यूपी चुनाव: आज जारी होगी भाजपा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट? अखिलेश यादव को चौंकाने की तैयारी
उत्तर प्रदेश प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का सिलसिला शुक्रवार से शुरू हो गया। हालांकि भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची अभी तक जारी नहीं की है। मकर संक्रांति के मौके पर सूची जारी होने की उम्मीद लगाई जा रही थी। अब यह सूची शनिवार को जारी होने की उम्मीद है। हालांकि कई पार्टी नेता रविवार की भी संभावना जता रहे हैं।
उधर, भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की दिल्ली में फिर 18 जनवरी को बैठक प्रस्तावित है। इसमें पार्टी आगे के चरणों के नामों को भी फाइनल करेगी। पार्टी में अभी तक 300 से ज्यादा सीटों पर मंथन हो चुका है और करीब 172 नाम फाइनल किए जा चुके हैं लेकिन पहले और दूसरे चरण की कुछ सीटों पर पेंच फंसा है। कुछेक ऐसी सीटें भी खाली रखी गई हैं, जहां दूसरे दलों के कुछ नेताओं से बातचीत चल रही है।
कुछ बड़े नामों के जरिए जवाब देने के मूड में भाजपा
भाजपा से स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, दारा सिंह चौहान सहित कई विधायकों के इस्तीफे के बाद अब भाजपा भी जवाबी कार्रवाई के मूड में है। रिश्ते में मुलायम सिंह के समधी लगने वाले सिरसागंज विधायक हरिओम को पार्टी शामिल कर चुकी है। सैफई परिवार से जुड़े एक और सदस्य के भी भाजपा में आने की चर्चाएं हैं। गोरखपुर क्षेत्र के एक बड़े नेता भी संपर्क में बताए जा रहे हैं। वहीं कभी बसपा का ब्राह्मण चेहरा कहे जाने वाले रामवीर उपाध्याय भी शनिवार को भाजपाई होने जा रहे हैं। इसके अलावा भी कई और नामों की चर्चा है।
संभावित प्रत्याशियों में कई सांसद-एमएलसी भी
विधान परिषद सदस्य ठाकुर जयवीर सिंह को भी अलीगढ़ की बरौली सीट से लड़ाने की योजना है। जयवीर उस इलाके के कद्दावर नेता होने के साथ ही सजातीय वोटों पर पकड़ भी रखते हैं। भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप विधान परिषद और राज्यसभा सदस्य रहे हैं। उन्हें चरथावल से उतारा जा सकता है। इसके अलावा पार्टी वरिष्ठ नेता और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को फिर मैदान में उतारने की तैयारी में है। पार्टी कुछ राज्यसभा सांसदों को भी मैदान में उतार सकती है। ऐसे संभावित चेहरों में ब्रजलाल, गीता शाक्य, बीएल वर्मा भी हो सकते हैं। हालांकि वर्मा फिलहाल केंद्र में मंत्री हैं। शिवप्रताप शुक्ला का कार्यकाल भी 2022 में खत्म होने जा रहा है।
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है बीजेपी
भाजपा इस चुनाव में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास की चाशनी में पगे हिन्दुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। वहीं उसकी मुख्य विरोधी समाजवादी पार्टी किसी तरह चुनाव को अगड़े-पिछड़े के एजेंडे पर ले जाना चाहती है। भाजपा ने भी विपक्षी तरकश के तीरों से निपटने की भरपूर प्लानिंग कर रखी है। भाजपाई रणनीतिकारों ने बीते तीन दिनों में दिल्ली में सिर्फ टिकटों पर ही मंथन नहीं किया बल्कि आगे की चुनावी रणनीति को भी अंतिम रूप दिया है। पीएम मोदी के रूप में भाजपा जहां अपने सबसे बड़े ब्रांड को चुनावी घोषणा से पहले ही आगे कर चुकी है।
यूपी में इस साल बीजेपी के पास योगी जैसा फायरब्रांड नेता
वहीं योगी जैसा फायरब्रांड चेहरा भी इस चुनाव में पार्टी के पास है, जो 2017 में नहीं था। इनके अलावा भाजपा अपने प्रदेश स्तरीय और बड़े इलाकाई क्षत्रपों का भी प्रयोग करने की योजना बनाई है। योगी अभी एमएलसी हैं। उनको अयोध्या से लड़ाकर पार्टी जहां उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि का लाभ लेना चाहती है, वहीं राममंदिर मुद्दे को भी 2024 तक लगातार चर्चा में रखना चाहती है। दरअसल 2024 तक भव्य मंदिर निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
केशव प्रसाद मौर्य को आगे कर पूर्वांचल साधने की कोशिश
इसके अलावा विधान परिषद सदस्य केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू से लड़ाकर पूर्वांचल में लाभ लेने की योजना है। पिछला विधानसभा चुनाव केशव मौर्य के प्रदेश अध्यक्ष काल में ही लड़ा गया था, जिसमें पार्टी को पिछड़ों का बंपर वोट मिला था। वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के जरिए भी पार्टी प्रदेश के कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को रिझाना चाहती है। वे भी विधान परिषद में हैं। एमएलसी डॉ. दिनेश शर्मा पार्टी के ब्राह्मण चेहरों में शुमार हैं। उनके लिए भी लखनऊ में सीट खोजी जा रही है।
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