छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

डी-कार्बोनाइजेशन की वर्तमान स्थिति तथा कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा…

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र की इस्पात नगरी भिलाई में, आयरन एंड स्टील रिव्यूव मैग्ज़ीन-कोलकाता द्वारा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेटल्स (आईआईएम) भिलाई चैप्टर, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई लोकल सेंटर एवं सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय “भारतीय इस्पात सम्मेलन” (इंडियन स्टील कॉन्फ्रेंस) आयोजित हो रही है। इसके लिए आज 29 अगस्त 2024 को महात्मा गाँधी कला मंदिर में, देश के विभिन्न हिस्सों से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लौह और इस्पात उत्पादक कंपनी, इस्पात निर्माण से संबंधित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी संस्थानों के टेक्नोक्रेट, विशेषज्ञ और प्रतिनिधियों ने ‘डीकार्बोनाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास का महत्व और भूमिका’ विषय पर 5 सत्रों में चर्चा की।

इसके प्रथम सत्र में उद्घाटन के बाद डी-कार्बोनाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास के महत्व और भूमिका पर पैनल चर्चा हुई। इस पैनल चर्चा में पूर्व निदेशक (तकनीकी-सेल) एस एस मोहंती, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रीन स्टील इंडिया के प्रमुख (प्राइमेटल्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) बिस्वदीप भट्टाचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर (मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी-भिलाई) सौम्य गंगोपाध्याय, एसोसिएट प्रोफेसर (मेटलर्जिकल एवं मटेरियल इंजीनियरिंग विभाग, एनआईटी-रायपुर) डॉ सुभाष गांगुली सहित मॉडरेटर के रूप में सीईओ (इंडियन आयरन एंड स्टील सेक्टर स्किल काउंसिल) सुशीम बनर्जी शामिल थे।

पैनल चर्चा में कहा गया कि 2047 के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, जब राष्ट्र स्वतंत्रता के सौ वर्ष मना रहा होगा, इस्पात मंत्रालय ने डीकार्बोनाइजेशन के लक्ष्य की ओर बढ़ने और दीर्घकालिक उद्देश्यों को साकार करने के लिए आवश्यक और सम्बंधित टेक्नोलॉजी लाने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किये हुए है। कौशल विकास क्षेत्र को मजबूत बनाने हेतु स्टील सेक्टर स्किल काउंसिल भी इसी प्रयास का हिस्सा है, ताकि हम निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करके अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों और कंपनी के उद्देश्य को प्राप्त कर सकें।

साथ ही नेट जीरो कार्बन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु अन्य देशो की तुलना में भारत में डी-कार्बोनाइजेशन की वर्तमान स्थिति, कार्बन के उत्सर्जन को कम करने फॉसील से नॉन-फॉसील फ्यूल का उपयोग, रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग, वेस्ट हीट रकव्हरी, स्क्रैप, स्टील मेकिंग प्रोसेस, कार्बन कैप्चर, ब्लास्ट फर्नेस आदि पर भी चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने इसके लिए वित्त के लिए सपोर्ट सिस्टम, मार्केट, इससे सम्बंधित चुनौतियाँ, एक्सिस्टिंग टेक्नोलॉजी के साथ कार्बन फूटप्रिंट को कम करना, ग्रीन प्रैक्टिस, समाधान आदि पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी पर इंटर्नशिप और ग्रेजुएट विद्यार्थी अगर किसी स्टील इंडस्ट्री के साथ उपयोगी टेक्निक, डी-कार्बोनाइजेशन, ग्रीन स्टील, ग्रीन एनर्जी, सस्टेनेबल एनर्जी आदि उपायों या प्रयासों के साथ अल्टरनेट एक्सपेरिमेंट को वर्चुअल से ग्राउंड लेवल एक्सपेरिएंस में बदलते हैं तो स्टील इंडस्ट्रीज़ पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा। पैनलिस्टों ने इंडस्ट्री की लोकेशन, एटमोसफियर, इकोनॉमी के साथ साथ डाटा साइंस, ऑटोमेशन, सॉफ्टवेयर, एनालिटिक्स प्लेटफार्म, सेफ्टी एस्युरेंस, परफोरमेंस और ऐक्शन, पर भी चर्चा की जो कार्बन एमिशन और फूटप्रिंट को नियंत्रित कर सकें। उन्होंने इंडस्ट्री कस्टोमाईजेशन, समाधान, इक्विपमेंट बिल्डर और सप्लायर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन हाइड्रोजन की आवश्यकता और इसके मूल्य पर भी जोर दिया।

दूसरे सत्र में इस सम्मेलन का मुख्य प्रतिवेदन निदेशक (आईआईटी,भिलाई) प्रोफेसर राजीव प्रकाश तथा निदेशक (एनआईटी, रायपुर) डॉ एन वी रमना राव द्वारा दिया गया। इस प्रतिवेदन में प्रमुख रूप से ग्रीन हाइड्रोजन- सस्टेनेबिलिटी का भविष्य, ग्रीन हाइड्रोजन की लागत, इससे सम्बंधित आवश्यक टेक्नोलॉजी, जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना ग्रीन स्टील निर्माण, कार्बन-फुट प्रिंट को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन एक संभावित ऊर्जा समाधान, H₂ पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा, इस्पात उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन और बुनियादी ढांचे के विकास से सम्बंधित मुद्दे और चिंताओ, ग्रीन हाउस गैस एमिशन, सिग्नेफिकेंस डिमांड और ग्रोथ, इस्पात उत्पादन को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने लो कार्बन इकोनॉमी के दबाव में लो कार्बन उत्पादित इस्पात निर्माण के लिए इनोवेशन, कार्बन कैप्चर, सस्टेनेबल इन्वेस्टमेंट, गवर्मेंट क्राइटेरीया, ग्लोबल एंड लॉन्गटर्म सस्टेनेबिलिटी, क्लाइमेट चेंज आदि पर ध्यान आकर्षित किया।

तीसरे सत्र में “नई सोच: नेक्स्ट-जेन स्टील बिल्डिंग समाधान के साथ बेहतर निर्माण करें, तेजी से निर्माण करें” विषय पर सीओओ एपीएल (अपोलो बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) ब्रजेश नाहर, “डी-कार्बोनाइजेशन के लिए कैपेक्स मुक्त पहल” विषय पर निदेशक (आरएंडडी, इनोवेशन-अभिटेक एनर्जीकॉन लिमिटेड), “जेएसडब्ल्यू स्टील: स्टील उद्योग का डीकार्बोनाइजेशन” विषय पर (एवीपी-सस्टेनेबिलिटी-जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड) बादल बालचंदानी द्वारा, प्राइमेटल्स टेक्नोलॉजीज इंडिया से “एचआरसी: स्टील फ्लैट उत्पादों में एक ‘गेम चेंजर’ उत्पाद” विषय पर सहायक उपाध्यक्ष (तकनीकी बिक्री) कौस्तुव गांगुली और सौगत दास, महाप्रबंधक (तकनीकी प्रस्ताव) द्वारा, डेनियली इंडिया से “डेनियली की अत्याधुनिक रेल और सेक्शन मिल प्रौद्योगिकी” सहायक महाप्रबंधक (बिक्री)  निशांत जुयाल तथा “डीकार्बोनाइजेशन का महत्व और भूमिका: आयरन ब्लास्ट फर्नेस को डीकार्बोनाइज करना” विषय पर एसएमएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अभिनव प्रसून द्वारा तकनीकी पेपर प्रस्तुत किये गए। इस सत्र के अध्यक्ष, पूर्व सीईओ (आरएसपी-सेल) अश्विनी कुमार और प्रतिवेदक सीजीएम (एसपी, बीएसपी-सेल) अनूप दत्ता द्वारा सारांश प्रस्तुत किया गया।

चौथे सत्र में “डायरेक्ट रिडक्शन तकनीक के माध्यम से ग्रीन पिग आयरन उत्पादन की ओर टेनोवा का दृष्टिकोण: टेनोवाइब्लू®” विषय पर सीनियर वीपी (टेनोवा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड) प्रवीण चतुर्वेदी, “भारतीय इस्पात क्षेत्र की डीकार्बोनाइजेशन यात्रा” विषय पर ब्लास्ट फर्नेस के प्रमुख (टाटा स्टील) पद्मपाल, “रेल, ट्रांसफॉर्मर शीट, सीमलेस पाइप, हाई टेंसाइल प्लेट आदि जैसे प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर अनुप्रयोगों के लिए स्टील” विषय पर एजीएम (टीआरएल क्रोसाकी) राजेश घोष, “सेंट्रा वर्ल्ड: डीकार्बोनाइजेशन पाथवेज में प्रौद्योगिकी और एआई की भूमिका: एआई-एलईडी सीओ2 उत्सर्जन निगरानी और रिपोर्टिंग” विषय पर सह संस्थापक और सीईओ (सेंट्रा वर्ल्ड) हर्ष चौधरी, प्राइमेटल्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से “मेरोस – लौह अयस्क संकुलन के लिए अनुकूलित गैस क्लीनिंग” विषय पर  सत्यकी दासगुप्ता, महाप्रबंधक (प्रस्ताव और तकनीकी बिक्री -स्टील निर्माण) तथा “रिफ्रेक्ट्रीज और ग्रीन स्टील” विषय पर आरएचआई (मैग्नेसिटा) कौशिक दासगुप्ता द्वारा तकनीकी पेपर प्रस्तुत किये गए। इस सत्र के अध्यक्ष, पूर्व कार्यपालक निदेशक संचालन-सेल वी धवन और प्रतिवेदक सीजीएम (बीआरएम – बीएसपी, सेल) योगेश शास्त्री द्वारा सारांश प्रस्तुत किया गया।

पांचवे सत्र में “स्टील उद्योग के लिए इनोवेटिव रिफ्रैक्टरीज के साथ आत्मनिर्भरता बनाना” विषय पर सर्वेश रिफ्रैक्टरीज के कुशाल अग्रवाल, जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड से “संरचनात्मक अनुप्रयोगों में कम क्रोमियम फेरिटिक स्टेनलेस-स्टील ग्रेड (आईआरएस 350 सीआर) के उपयोग का विकास” विषय पर  प्रणय कुमार यादव, हरक्यूलिस से “फ्लैट और लॉन्ग रोलिंग मिलों के लिए उन्नत रोल शॉप तकनीकें” विषय पर मनीष अरोड़ा, आरआईएनएल से “सतत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवश्यक प्री स्ट्रेस्ड ग्रेड वायर रॉड की संपत्ति की आवश्यकता” विषय पर अनिल कुमार तथा बोकारो स्टील प्लांट से “संसाधन दक्षता और तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से लौह और इस्पात में जीएचजी में कमी” विषय पर नितेश रंजन द्वारा तकनीकी पेपर प्रस्तुत किये गए। इस सत्र के अध्यक्ष पूर्व कार्यपालक निदेशक (परिचालन, सेल) ए देवदास और प्रतिवेदक सीजीएम इंचार्ज (आयरन, बीएसपी-सेल) तापस दासगुप्ता द्वारा सारांश प्रस्तुत किया गया।

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