Chennai DGP नौकरी के आखिरी दिन डीजीपी ने पहनी खूनी धब्बों वाली कैप
राजीव गांधी हत्याकांड के दौरान हुए थे जख्मी
Chennai DGP फिलिप ने जो बैच लगाया उस पर भी खून के निशान थे। लोकल कोर्ट ने उन्हें रिटारमेंट वाले दिन 1991 की ड्रेस पहनने की अनुमति दी थी। इसके लिए उनसे एक लाख रुपये का बॉन्ड भरवाया गया।
अपनी नौकरी के आखिरी दिन Chennai DGP ट्रेनिंग आईपीएस डॉ. प्रतीप वी फिलिप ने खून के धब्बों वाली वो कैप पहनी जो राजीव गांधी हत्याकांड के समय उन्होंने पहनी थी। फिलिप ने जो बैच लगाया उस पर भी खून के निशान थे। लोकल कोर्ट ने उन्हें रिटारमेंट वाले दिन 1991 की ड्रेस पहनने की अनुमति दी थी। इसके लिए उनसे एक लाख रुपये का बॉन्ड भरवाया गया।
बार एंड बेंच के मुताबिक 1991 में फिलिप सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर कार्य कर रहे थे। जब राजीव गांधी की हत्या की गई तबह वह उनकी सुरक्षा में तैनात थे। बम ब्लास्ट में वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। अभी भी उनके शरीर में स्टील की प्लेटें फिट हैं। उन्हें प्रेजीटेंड पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके वकील का कहना था कि आईपीएस की इच्छा थी कि वह नौकरी के आखिरी दिन वो ही कैप और नेम बैज लगाएं जो 1991 के ब्लास्ट के दौरान उन्हें पहना था। ये दोनों चीजें मामले की सुनवाई के दौरान साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल की गई थीं। इनके ऊपर आज भी खून के निशान हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में मानव बम धनु ने विस्फोट करके हत्या कर दी थी। इस धमाके में कुल 18 लोगों की जानें गईं। धमाका इतना जबरदस्त था कि राजीव के परखच्चे उड़ गए थे। उनके जूते और कलाई पर बंधी घड़ी से उन्हें पहचाना गया। राजीव की हत्या के लिए पूरी साजिश रची गई थी। उसमें लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण और कई लोगों का हाथ था। इस मामले में सात लोगों पर हत्या का जुर्म साबित हुआ। ये सभी 30 सालों से जेल में हैं।
खास बात है कि राजीव गांधी के हत्यारों को सोनिया गांधी सहित गांधी-नेहरू परिवार ने माफ कर दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान एक हजार गवाहों ने लिखित बयान दिए। 288 गवाहों से जिरह हुई। 1477 दस्तावेज कोर्ट में जमा किए गए थे। विशेष अदालत ने राजीव गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
हालांकि 2015 में तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने सभी को रिहा करने का फैसला किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों- मुरगन, संतन, अरिवु, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तब तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य सरकारें ऐसे दोषियों की सजा केंद्र सरकार से परामर्श किए बिना माफ नहीं कर सकती जिनकी जांच सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने की हो। राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले से उत्पन्न हुए संवैधानिक मुद्दों को सुलझाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यों को माफी देने का अधिकार है लेकिन वे इसे स्वत: संज्ञान लेते हुए नहीं कर सकते।