छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

भविष्य का शहर, अतीत की नींव पर, भिलाई इस्पात संयंत्र की टाउनशिप में नवजीवन का संचार…

भिलाई – 1955 में जब भिलाई इस्पात संयंत्र की नींव रखी गई थी, तब यह एक औद्योगिक परियोजना होने के साथ साथ भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और योजनाबद्ध नगरीय विकास की नींव भी थी। 1959 में संयंत्र से पहली बार लोहा निकलते ही देश की औद्योगिक यात्रा ने एक नया मोड़ लिया। इस संयंत्र ने इस्पात उत्पादन में देश को सशक्त करते हुए एक आदर्श नगर के रूप में भिलाई टाउनशिप की परिकल्पना को साकार किया।

1960 और 70 के दशकों में जब संयंत्र के लिए 13 सेक्टरों का निर्माण हुआ, तब इस आवासीय सुविधा ने संयंत्र कर्मियों के लिए एक ऐसा जीवन भी सुनिश्चित किया जिसमें कार्य और जीवन का संतुलन, हरियाली, खुले मैदान, उद्यान, सड़कें, विद्यालय, अस्पताल और नागरिक संरचनाएं शामिल की गयीं। यही कारण है कि भिलाई टाउनशिप दशकों तक ‘हरित नगरी’ के रूप में जानी गई।

लेकिन समय के प्रवाह में, कुछ संरचनाएं जर्जर हुईं, कुछ सड़कें उपेक्षा की शिकार बनीं और टाउनशिप की मूल चमक मद्धम पड़ने लगी। फिर भी, यह केवल एक विराम था, अंत नहीं। अब, भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा “हर माह एक नया काम” जैसे सशक्त अभियान के माध्यम से शहर के पुनरुद्धार की एक नई कथा लिखी जा रही है।

नवीनीकरण की नई धारा –

नगर सेवाएं विभाग ने जिस प्रतिबद्धता से इस अभियान को मूर्त रूप दिया है, वह प्रशंसनीय है। जर्जर सड़कों की चौड़ीकरण, मरम्मत और रिकारपेटिंग से लेकर पुराने आवासों एवं क्लबों व कम्युनिटी केन्द्रों के जीर्णोद्धार तक, हर पहल पर कार्य योजनाबद्ध और गतिशील है। यह महज रखरखाव नहीं, बल्कि नागरिकों को फिर से गरिमामय, स्वच्छ और संरक्षित जीवन देने का यत्न है जो लोगों के विश्वास, गौरव और सामुदायिक जुड़ाव को भी पुनर्जीवित कर रहा है।

योगमय पहल: सूर्य नमस्कार की कलात्मक अभिव्यक्ति –

इसी अभियान के तहत, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर केंद्रित, टाउनशिप में एक अद्वितीय सांस्कृतिक प्रतीक की स्थापना की गई है। सेक्टर-9 स्थित पं. रविशंकर शुक्ल चौक पर सूर्यनमस्कार की बाढ़ मुद्राओं का प्रदर्शन करतीं भव्य कलात्मक मूर्तियां स्थापित की गई है, जो भारतीय योग परंपरा को आधुनिक कलात्मक शैली में समर्पित एक प्रेरणास्पद उदाहरण है।

इस कलाकृति में सूर्य नमस्कार के 12 आसनों को संयंत्र के अपने स्टील प्लेटों से निर्मित किया गया है। इसकी डिजाइनिंग संयंत्र के टाउन आर्किटेक्ट, उमाशंकर राव द्वारा की गई है, यह न केवल संयंत्र की तकनीकी दक्षता, बल्कि उसकी सांस्कृतिक चेतना का भी परिचायक है।

योजनाबद्ध परिवर्तन की दिशा में आने वाले महीनों में नगर सेवाएं विभाग द्वारा सेक्टरवार उद्यानों के नवीनीकरण, सार्वजनिक स्थलों के सौंदर्यीकरण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु नई प्रणालियों के क्रियान्वयन की योजनाएं हैं। यह प्रयास दर्शाता है कि भिलाई केवल एक औद्योगिक केंद्र नहीं, बल्कि एक जीवंत, विकसित और जागरूक नागरिक समुदाय का भी प्रतीक है।

शहर की आत्मा फिर से मुस्कुरा रही है भिलाई इस्पात संयंत्र का यह निरंतर अभियान बताता है कि जब नेतृत्व में स्पष्टता हो और कार्य में निरंतरता हो, तो कोई भी शहर – चाहे वह कितना भी पुराना क्यों न हो – फिर से नवयुवक की भांति ऊर्जावान बन सकता है। “हर माह एक नया काम” सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि टाउनशिप के हर निवासी के लिए एक भरोसे की आवाज़ बन चुका है।

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