राजनीति

Loksabha Election: 2024 से पहले चर्चा में यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट, जानें क्यों गठबंधन में शुरू हुई रार?

प्रयागराज. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की राजनीति कर्मभूमि फूलपुर संसदीय क्षेत्र रहा है. लेकिन 2024 में इंडिया गठबंधन में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस सीट से चुनाव लड़ने को लेकर जहां यह सीट चर्चाओं में बनी हुई है. वहीं अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के इस सीट पर चुनाव लड़ाने को लेकर इस कार्यकर्ताओं की ओर से जारी पोस्टर से सियासी घमासान तेज हो गया है.

फूलपुर संसदीय सीट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो फूलपुर लोकसभा सीट देश की आजादी के बाद से ही वीवीआईपी सीटों में शुमार रही है. यह सीट देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की राजनीतिक कर्मभूमि रही है. देश की आजादी के बाद लगातर तीन बार 1952, 1957 और 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पंडित जवाहर लाल नेहरु में देश का नेतृत्व किया. उनके बाद इस सीट पर 1967 में विजय लक्ष्मी पंडित, 1969 में जनेश्वर मिश्र, 1971 में विश्व नाथ प्रताप सिंह, 1977 में राम पूजन पटेल, 1980 में प्रो. बी.डी.सिंह, 1984, 1989 और 1991में लगातार तीन बार राम पूजन पटेल ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

वहीं 1996 में जंग बहादुर पटेल, 1999 में धर्मराज पटेल, 2004 में सपा से अतीक अहमद और 2009 में बसपा से कपिलमुनि करवरिया निर्वाचित होकर फूलपुर का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर केशव प्रसाद मौर्या ने तीन लाख से ज्यादा वोटों के अन्तर से फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. केशव प्रसाद मौर्य ने ही इस सीट पर पहली बार कमल खिलाया था. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 325 सीटें जिताकर भाजपा की प्रचण्ड बहुमत की सरकार बनाने पर एक बार फिर से पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्या को डिप्टी सीएम की अहम जिम्मेदारी दी.

डिप्टी सीएम बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्या के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बड़ा उलट फेर करते हुए भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को हरा दिया था.और इसी पर सपा के नागेंद्र सिंह पटेल सांसद चुने गए. हालांकि इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से इस सीट पर बीजेपी की केशरी देवी पटेल ने जीत दर्ज की. केसरी देवी पटेल ही इस सीट की मौजूदा सांसद हैं.

इस सीट पर 1951 से लेकर अब तक तीन बार उपचुनाव हो चुका है

फूलपुर सीट पर तीन बार उपचुनाव हो चुका है. वर्ष 1951 से लेकर अब तक इस सीट पर 20 बार चुनाव हुआ है. इस सीट पर पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरु के निधन के बाद 1964 में उपचुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की थी. वहीं दूसरी बार विजय लक्ष्मी पंडित के निधन के बाद 1969 में उपचुनाव हुआ, जिसमें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जनेश्वर मिश्रा ने जीत दर्ज की. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की स्थिति से खाली हुई सीट पर हुए तीसरे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के नागेंद्र सिंह पटेल ने जीत दर्ज की.

कितनी बार किस दल को जीत मिली

इस सीट पर सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस और पांच बार सपा ने जीत दर्ज की है. बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी सीट पर एक बार जीत दर्ज की. जबकि भाजपा को भी फूलपुर लोकसभा सीट पर 2014 और 2019 में जीत मिली है.

कुर्मी मतदाता निर्णायक भूमिका में 

फूलपुर लोकसभा सीट में पटेल यानी कुर्मी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. यही वजह है कि इस सीट पर कई बार पटेल सांसद बने. मौजूदा समय में भी बीजेपी से केशरी देवी पटेल फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. यही वजह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम फूलपुर से चुनाव लड़ने के लिए आगे किया जा रहा है, ताकि न केवल भारी मतों के अंतर से फूलपुर की सीट जीती जा सके, बल्कि इसके आसपास जिलों की सीटों पर भी विपक्षी गठबंधन असर डाल सके. वहीं फूलपुर से वाराणसी में पीएम मोदी के चुनाव को भी चुनौती देने की विपक्ष की रणनीति तैयार हो रही थी. लेकिन इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा के फूलपुर से चुनाव लड़ाए जाने की कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग ने विपक्षी गठबंधन में ही असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है. दरअसल प्रयागराज नेहरू गांधी खानदान का पैतृक शहर है.

यहीं पर आनंद भवन और स्वराज भवन भी है. देश की आजादी के आन्दोलनों में आनंद भवन और स्वराज भवन की बड़ी भूमिका थी. यहां पर देश की आजादी के आंदोलन के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. लेकिन पिछले कई दशकों से प्रयागराज कांग्रेस के केंद्र में नहीं रहा है. यही वजह है कि पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से अपना वजूद तलाश रही कांग्रेस बार-बार राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को प्रयागराज से चुनाव लड़ाकर उसे पुनर्जीवित करना चाहती है. कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि अगर प्रयागराज को कांग्रेस केंद्र में रखती है और गांधी खानदान का कोई शख्स प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है, तो इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को पूरे प्रदेश में मिल सकता है.

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