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अमेरिकी मांग के सामने नहीं झुके भारत, अपनी प्राथमिकता तय करे, जानें क्या चाहते हैं ट्रंप?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर जवाबी सीमा शु्ल्क लगाने की घोषणा कर चुके हैं। अगर ट्रंप कल शुल्क लगाते हैं तो भारत का रुख क्या होगा? शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने मंगलवार को कहा कि व्यापार नीतियों में संशोधन के लिए अमेरिका के निरंतर दबाव के बीच भारत को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, वृद्धि लक्ष्यों और सांस्कृतिक मूल्यों के नजरिये से अमेरिका की प्रत्येक मांग का दृढ़तापूर्वक आकलन करना चाहिए। गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी और भारतीय प्रतिनिधि ट्रेड डील करने के लिए मिले थे लेकिन वर्ता पूरी नहीं हो पाई।

अमेरिकी ट्रेड नीति भारत के लिए खतरा

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की राष्ट्रीय व्यापार अनुमान (NTE) रिपोर्ट-2025 पर टिप्पणी करते हुए जीटीआरआई ने कहा कि कृषि, डिजिटल अनुपालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में प्रस्तावित कई बदलाव भारत की अपने छोटे किसानों की रक्षा करने, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने,

गहरी जड़ें जमाए सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने और अपने डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने की क्षमता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। यूएसटीआर की रिपोर्ट में अमेरिका और भारत के बीच कई व्यापार और नियामकीय चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें शुल्क, गैर-शुल्क बाधाएं, बौद्धिक संपदा, सेवाएं, डिजिटल व्यापार और पारदर्शिता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

कई बातें भारत को मंजूर नहीं होंगी 

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “अधिकांश मुद्दे पहले की रिपोर्ट के ही दोहराए गए हैं। कुछ का समाधान हो चुका है और अब वे प्रासंगिक नहीं हैं।” भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों पर उन्होंने कहा कि अमेरिका इसे ‘बहुत सख्त मानता है, लेकिन कल्पना करें कि एक ऐसी गाय के दूध से बना मक्खन खाना, जिसे दूसरी गाय का मांस और खून खिलाया गया हो।

भारत शायद कभी इसकी अनुमति न दे।’ भारत के डेयरी आयात प्रतिबंधों में जानवरों को दूसरे जानवरों का मांस, खून और आंतरिक अंग न खिलाए जाने की शर्त, अमेरिकी डेयरी तक पहुंच को अवरुद्ध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के लिए भारत की डिजिटल व्यापार नीतियां विशेष रूप से विवादास्पद हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डेटा के स्थानीयकरण को अनिवार्य कर दिया है, जिसके तहत विदेशी भुगतान सेवा प्रदाताओं को भारतीयों के ब्योरे को घरेलू स्तर पर संग्रहीत करना होगा।

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