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राजधानी में बिछी शतरंज की बिसात, कोई जीता तो किसी को मिली मात…

रायपुर  :

राजधानी में बिछी शतरंज की बिसात, कोई जीता तो किसी को मिली मात...

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने वातावरण बना रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री  बघेल की विशेष पहल पर यहां 19 सितम्बर से राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।

यह टूर्नामेंट आगामी 28 सितम्बर तक चलेगा। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों समेत 15 देशों के 500 से अधिक शतरंज खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इस आयोजन की खास बात यह है कि इसमें 5 साल के बच्चे से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग खिलाड़ी शतरंज में अपने बुद्धि कौशल को दिखाने शतरंज की बिसात में शामिल हो रहे हैं।

18 सितम्बर को छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट के औपचारिक शुभारंभ के बाद आज 19 सितम्बर को पहले व दूसरे राउंड का खेल हुआ।

मास्टर्स कैटेगरी की स्पर्धा होटल ग्रेंड इम्पीरिया में और चैलेंजर्स कैटेगरी की स्पर्धा शगुन फॉर्म वीआईपी रोड रायपुर में खेली जा रही है। पहले दिन के खेल में किसी ने प्यादे की चाल पर ही राजा को घेर लिया तो किसी को अपनी ही एक चाल भारी पड़ी और मात मिली। पहले दिन के खेल के बाद कुछ खिलाड़ियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।

टूर्नामेंट का आगाज

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और खेल मंत्री उमेश पटेल के निर्देश पर अखिल भारतीय शतरंज महासंघ, खेल एवं युवा कल्याण एवं छत्तीसगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के मार्गदर्शन व संरक्षण में छत्तीसगढ़ प्रदेश शतरंज संघ द्वारा छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।

इसमें भारत, रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, यूएसए, कज़ाकिस्तान, मंगोलिया, पोलैंड, वियतनाम, कोलंबिया, ईरान, श्रीलंका, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे व नेपाल से शतरंज के महारथी और खिलाड़ी अपनी चाल से परिचित कराने और प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों को मात देकर अपनी रैंकिंग सुधारने पहुंचे हैं।

टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे खिलाड़ियों में 16 ग्रैंड मास्टर, 27 इंटरनेशनल मास्टर, 03 वीमेन ग्रैंड मास्टर, 11 वीमेन इंटरनेशनल मास्टर, 14 फीडे मास्टर, 375 इंटरनेशनल रेटेड प्लेयर्स समेत अन्य वर्गों के खिलाड़ी शामिल हैं।

चैलेंजर्स केटेगरी के पहला राउंड सम्पन्न :

छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट के तहत ‘बी’ कैटेगरी यानी चैलेंजर्स का पहला राउंड सम्पन्न हुआ। इस कैटेगरी की स्पर्धा में 300 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। रायपुर की दृष्टिबाधित राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी सुश्री नेहा जैन भी शतरंज की बिसात पर दांव-पेंच अपना रही हैं।

आज के खेले गए मैच में पहले टेबल पर शानदार मुकाबला मध्यप्रदेश के श्री हर्षित (1351) और उत्तरप्रदेश के श्री ऋषभ निषाद (1975) के बीच हुआ। निमज़ो इंडियन डिफेंस से खेली गई इस बाजी में श्री ऋषभ ने काले मोहरे से खेलते हुए

35वीं चाल में बाजी जीत ली। वहीं दूसरे टेबल पर महाराष्ट्र के श्री सिराज भोंसले (1974) और तमिलनाडु के श्री आर. संतोष (1341) के बीच हुए मुकाबले में श्री सिराज ने जीत हासिल की।

टूर्नामेंट का आगाज

तीसरे टेबल पर महाराष्ट्र की सुश्री आरती ठाकुर (1340) और छत्तीसगढ़ के आशुतोष बेनर्जी (1946) के बीच एक्सचेंज वेरिएशन से बाजी खेली गई। धीमी गति से चल रही इस बाजी में अंततः 75वीं चाल में आशुतोष अपनी प्रतिद्वंदी को मात देने में कामयाब रहे।

चौथे टेबल पर आंध्रप्रदेश के ए. जी. एम. मालानुका राजू (1938) और तेलंगाना के अनमोल माथुर (1337) ने सिसिलियन डिफेंस अपनाते हुए बाजी की शुरुआत की।

मालानुका राजू ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए  22 चालों में बाजी अपने पक्ष में कर ली। पांचवें टेबल पर गुजरात के समर्थ श्रेणी वारियर (1331) और गुजरात के ही जानी कुशाल (1921) के बीच शह और मात का खेल बराबरी पर छूटा, जिससे दोनों खिलाड़ियों को आधे-आधे अंक से संतुष्ट होना पड़ा।

चैलेंजर्स केटेगरी के पहला राउंड सम्पन्न :

छत्तीसगढ़ की व्यवस्थाओं ने दिया खेल का अनुकूल माहौल :

छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट के लिए पहुंचे खिलाड़ियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में उन्हें मिली व्यवस्था ने खेल को लेकर अनुकूल माहौल बनाया है।

चर्चा के दौरान खिलाड़ियों का कहना था कि, शतरंज जैसे बौद्धिक कौशल के खेल के लिए वातावरण का महत्व काफी होता है। कुछ खिलाड़ियों के अनुभव इस तरह रहे –

• पौलेंड से चेस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे ग्रैंड मास्टर माइको क्रासेन्को ने कहा अब तक दूसरे देशों के अलावा भारत के भी कई राज्यों में वे खेलने के लिए आ चुके हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में हो रहा यह पूरा आयोजन बेहद शानदार है। उन्होंने कहा, मुझे पता चला है कि छत्तीसगढ़ में विश्वस्तरीय और व्यापक स्तर पर चेस टूर्नामेंट का पहली बार आयोजन किया जा रहा है।

यह छत्तीसगढ़ सरकार का बेहद सराहनीय प्रयास है। अभी यह शुरुआत है और उम्मीद है कि शतरंज के ऐसे आयोजन छत्तीसगढ़ में परम्परा बनेगी। उन्होंने कहा, यहां सबकुछ बहुत ही सहज तरीके से आयोजित किया जा रहा है।

इस उन्होंने कहा कि, निश्चित तौर पर यहां खेलकर उनके खेल कौशल में विकास होगा, हालांकि पहले दिन पहले राउंड के लिए उन्हें प्रतिद्वंदी के तौर पर मिले खिलाड़ी अपनी ही चाल में फंस गए और इससे ग्रैंड मास्टर माइको को जीत मिली।

•तमिलनाडु से पहुंचे 17 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी अविनाश रमेश ने बताया कि उन्हें टूर्नामेंट में 37वीं रैंक प्राप्त है। ऐसे में पहले दिन उनके लिए अपने खेल का बेहतर प्रदर्शन जरूरी था।

उनके टेबल पर 3 घंटा 15 मिनट का पहला राउंड चला, जिसमें उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को मात देने में सफलता हासिल की। वहीं आयोजन को लेकर अविनाश ने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में उनके रुकने,

वाहन, भोजन समेत खेल के लिए व्यवस्था की गई है, वह अब तक का बेहतरीन अनुभव है। छत्तीसगढ़ शासन की पहल और व्यवस्थाओं को लेकर युवा शतरंज खिलाड़ी अविनाश ने संतुष्टि के भाव जाहिर किए।

मास्टर्स चेस

•मध्यप्रदेश के शहडोल से अपनी चैलेंजर्स कैटेगरी में बौद्धिक कौशल का प्रदर्शन करने पहुंचे 20 वर्षीय अतुल कुमार साकेत ने बताया कि वे 14 साल के थे, तब से उन्हें शतरंज को लेकर रुझान बढ़ा। वे स्कूल में अपने सीनियर्स को खेलते हुए देखते थे, और उन्हीं से शुरुआती जानकारी मिली।

यहां आयोजन को लेकर अतुल ने कहा कि छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्रॉफी इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर्स चेस टूर्नामेंट में पहुंचे माहिर खिलाड़ियों के बीच बहुत नया जानने-सीखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर शतरंज के इस आयोजन से शतरंज खिलाड़ियों को नई ऊर्जा देने वाला तो है, साथ ही नए खिलाड़ियों भी इससे प्रोत्साहित होंगे।

•आंध्रप्रदेश से रायपुर पहुंचे 10 वर्षीय श्रीखल प्रसाद ने बताया कि वे पांच साल के थे, तब से चेस खेल रहे हैं। आज पहले दिन उन्होंने दो राउंड खेले जिसमें से एक में उन्हें जीत मिली तो दूसरा राउंड ड्रा रहा। श्रीखल इस टूर्नामेंट में 6 प्वॉइंट स्कोर करना चाहते हैं। उनका लक्ष्य सुपर ग्रैंड मास्टर बनने का है।

•महाराष्ट्र के तसीन तड़वी ने बताता कि वे जब पांच साल के थे, तब अपने पापा को खेलते हुए देखकर उनका रुझान बढ़ा और उन्होंने पापा से ही शतरंज के दांव-पेंच सीखे हैं। अभी 10 साल के तसीन शतरंज में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं।

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