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भिलाई में विश्व पृथ्वी दिवस पर तकनीकी प्रस्तुतीकरण आयोजित: आईईआई भिलाई शाखा एवं बीएसपी के पर्यावरण प्रबंधन विभाग का संयुक्त आयोजन…

भिलाई/ भिलाई इस्पात संयंत्र के पर्यावरण प्रबंधन विभाग तथा द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर पर दिनांक 22 अप्रैल 2025 को एक तकनीकी प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य महाप्रबंधक (शक्ति एवं पर्यावरण) राजीव पाण्डेय तथा अतिथि वक्ता के रूप में आईआईटी, भिलाई के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक, डा. शैलेन्द्र कुमार उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के चेयरमैन पुनीत चौबे ने की। मुख्य अतिथि राजीव पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि “आज हम पृथ्वी माँ का जन्म दिवस मना रहे हैं। भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाएं पृथ्वी के संरक्षण हेतु संकल्पबद्ध हैं, किंतु इस दिशा में प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी।

श्री पाण्डेय ने भारत के पंचामृत संकल्प का उल्लेख करते हुए बताया कि “माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत ने सीओपी-26 सम्मेलन में 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता और 50 प्रतिशत ऊर्जा की आपूर्ति अक्षय स्रोतों से करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, इस दिशा में तीव्रता से कार्य कर रहा है।

मरोदा बाँध में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, वहीं नंदिनी में भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की सोलर रूफ टॉप योजना से सभी को जुड़ना चाहिए, जिससे नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

विशिष्ट अतिथि डा. शैलेन्द्र कुमार ने अपने तकनीकी प्रस्तुतीकरण में अक्षय ऊर्जा स्रोतों एवं उन्हें राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने की प्रक्रियाओं का विस्तृत परिचय दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत की कुल ऊर्जा आपूर्ति का लगभग 53–55 प्रतिशत हिस्सा ताप विद्युत पर निर्भर है। डा. कुमार ने कहा कि यद्यपि सौर ऊर्जा की अवधारणा नई नहीं है, परंतु बीते दो दशकों में इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।

उन्होंने बताया कि भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा योगदान है, किंतु इसे ग्रिड से जोड़ने में तकनीकी चुनौतियाँ हैं जिन पर शोध चल रहा है। उन्होंने आईआईटी, भिलाई में स्थापित पवन चक्की परियोजना का भी उल्लेख किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में पुनीत चौबे ने कहा कि सरकार, नागरिकों एवं संस्थाओं को मिलकर यह प्रयास करना होगा कि विश्व की ऊर्जा आवश्यकताओं का बड़ा हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जाए।

उन्होंने सोलर पैनलों के भविष्य में उत्पन्न होने वाले निपटान संकट की ओर संकेत करते हुए कहा कि शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थाओं को इस दिशा में अभी से समाधान खोजना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में आईईआई भिलाई शाखा के मानसेवी सचिव बसंत साहू ने स्वागत भाषण में अतिथियों का स्वागत करते हुए वर्ष 2025 के लिए पृथ्वी दिवस की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” (Our Power, Our Planet) पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य अक्षय ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बनाना है। कार्यक्रम में विश्व पृथ्वी दिवस से संबंधित विषयों पर एक रोचक क्विज़ का आयोजन भी किया गया, जिसका संचालन महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन विभाग) के प्रवीण ने किया। इस अवसर पर आईईआई, भिलाई केंद्र के कॉर्पोरेट सदस्य एवं सेल के पूर्व कार्यकारी निदेशक हृदय मोहन द्वारा लिखित आलेख “सूर्य के प्रकाश से समाधान तक: भारत की हरित ऊर्जा क्रांति” का भी वितरण किया गया।

कार्यक्रम में पूर्व निदेशक, जिला साक्षरता समिति व प्रोफेसर डी. एन. शर्मा, महाप्रबंधक प्रभारी (पर्यावरण प्रबंधन विभाग) श्रीमती उमा कटोच, आईईआई, भिलाई शाखा के पूर्व चेयरमैन प्रदीप तिवारी, महाप्रबंधक बी. पी. यादव, चैतन्य वेंकटेश्वर सहित एनएसपीसीएल व एसीसी के वरिष्ठ अधिकारी, आईईआई के सदस्यगण एवं भिलाई-दुर्ग के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विक्की शाह ने किया।

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