
भिलाई इस्पात संयंत्र ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) विभाग ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें समाज में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से एक और अनूठी पहल की है।
भिलाई इस्पात संयंत्र का सीएसआर विभाग हमेशा से ही सामाजिक उत्थान और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करता रहा है। इस पहल के अंतर्गत भिलाई इस्पात संयंत्र ने “ड्राइविंग और ट्रैफिक रिसर्च संस्थान, प्रशिक्षण केंद्र, नवा रायपुर (आईडीटीआर)” के साथ मिलकर महिलाओं को निःशुल्क लाइट मोटर वाहन ड्राइविंग प्रशिक्षण प्रदान कर कर रहा है।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है। आईडीटीआर के सहयोग से महिलाओं को ड्राइविंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उन्हें वाहन चलाने का आत्मविश्वास मिल रहा है।
प्रशिक्षण में महिलाओं को सड़क सुरक्षा, ट्रैफिक नियम, वाहन चलाने की तकनीक और वाहन का रखरखाव सिखाया गया। इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च परिवहन विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो छत्तीसगढ़ राज्य में पेसेंजर और कमर्शियल वाहन चालकों को सुरक्षित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है।
यह पहल न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अवसर प्रदान करती है,बल्कि उन्हें सुरक्षित और सक्षम ड्राइवर बनाकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में भी सहायक है। अब महिलाओं के लिए ड्राइविंग जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में भी सफलता की राह खुली है, और इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि जब महिलाएं ठान लें तो कोई भी कार्य उनके लिए कठिन नहीं होता।
इस प्रशिक्षण के प्रथम सत्र का शुभारंभ 20 मई 2024 को हुआ था। इस प्रशिक्षण के तहत अब तक बीएसपी के सीएसआर विभाग ने 3 बैच भिलाई में तथा एक बैच रायपुर में आयोजित किया है। ड्राइविंग प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रत्येक बैच में 16 महिलाओं को चयनित किया जाता है।
सीएसआर विभाग के सेक्टर 5 कार्यालय में कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार ने इस प्रशिक्षण के पहले बैच का उद्घाटन किया था। पवन कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले बैच के लिए ड्राइविंग सिम्युलेटर शुरू किया और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
इस दौरान महिला प्रशिक्षुओं ने अपनी आकांक्षाओं को साझा किया, जिसमें उन्हें अपनी ज़िंदगी को सुधारने और अपने परिवारों को आर्थिक मदद देने की इच्छाएं थीं। डीआईजी (सीआईएसएफ) सुश्री प्रतिभा अग्रवाल ने महिलाओं के प्रयासों की सराहना की और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया।
सुश्री अग्रवाल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा,“हम महिलाओं पर कई जिम्मेदारियां होती हैं, विशेषकर बच्चों की शिक्षा और संस्कार की। यह ड्राइविंग प्रशिक्षण आपकी स्वतंत्रता को बढ़ाएगा और समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करेगा। आयुक्त (नगर निगम रिसाली) श्रीमती मोनिका वर्मा ने प्रशिक्षु महिलाओं से अपील की कि वे पूरी एकाग्रता से ड्राइविंग सीखें ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें और समाज में एक नई दिशा की शुरुआत कर सकें।
प्रशिक्षण में महिलाओं को न केवल गाड़ी चलाने की तकनीकी जानकारी दी जा रही है, बल्कि उन्हें यातायात नियमों की भी गहरी समझ दी गई, ताकि वे सड़क पर सुरक्षित और जिम्मेदार ड्राइवर बन सकें। प्रशिक्षकों ने उन्हें विभिन्न प्रकार की गाड़ियों को चलाने के कौशल से परिचित कराया और सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के उपाय भी बताए।
इस पहल के अंतर्गत, एलएमवी लाइसेंस से सम्बन्धित औपचारिकताएं और व्यावहारिक-तकनीकी प्रशिक्षण भी दी जा रही है। इस पहल के तहत, क्लासरूम प्रशिक्षण और सिम्युलेटर प्रशिक्षण सीएसआर कॉम्प्लेक्स, सेक्टर-5, भिलाई में प्रदान किया जा रहा है। जबकि व्यावहारिक प्रशिक्षण भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उपलब्ध कराए गए निर्धारित स्थान पर दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, सभी महिला लाभार्थियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जा रहा है। आईडीटीआर लाभार्थियों के लाइसेंस के लिए भी आवेदन करेगा, आगे की प्रक्रिया के लिए लाभार्थी महिलाओं को संबंधित आरटीओ के समक्ष ड्राइविंग टेस्ट देना होगा।
प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पूरी तरह से निःशुल्क है, जिससे उन महिलाओं को भी इस अवसर का लाभ मिला जो आर्थिक रूप से ड्राइविंग स्कूल की फीस वहन करने में सक्षम नहीं थीं। भिलाई इस्पात संयंत्र की यह पहल महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है।
इस प्रशिक्षण ने महिलाओं के जीवन में एक नई ऊर्जा भर दी। अब वे न केवल स्वतंत्र रूप से वाहन चला सकती हैं, बल्कि उन्होंने समाज में अपनी एक नई पहचान बनाई और उनका सामाजिक प्रभाव भी बढ़ा है। ड्राइविंग सीखने के बाद कई महिलाओं ने अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में वाहन का इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे उनकी यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाया जा सका।
इसके अलावा, कई महिलाओं ने इस प्रशिक्षण को रोजगार के एक नए अवसर के रूप में देखा और उन्हें टैक्सी सेवा, ड्राइवर की नौकरी या अन्य क्षेत्रों में भी अवसर मिलना शुरू हो गया। इससे उनके आर्थिक विकास में भी मदद मिली। यह कार्यक्रम सिर्फ ड्राइविंग प्रशिक्षण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता भी मिली। वे अब अपने परिवहन, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान सुलझाने में भी सक्षम हैं।
भिलाई इस्पात संयंत्र का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है। इस पहल ने न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने में मदद की, अपितु समाज में उनकी भूमिका को भी सशक्त किया है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के सीएसआर विभाग की यह पहल एक मिसाल बन गई है, जो अन्य संगठनों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। “ड्राइविंग और ट्रैफिक रिसर्च संस्थान, प्रशिक्षण केंद्र, नवा रायपुर” के सहयोग से महिलाओं को ड्राइविंग प्रशिक्षण देने का यह कार्यक्रम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे