छत्तीसगढ़

बदलता दन्तेवाड़ा: नई तस्वीर : ई-लाइब्रेरी में युवा गढ़ रहें अपना सुनहरा भविष्य

दंतेवाड़ा / जिले के अधिकांश बच्चे दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते है। भौगोलिक वातावरण परिस्थितियों के कारण अधिकांश जिज्ञाशु छात्र, छात्राओं को पुस्तकालय अथवा पढने के लिये पुस्तक उपलब्ध नही हो पाता है।

जिला प्रशासन द्वारा संचालित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुस्तकालय योजना के तहत विकासखंड स्तर के हाई, हायर सेकंडरी, कस्तुरबा गांधी बालिका एवं पोटाकेबिन आवासीय विद्यालय, छात्रावास, आश्रमों में आवश्यक किताबों की व्यवस्था है,

परंतु बच्चों को इन मे से निकटतम संसाधन में उपलब्धता के आधार पर ही उनके रुचि का पुस्तक मिल पाता था और अपनी रुचि के अनुरूप पुस्तक जिला मे ही किसी अन्यत्र संसाधन मे उपलब्ध रहने पर भी उसका लाभ बच्चों को नही मिल रहा था।

इस तरह संसाधनों की कमी के साथ-साथ उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग नही होना भी एक प्रमुख समस्या बनी हुई थी। कोविड काल मे शालायें, आश्रम इत्यादि बंद रहने के कारण समस्या मे और इजाफा हुआ।

ई-लाइब्रेरी का उपयोग कर युवा अब अपने सुनहरे भविष्य के लिए भरपूर मेहनत कर रहे हैं। जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा एक वेब आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से जिले मे संचालित सभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रंथालयों को जिला ग्रंथालय के साथ जोडते हुये एक ई-लाईब्रेरी की स्थापना की गई।

जिले में अध्ययनरत सभी छात्र, छात्रायें के साथ अधिकारी, कर्मचारी, अधिवक्ता, पत्रकार, नागरिक इस ई-लाईब्रेरी का लाभ उठा सकते है, इन सभी का इस ई-लाईब्रेरी मे पंजीयन किया गया है।

अब बच्चे अथवा कोई भी ग्रन्थालय के सदस्य अपनी रुचि के अनुरूप पुस्तक को जिले का कुल 213 पुस्तकालयों में से चुन सकते है और अपने लिये मंगवा सकते है इस व्यवस्था से अब जिले में मांग के आधार पर किताबों का आपूर्ति करने की सुविधा हो रहा है।

जिसे किताबों का आपूर्ति मे युक्तीकरण (Rationalization) कह सकते है यह व्यवस्था बच्चों को आसानी से किताबे उपलब्ध कराने के साथ-साथ नागरिकों मे पुस्तक पठन के प्रति रुचि बढाने मे भी सहायक सिद्ध हो रहा है।

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