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विश्व स्वास्थ्य पर बीएसपी जेएलएन अस्पताल में “उन्नत नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम” आयोजित…

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय, सेक्टर-9 स्थित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र (जेएलएनएचआरसी) में विश्व स्वास्थ्य दिवस-2025 के अवसर पर “उन्नत नवजात पुनर्जीवन” विशिष्ट चिकित्सा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नवजात स्वास्थ्य पर केंद्रित इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवजात शिशुओं की आपातकालीन देखभाल में चिकित्सकीय दक्षता को सुदृढ़ करना था।

कार्यक्रम में कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. रवींद्रनाथ एम., मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, साथ ही विशिष्ट अतिथियों में मुख्य चिकित्सा अधिकारीगण डॉ. विनीता द्विवेदी, डॉ. कौशलेंद्र ठाकुर एवं डॉ. सौरव मुखर्जी सम्मिलित थे। यह आयोजन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं विभाग कि अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष (शिशु रोग व नवजात चिकित्सा विभाग) डॉ. संबिता पंडा के नेतृत्व में किया गया।

उन्नत नवजात पुनर्जीवन विशिष्ट चिकित्सा कार्यक्रम के प्रशिक्षण सत्र का मार्गदर्शन डॉ. पवन जैन, डॉ. आकाश लालवानी, डॉ. निलय मोजार्कर, डॉ. ज्ञानेश मिश्रा और डॉ. माला चौधरी जैसे ख्यातिप्राप्त राष्ट्रीय प्रशिक्षकों की विशेषज्ञ टीम द्वारा किया गया। प्रशिक्षण सत्र में प्रतिभागियों को अत्याधुनिक नैदानिक कौशल प्रदान किए गए।

डॉ. रवींद्रनाथ एम. ने अपने सारगर्भित संबोधन में विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशावादी भविष्य” के आलोक में कार्यक्रम की प्रासंगिकता को रेखांकित किया और नवजात पुनर्जीवन प्रशिक्षण के जीवन रक्षक प्रभावों तथा शिशु स्वास्थ्य परिणामों में इसके दीर्घकालिक लाभों पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. रवींद्रनाथ ने कहा कि इस तरह के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, जटिल नवजात स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रबंधन में चिकित्सकों को दक्ष बनाते हैं और यह पहल न केवल बीएसपी अस्पताल के नवजात देखभाल मानकों को सुदृढ़ करती है, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा उत्कृष्टता की दिशा में भी एक उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने पीडियाट्रिक्स एवं नियोनेटोलॉजी विभाग की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम बीएसपी मुख्य चिकित्सालय द्वारा गुणवत्तापूर्ण नवजात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो उत्कृष्टता-संचालित स्वास्थ्य सेवा संस्कृति को निरंतर सशक्त करता है।

इस अवसर पर स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष (शिशु रोग व नवजात चिकित्सा विभाग) डॉ. संबिता पंडा ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कार्यक्रम नवजात पुनर्जीवन तकनीकों में कार्यरत स्वास्थ्य पेशेवरों के कौशल उन्नयन, गुणवत्तापूर्ण देखभाल की उपलब्धता तथा नवजात मृत्यु दर में संभावित कमी की दिशा में एक प्रभावी पहल है।

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