दुर्ग / छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के तत्वाधान में एवं प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग डॉ. प्रज्ञा पचौरी के मार्गदर्शन में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला/प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 16 जनवरी 2025 को जिला न्यायालय दुर्ग के अतुर्थमाला स्थित न्यू सभागार स्थल में किया गया।
आयोजित कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में श्रीमती संगीता नवीन तिवारी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आईवी एफटीसी (पॉक्सो) दुर्ग, श्रीमती सुनीता टोप्पो, चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग एवं सुश्री सुरभि धनगढ़ प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी दुर्ग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
वहीं कार्यशाला में प्रतिभागियों के रूप में कार्यालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग व कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के महिला कर्मचारीगण, कार्यालय कलेक्टर दुर्ग, कार्यालय पुलिस अधीक्षक, दुर्ग, जिला एवं जनपद पंचायत कार्यालय दुर्ग, सहायक श्रमायुक्त कार्यालय विद्युत विभाग, विद्यालय/महाविद्यालय के प्राध्यापकगण व आयुक्त नगर निगम दुर्ग कार्यालय के विभिन्न अधिकारीगण / कर्मचारीगण के अलावा लीगल एड डिफेंस कौंसिल सिस्टम दुर्ग के कौंसिल एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के समस्त पैरालीगल वालेन्टियर्स बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के संबंध में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए श्रीमती संगीता नवीन तिवारी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आईवी एफटीसी (पॉक्सो) दुर्ग द्वारा कार्यशाला में उपस्थिति प्रतिभागियों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के संबंध में बताते हुए उक्त अधिनियम बनाने में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997 में पारित निर्णय अनुसार विशाखा दिशा-निर्देश के अहम योगदान होने के बारे में चर्चा कर उक्त अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक महिला को इस एक्ट की जानकारी आवश्यक होना व्यक्त कर संबंधित अधिनियम/कानून क्या है।
तथा इसे बनाया जाना क्यों जरूरी हुआ व उक्त अधिनियम कहाँ-कहाँ लागू होता है तथा इस अधिनियम के तहत शिकायत किन समितियों के समक्ष कौन, कैसे कर सकता है तथा शिकायत होने के बाद समिति द्वारा कार्यवाही किस प्रकार की जाती है के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को उनके द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का विधिनुरूप समुचित उत्तर देते हुए उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।
श्रीमती सुनीता टोप्पो, चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग द्वारा अपने उद्बोधन में कहा कि कोई भी ऐसा कार्य जिससे महिलाओं में क्षोब व्याप्त हो उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। किसी भी अधिनियम के बनने के बाद उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता होती है। इसलिए प्रत्येक महिला को उक्त अधिनियम के संबंध में जागरूक होना आवश्यक है, जो इसी प्रकार कार्यशाला आयोजित किये जाने से संभव हो सकता है।
सुश्री सुरभि धनगढ़, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी दुर्ग द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों से कहा गया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडन (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के तहत कोई भी कामकाजी महिला प्रोटेक्शन प्राप्त कर सकती है।
इनके द्वारा आगे बताया गया कि संबंधित एक्ट का उपयोग कैसे किया जा सकता है तथा उक्त अधिनियम के सारगर्भित बातों से उपस्थित प्रतिभागियों को अवगत कराया गया। उक्त आयोजित कार्यशाला के समापन अवसर पर आशीष डहरिया सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग द्वारा उपस्थितजनों को कार्यशाला में सम्मिलित होने धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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