रता और बड़प्पन आदरणीय बी. एस. सक्सेना (बाबू जी) को औरों से अलग करती थी।

आज ये सशरीर नहीं है, लेकिन उनकी आत्मा उनका स्नेह कार्य और पदचिन्ह जरूर सबके संग है और रहेगा। परिवार इष्टमित्र, कुरुद ग्रामवासी और भिलाई नगर वासियों ने बड़ी विनम्रता, आदरभाव से अश्रुपूरित श्रद्धाजलि अर्पित की। ईश्वर उन सहृदयी आत्मा को अपने चरणों में स्थान देकर मोक्ष प्रदान करें। उनके बताये हुए रास्तों पर चलकर एवं स्थापित परंपराओं का पालन सुनिश्चित कर हम सच्ची श्रद्धाजलि अर्पित कर सकते हैं।

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