मुख्यमंत्री बघेल ने वनांचल के निवासियों को दी महत्वपूर्ण सौगात…
रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार बस्तर संभाग में रेशम पालन तथा कोसा उत्पादन करने वाले आदिवासी-वनवासी कृषकों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
इसके तहत रैली कोसा का क्रय अब समर्थन मूल्य पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा किया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विगत दिवस चालू वित्तीय वर्ष के बजट भाषण में बस्तर में रेशम मिशन प्रारंभ करने की घोषणा की थी।
इस घोषणा के पालन में राज्य सरकार ने चालू वर्ष से लघु वनोपज संघ के माध्यम से कोसा कोकून न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आदेश लघु वनोपज संघ ने आज जारी कर दिए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बस्तर संभाग में इसके समर्थन मूल्य पर संग्रहण के लिए क्रय दर निर्धारित किया गया है। इसके तहत रैली कोसा साबुत ग्रेड-1 में प्रति नग शेल भार 2.5 ग्राम के लिए 4.20 रूपए,
ग्रेड-2 में प्रति नग शेल भार 2-2.49 ग्राम के लिए 3.60 रूपए तथा ग्रेड-3 में प्रति नग शेल भार 1.4-1.99 ग्राम के लिए 2.80 रूपए और रैली कोसा-पोली ग्रेड-1 में प्रति नग शेल भार 2.5 ग्राम के लिए 1.50 रूपए,
ग्रेड-2 में प्रति नग शेल भार 2-2.49 ग्राम के लिए 1.25 रूपए तथा ग्रेड-3 में प्रति नगर शेल भार 1.4-1.99 ग्राम 0.70 रूपए निर्धारित है। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया
कि शासन के इस महत्वपूर्ण निर्णय से अब रैली कोसा के उत्पादन और प्रसंस्करण का दोहरा लाभ स्थानीय निवासियों को मिलेगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा राज्य में रैली कोसा के स्थानीय प्रसंस्करण को बढ़ाते हुए
स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया गया है। इसके तहत राज्य लघु वनोपज संघ तथा रेशम संचालनालय के बीच एम.ओ.यू. हुआ है।
इसके अनुसार लघु वनोपज संघ द्वारा क्रय किया गया कोकून रेशम विभाग को प्रदाय किया जाएगा। रेशम विभाग द्वारा बस्तर संभाग में 740 हितग्राहियों का चयन करके उन्हें रेशम धागाकरण का प्रशिक्षण देना भी प्रारंभ कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में 8 से 10 करोड़ रैली कोसा-कोकून का उत्पादन होता है। रैली कोसा संग्रहण कार्य मुख्य रूप से 07 जिला यूनियन जगदलपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोण्डागांव, केशकाल, नाराणपुर तथा कांकेर में होता है।
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