
भिलाई नगर। स्वच्छ भारत मिशन 2•0 अंतर्गत प्रशिक्षण सह भ्रमण कार्यक्रम इंदौर (म प्र) में आयोजित हुआ। जिसमें आज डोर टू डोर कचरा कलेक्शन एवं आईसीएसीसी ( ICACC ) डोर टू डोर मे लगे वाहन, श्रमिको का मानीटरिंग एक स्थान पर एक ही भवन के निचे 85 वार्डो को 22 जोन कम्प्यूटर में एक विशेष ऐप के माध्यम से किया जाता है।
जिसका महापौर नीरज पाल ,आयुक्त राजीव कुमार पांडेय, कार्यपालन अभियंता सुनील जैन ,स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली के अलावा छत्तीसगढ नगर निगम के महापौर , कमिश्नर, कार्यपालन अभियंताओ द्वारा अवलोकन कर बारीकी से जानकारी प्राप्त किया गया है। इस अवसर पर महापौर श्री पाल ने इंदौर में हो रहे दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में जन जागरूकता जैसे विषयों पर केंद्रित अपने अनुभवों को सांझा किया ।
महापौर पॉल ने बताया कि शहर को स्वच्छ रखने और कचरा प्रबंधन में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य नागरिकों को कचरा प्रबंधन के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उन्हें कचरा अलग करने, पुन: उपयोग करने और वैज्ञानिक तरीके से निपटान करने के लिए प्रेरित करना है।
प्रशिक्षण के मुख्य बिंदु, कचरा पृथक्करण, नागरिकों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना है, जिससे कि कचरे का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण आसान हो सके। शहर में घर-घर जाकर कचरा संग्रहण की व्यवस्था को मजबूत किया जाता है, ताकि सड़कों पर कचरा न फैला रहे।
कचरा प्रबंधन:
कचरे को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है,जैसे कि कचरे से खाद बनाना या जैव ऊर्जा उत्पन्न करना।
महापौर ने बताया कि नागरिकों को स्वच्छता के महत्व और कचरा प्रबंधन में उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। प्रशिक्षण के लाभ हैं स्वच्छता प्रशिक्षण से शहर में स्वच्छता का स्तर बढ़ता है और बीमारियों का खतरा कम होता है।
कचरा प्रबंधन से पर्यावरण और प्रकृति को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलती है। साथ ही गीले कचरे से खाद, बायोगैस और जैव ऊर्जा बनाने से आर्थिक लाभ होती है । सामाजिक प्रशिक्षण से नागरिकों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है।
इंदौर का ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल, जो स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की सफलता का एक मुख्य कारण है, अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा है। इस मॉडल में, कचरा प्रबंधन को एक सामुदायिक प्रयास के रूप में देखा जाता है, जिसमें सभी नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है।
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