सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-2 ने ऑपरेशन कार्य प्रणाली में सुरक्षा संबंधी सुधारों को बेहतर करने के लिए ऑटो कपलर सिस्टम लगाने की योजना बनाई है। ऑटो कपलर को इन-हाउस संसाधनों के माध्यम से कनवर्टर ‘ए’ और लेडल नंबर 28 की स्टील कार में फिट किया गया है और सफलतापूर्वक परीक्षण किए गए हैं।
एसएमएस-2 के कन्वर्टर ‘ए’ में नव स्थापित ऑटो-कपलर सिस्टम का उद्घाटन, भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता द्वारा 28 नवंबर 2024 को किया गया। इस अवसर पर इस अवसर पर संयंत्र के कार्यपालक निदेशक प्रभारी (वर्क्स) अंजनी कुमार, कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) डॉ अशोक कुमार पंडा, कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार और कार्यपालक निदेशक (प्रचालन) राकेश कुमार उपस्थित थे।
साथ ही मुख्य महाप्रबंधक (एसएमएस-2) एस के घोषाल और एसएमएस-2 के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण इस उद्घाटन कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस परियोजना को मुख्य महाप्रबंधक (एसएमएस-2) एस के घोषाल के कुशल नेतृत्व में सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
जिसमें महाप्रबंधक (कनवर्टर, मैकेनिकल) के राजकुमार, महाप्रबंधक (कनवर्टर, मैकेनिकल) एस के मलिक, महाप्रबंधक (कनवर्टर, ऑपरेशन) राजीव श्रीवास्तव, महाप्रबंधक (कनवर्टर, इलेक्ट्रिकल) सिजॉय जैकब, उपमहाप्रबंधक (इंस्ट्रूमेंटेशन) कमलेश्वर शर्मा शामिल थे।
वर्तमान में स्टील लेडल्स में पर्जिंग होज़ को जोड़ने और अलग करने के लिए मैन्युअल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जो कि एक जोखिमपूर्ण प्रक्रिया है। ऑटो-कपलर सिस्टम की स्थापना से न केवल मैनुअल हस्तक्षेप खत्म होगा बल्कि समय की बचत होगी और प्रक्रिया से सुरक्षा संबंधी खतरा भी खत्म होगा। इस उपलब्धि के लिए, सयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता और कार्यपालक निदेशकों ने एसएमएस-2 के साथ-साथ सभी सहयोगी विभागों को भी बधाई दी।
स्टील बनाने और लेडल के माध्यम से परिवहन की प्रक्रिया में, टैपिंग के दौरान फेरो-एलॉय के मिश्रण की तकनीकी आवश्यकता होती है। लिक्विड स्टील को कंटीन्यूअस कास्टिंग के लिए भेजे जाने से पहले उस मिश्रण को समरूप (होमोजेनाइजेश्ड) बनाना पड़ता है। इस दौरान थर्मल स्ट्रेटिफिकेशन के प्रभाव को भी ध्यान रखा जाता है। स्टील लेडल की ऑनलाइन पर्जिंग, इन्हीं प्रक्रियाओं से सम्बंधित विषयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
स्टील की लेडलों को नीचे की ओर पर्जिंग प्लग के साथ लगाया जाता है, जो लिक्विड स्टील में निष्क्रिय गैसों को इंजेक्ट करने की अनुमति देते हैं। जिससे स्टील बनाने की प्रक्रिया में, तापमान और रसायनिक क्रिया हेतु उचित समरूपता (होमोजेनाइजेशन) की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा किया जा सके।
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