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रहना है बीमारी से दूर तो मनोवैज्ञानिक से परामर्श करें जरूर…

मन के हारे हार है मन के जीते जीत

भिलाई – कोरोना के इस संकट काल में लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है, जो पेशे से मनोवैज्ञानिक, काउंसलर एवं वर्तमान में संस्कार सिटी काॅलेज राजनांदगांव में प्राचार्य के पद पर पदस्थ डाॅ. गुरप्रीत कौर ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक संदेश देना चाहा है जिसमें उन्होने स्पष्ट रूप से यह बताया है। कि हम अपने मन की इच्छा शक्ति से कैसे इस गंभीर समस्या से उबर सकते हैं। डाॅ. गुरप्रीत कौर का यह संदेश क्या है आप भी पढ़िए..
डाॅ. कौर का कहना है कि हमारे जीवन मे परिवर्तन आता रहता है और हम चाहे या ना चाहे उन्हें किसी न किसी रूप में अपनाना ही पड़ता है। आज के वर्तमान समय में सबके जीवन में ऐसा परिवर्तन आया हुआ है, जिसका नाम लेने से भी लोगों को डर लगता है। मुझे लगता है आप सब समझ गए होंगे कि मैं किसकी बात कर रही हूँ। जी हां दोस्तो मैं कोरोना (कोविड19) की बात कर रही हूँ। आप सब इसके बारे में भली भांति जानते हैं। दोस्तों इसमे कोई दो राय नहीं है कि ये बीमारी हमारे राष्ट्र में पैर फैला चुकी है, हम सबकी इससे लड़ाई भी जारी है ।
हम अपने बच्चों को कभी हारना नहीं सिखाते तो फिर हम खुद कैसे हार मान सकते हैं। आप सबसे एक ही बात करना चाहती हूँ। हिम्मत रखिये, सकारात्मक सोचिये, अपने जीवन में नकारात्मकता को घर मत बनाने दीजिये।
आज के समय मे लोग कोरोना से ज्यादा कोरोना के नाम से डर रहे है, क्योंकि यदि कोरोना हुआ तो उन्हें 14 दिन का वनवास काटना पड़ेगा। अपने ही घर मे अलग कमरे में रहना पड़ेगा यह सब सोचकर वो अपनी तबियत ज्यादा बिगाड़ रहे हैं। नकारात्मक बातें ज्यादा सोचने लगते हैं।

आइये कुछ बातों का अनुसरण करें – -अभी जो वक्त आपको मिला है वो आपके अपने लिए है, अपनी पसंद का काम करें।जैसे- संगीत सुनना, पेंटिंग करना, अपने बच्चों के साथ खेलें। -अपने परिवार को वक्त देंवे। -अपनी पसंद की फिल्म देखें। -व्यायाम करें। -योगा करें। -अच्छी किताबें पढ़ें। -खुश रहें और अपनों को भी खुश रखें। -नकारात्मक बातों को सोचना बंद करें।कोरोना के बारे में जो भी समाचार आ रहे हैं , उन्हें देखना बन्द करें।
-यदि किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो हमें निःशुल्क परामर्श हेतु संपर्क करें।

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