रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय ने 54 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी सुभाष शर्मा और उसके सहयोगियों के 9 ठिकानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी रायपुर, पाटन समेत अनेक जगहों पर की गई. इस छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को 10 लाख रुपये की नकदी समेत अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं.
प्रवर्तन निदेशालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से दर्ज की गई विभिन्न एफआईआर के आधार पर दर्ज किया गया था. सीबीआई और राज्य पुलिस द्वारा 54 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से संबंधित मुकदमे दर्ज किए गए थे.
जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को पता चला कि दिसंबर 2009 से दिसंबर 2014 के बीच सुभाष शर्मा ने अपनी कंपनियों के जरिए बैंकों से फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी मुहैया कराकर करोड़ों रुपये के लोन लिए, यह भी आरोप है कि लोन के पैसों से अनेक अचल संपत्तियां दूसरी फर्जी कंपनियों के नाम पर खरीदी गई.
अदालत ने पूछताछ के लिए हिरासत में भेजा था
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच के दौरान अनेक महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठे किए. इन सबूतों के आधार पर मामले के मुख्य आरोपी सुभाष शर्मा को 6 मार्च 2022 को गिरफ्तार किया गया,
जहां से अदालत ने उसे 16 मार्च 2022 तक पूछताछ के लिए भी हिरासत में भेज दिया था. हिरासत में पूछताछ के दौरान अनेक महत्वपूर्ण तथ्य मिलने पर प्रवर्तन निदेशालय ने सुभाष शर्मा और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की.
छापे में 10 लाख रुपये की नगदी भी बरामद हुई
ईडी का दावा है कि इस छापेमारी के दौरान अनेक ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनमें प्रॉपर्टी अलग-अलग कंपनियों और अलग-अलग लोगों के नाम पर हैं. आरंभिक तौर पर यह भी पता चला है
कि इनमें अनेक लोग सुभाष शर्मा से जुड़े रिश्तेदार भी हैं. इसके साथ ही छापेमारी के दौरान 10 लाख रुपये की नगदी भी बरामद हुई है. सुभाष शर्मा से हुई पूछताछ के आधार पर ईडी की जांच जारी है.
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