भोपाल में नाबालिग लड़की के मां बनने के बाद पुलिस ने उसके पति पर रेप का केस दर्ज कर लिया। इस केस में तब पुलिस की अमानवीयता भी देखने को मिली, जब लड़की प्रसव पीड़ा से अस्पताल में चीख रही थी। पुलिस दबाव बनाकर उसका बयान लेती रही। यह मामला राजधानी के एमपी नगर थाने का है।
नाबालिग मां की दर्दभरी कहानी, उसी की जुबानी…
हम चार बहन, दो भाई हैं। मां-पिताजी हैं। मां एक बंगले पर काम करती है। हम बचपन से 7 नंबर बस स्टॉप के पास शिवाजीनगर (भोपाल) में रह रहे हैं। मेरे पति की मां भी 7 नंबर इलाके में ही रहती हैं। हमारे घर से 2-3 घर छोड़कर ही वो लोग रहते हैं।
हम दोनों का रिलेशन था। एक-दूसरे से प्यार करते थे। इसके बाद हमने शादी कर ली। तब उनकी उम्र 17 साल और मेरी उम्र 16 थी। हम दोनों को कानून के बारे में जानकारी नहीं थी कि ऐसा कोई कानून होता है जो 18 साल से पहले शादी नहीं कर सकते।
शादी के बाद मैं अपने परिवार वालों से अलग पति के साथ रहने चली गई। हमारे घरवालों को इस बारे में जानकारी नहीं थी कि हम दोनों ने शादी कर ली है। करीब एक-डेढ़ महीने बाद मैं अपने परिवार के पास रहने के लिए वापस आ गई।
जब मैंने अपनी शादी के बारे में परिवार को बताया तो ना मेरे परिवार के लोगों को इस शादी से दिक्कत थी, ना मेरे पति के घरवालों को। हम-पत्नी की तरह रहने लगे। शादी के ठीक 1 साल बाद 21 अप्रैल को मुझे प्रसव पीड़ा हुई। डॉक्टर ने मेरी उम्र पूछी।
मैंने 17 साल बताई। इसके बाद एमपी नगर थाने की मैडम पहुंच गईं। मैं प्रसव पीड़ा से चीख रही थी। वह बयान देने के लिए दबाव बनाती रहीं। आखिरकार दर्द से कराहते हुए उन्होंने मेरे बयान लिए। बाद में मुझे पता चला कि पुलिस ने मेरे पति के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया है। जबकि, मुझे उनसे कोई परेशानी नहीं है, ना ही मेरे घरवालों को कोई परेशानी है।
ऐसी कोई बात ही नहीं हुई, जिसके कारण मेरे पति के साथ ये सब हो। मैंने तो खुद से अपनी मर्जी से शादी की है। अगर मैं खुद थाने में जाकर कंप्लेन करती तो ये सवाल आता। इस रिश्ते से किसी को प्रॉब्लम ही नहीं है। अगर मुझे कोई दिक्कत होती तो मैं खुद कंप्लेन करती।
पुलिस मेरी सास से पूछताछ कर रही थी, उन पर चिल्ला रही थी। बोल रही थी कि तुम इतनी समझदार बन रही हो तुम्हें कुछ पता नहीं है क्या? उन पर दबाव बना रही थी। परसों जब मेरा डिलीवरी का टाइम था तो वो लोग मुझे बार-बार बुलाकर सवाल कर रहे थे।
मेरा पेट दर्द कर रहा था। वो बार-बार आकर सवाल पूछ रहे थे। रात के लगभग 11 बजे तक वो मेरे पास रहे। मुझे प्रसव पीड़ा हो रही थी। अब मैं अपना बच्चा लेकर कहां जाऊंगी? मैंने शादी कर ली है। अगर मेरे पति को जेल में डालेंगे तो मुझे कौन देखेगा?
मेरे बच्चे को कौन देखेगा? जब से मेरा मेरे पति से रिलेशन हुआ था, तब से आज तक उन्होंने मुझे कोई तकलीफ नहीं दी। मुझे बहुत अच्छे से रखते हैं। हाथ जोड़ती हूं मेरे मासूम बेटे पर रेप पीड़िता की मां के बेटे होने का कलंक मत लगाओ।
समझिए पूरा मामला
भोपाल के जेपी अस्पताल में 21 अप्रैल 2022 को शिवाजी नगर इलाके में रहने वाली गर्भवती प्रसव पीड़ा होने पर एडमिट होती है। गर्भवती ने डॉक्टर को अपनी उम्र 17 साल बताई। नाबालिग होने की वजह से डॉक्टर ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने बयान लेकर उसके पति खिलाफ रेप समेत पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया।
इधर, पति ने मार्कशीट दिखाते हुए बताया कि उसका जन्म 20 नवंबर 2003 का है। सालभर पहले जब उसने शादी की थी तब वह भी नाबालिग था। 20 नवंबर 2021 को ही 18 साल का हुआ है। उसने बताया कि हम लोगों को कानून की जानकारी नहीं थी। शादी आरटीओ ऑफिस के पास बने मंदिर में एक पुजारी ने कराई थी।
पुजारी ने भी नहीं बताया था कि ऐसा कोई कानून है। उसने हम दोनों को ऐसे दस्तावेज भी नहीं दिए कि जिससे हम शादी-शुदा होने का दावा कर सकें। उसका कहना है कि उसकी पत्नी 9वीं तक पढ़ी है। स्कूल में भी उसे ऐसा नहीं पढ़ाया गया। मेरे पिता की मौत हो चुकी है। अब हम ही पति-पत्नी हैं।
अब आगे क्या होगा?
वकील यावर खान बताते हैं कि रेप का केस दर्ज होने पर पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करेगी। उसे कोर्ट के समक्ष पेश करेगी। कोर्ट उसे न्यायायिक अभिरक्षा में भेज सकती है। नाबालिग और उसका नवजात सरकार की गौरवी संस्था के संरक्षण में हैं, इसलिए आगे भी उसे सरकार के इस तरह के आश्रय केन्द्र में रखा जा सकता है।
पुलिस को अब यह कोशिश करनी चाहिए कि मामले में जल्द चार्जशीट दाखिल करे। नाबालिग के बयान दर्ज कराए। जिससे कोर्ट इस मामले में जल्दी फैसला सुना सके। कोर्ट इस तरह के अधिकतर मामलों में कानून के साथ मानवीय आधार पर भी फैसला सुनाती हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि तीन लोगों की जिंदगी से जुड़ा मामला है।
अप्रैल 2019: बिहार में कोर्ट ने पीड़िता के पक्ष में दिया था फैसला
ऐसा ही मामला अप्रैल 2019 में बिहार के नूरसराय थाना क्षेत्र में आया था। जब 17 साल के लड़की और 16 साल की लड़की ने शादी कर ली। लड़की ने कोर्ट को बताया कि वह प्रेमी के साथ स्वेच्छा से भागी थी। अगर पति को सजा दी जाती है, तो उसकी और बच्ची की जान संकट में पड़ जाएगी।
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हर अपराध के लिए सजा देना न्याय नहीं है। अब जब बच्ची जन्म ले चुकी है। उसकी मां यानी नाबालिग लड़की को उसके मां-बाप अपनाने को तैयार नहीं हैं, तो ऐसे में आरोपी किशोर को दंडित कर तीन लोगों की जान खतरे में नहीं डाली जा सकती।
ऐसे में तीन जिंदगियां बर्बाद हो जाएंगी। कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि इस जजमेंट को नजीर बनाकर कोई अन्य पक्षकार खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास नहीं कर सकेगा।
नवंबर 2021: दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से जन्मे बच्चे को जैविक पिता को सौंपा
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऐसे ही मामले में नाबालिग के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ संबंध से जन्मे बच्चे को लड़की की सहमति के बाद दुष्कर्म का आरोप झेल रहे उसके जैविक पिता के हवाले करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि बच्चे को महिला आश्रय गृह में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जहां उसकी मां रहती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की अभी नाबालिग है। उसे संबंधित व्यक्ति के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही, कहा कि उसे बालिग होने तक आश्रय गृह में रखा जाएगा। उसके बाद वह जहां चाहती है, वहां रहने के लिए स्वतंत्र होगी।
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