छत्तीसगढ़

ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम छत्तीसगढ़ द्वारा आजादी के 75 साल :सबक ,चुनौतियां और हमारी भूमिका विषय पर एक संगोष्ठी का किया गया आयोजन

छत्तीसगढ़ / ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) छत्तीसगढ़ द्वारा 9 अप्रैल को रायपुर में आजादी के 75 साल :सबक ,चुनौतियां और हमारी भूमिका विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी की शुरुआत मे आजादी के आंदोलन में हुए शहीदों तथा रूस- यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध मे सैकड़ों की संख्या में मारे गए नागरिकों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई.

संगोष्ठी का संचालन बृजेंद्र तिवारी ने किया. संगोष्ठी को प्रोफेसर मोहित जायसवाल, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के छत्तीसगढ़ संयोजक डा.दीक्षित भीमगड़े, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भीमराव बागड़े,रायगढ़ के आदिवासी नेता बीएस नागेश ,सीपीआई के रायपुर सचिव सोम गोस्वामी, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के छत्तीसगढ़ संयोजक बीएल नेताम ,अखिलेश ऐडगर, प्रेमानंद आदि लोगों ने संबोधित किया.

संगोष्ठी की मुख्य वक्ता अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि अंग्रेजों के कम्पनी राज से लड़कर भारत की आम जनता बड़े बलिदान और शहादत देकर आज़ादी छीन कर लिए. 1857 से आजादी की लड़ाई शुरू हुई.

और तबसे लेकर 1947 तक हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब मिलकर अंग्रेजों की ग़ुलामी से आज़ादी के लिए लड़े. आज प्रधानमंत्री मोदी ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत सिर्फ़ हिंदुओं का देश है और हिंदुओं ने मुग़लों और बौद्धों से भी “आज़ादी” चाहा. पर ये सही नहीं है. राजपूत राजाओं और मुग़लों में लड़ाई धर्मों या देशों के बीच नहीं, बस दो राजाओं के बीच लड़ाई थी.

अकबर के सेनानायक हिंदू थे और महाराणा प्रताप के सेनानायक मुसलमान थे. भारत में तो हर धर्म के लोग आ कर बसे और इस देश के हो गए. अंग्रेज शासन इससे अलग इसलिए था कि वे यहाँ के संसाधनों को लूट कर अपने देश के जाते थे.
आज़ादी के आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ कभी शामिल नहीं था

– गोलवलकर स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को “कमजोर” बताते थे और गोडसे ने गांधीजी की हत्या इसलिए की कि गांधीजी भारत में मुसलमानों को बराबर के नागरिक मानते थे. आज गोलवलकर और गोडसे के भक्त जो कम्पनी राज के एजेंट थे, देश के सत्ता में बैठे हैं. भाजपा और मोदी शासन आज देश के पब्लिक सेक्टर यूनिट

– यानी जो सम्पत्ति देश की जनता की सम्पत्ति है – को नीलाम कर रही है. देश की आजादी की लड़ाई मे शामिल नहीं होने वाले देश को रोज हिंदू बनाम मुस्लिम/ईसाई में बांटने का खेल चला रहे हैं.लोकतंत्र और संविधान की भाषा बोलने वालों को जेल में डाला जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में संविधान को खत्म करने की साज़िश चलाई जा रही है. आजादी के लिए हमें फिर से लड़ना होगा. देश को बेचने व बांटने वाली ताक़तों – यानी भाजपा और संघ की ताक़तों से- लड़कर नफ़रत और लूट से आजादी को लेना होगा.

बस्तर संभाग में आदिवासी ईसाईयों पर हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं की जांच कर लौटे बृजेन्द्र तिवारी ने कहा कि बस्तर संभाग में आदिवासी इसाईयों पर लगातार हमला किया जा रहा है, सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार हो रहा है और छुआछूत किया जा रहा है. पुलिस से शिकायत करने के पश्चात भी दोषियों पर कार्यवाही नहीं की जा रही है.

भाजपा शासन में यह सिलसिला शुरू हुआ अब कांग्रेस का शासन होने के बावजूद पुलिस प्रशासन की भूमिका में कोई फर्क नहीं आया है. संगोष्ठी में मांग किया गया कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर आदिवासी ईसाइयों की सुरक्षा व सम्मान की गांरटी करें.

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