
हाईकोर्ट का स्टे, फिर भी घोषित हुआ निर्विरोध चुनाव
वार्ड 35 शारदा पारा के पार्षद इंजीनियर सलमान को संभागायुक्त द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने राज्य सरकार में अपील की। हालांकि, राज्य सरकार ने उनकी अपील को अस्वीकार कर दिया और संभागायुक्त के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद इंजीनियर सलमान ने हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी, जहां से 28 जनवरी 2025 को उनके पक्ष में स्टे आदेश जारी किया गया।
स्टे के बावजूद भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध विजयी घोषित
इसी बीच वार्ड में आचार संहिता लागू हो गई और चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज सिन्हा के भाजपा में शामिल होने और नाम वापस लेने के कारण 31 जनवरी 2025 को भाजपा प्रत्याशी चंदन यादव को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया।
हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने का आरोप
इंजीनियर सलमान ने 29 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट के स्टे आदेश की कॉपी रिटर्निंग ऑफिसर सुमित अग्रवाल, उपजिला निर्वाचन अधिकारी वीरेंद्र सिंह, राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह, दुर्ग कलेक्टर रिचा प्रकाश चौधरी और भिलाई नगर निगम आयुक्त राजीव पांडे को सौंपी थी। उन्होंने चुनाव रद्द करने की मांग की ताकि संवैधानिक संकट न उत्पन्न हो। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और चंदन यादव को निर्वाचन प्रमाण पत्र दे दिया।
राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले रोका, फिर हटाई रोक
इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। लेकिन 21 फरवरी 2025 को सरकार के दबाव में आकर इस रोक को हटा दिया गया, जिससे विवाद और गहरा गया।
इंजीनियर सलमान ने दायर की अवमानना याचिका
इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना को देखते हुए इंजीनियर सलमान ने अपने वकील बी.पी. सिंह के माध्यम से न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court) याचिका दायर की। यह याचिका राज्य निर्वाचन आयोग की उपसचिव डॉ. नेहा कपूर, राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह, दुर्ग कलेक्टर रिचा प्रकाश चौधरी, उपजिला निर्वाचन अधिकारी वीरेंद्र सिंह, रिटर्निंग ऑफिसर सुमित अग्रवाल और भिलाई नगर निगम आयुक्त राजीव पांडे के खिलाफ दायर की गई है।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब
कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए डॉ. नेहा कपूर और अजय सिंह को अगली सुनवाई तक सभी दस्तावेजों के साथ जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, अन्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
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