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NMDC, SECL की लापरवाही पर बृजमोहन के तेवर सख्त, लोकसभा में उठाया मामला…

रायपुर नई दिल्ली / रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल लोकहित के मामलों को लोकसभा में लगातार उठाते जा रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने नियम 377 के तहत छत्तीसगढ़ में NMDC, SECL की लापरवाही के कारण होने वाली जनहानि और किसानों को हुई परेशानी को लेकर जनता की आवाज लोकसभा में बुलंद की।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, केंद्र सरकार के उपक्रम किरंदुल स्थित NMDC और कोरबा SECL की अनदेखी और लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ वासियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किरंदुल में NMDC और कोरबा में SECL की खदान है। जिनका डैम टूट जाने के कारण लोहा एवं कोल बेस्ड युक्त पानी सैकड़ों गांवों में फैल गया है। जिससे हज़ारों किसानों के घर और फसलें चौपट हो गई है।

जिस कारण राज्य के अन्नदाताओं को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।  लाल एवं काले पानी के आवासीय इलाकों में जमा रहने के कारण आम लोगों का जीवन भी बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है। आमजन आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ बीमारी का भी शिकार हो गए।

श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, हाल ही में छत्तीसगढ़ में भारत सरकार के उपक्रम के 3 डैम टूट चुके हैं। जिससे इलाके में बाढ़ आ गई। SECL, कुसमुंडा प्रोजेक्ट के माइनिंग सहायक प्रबंधक, जितेन्द्र नागरकर की डूबने से मौत की भी खबर है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों और आम जनता में भारी रोष व्याप्त है। बृजमोहन अग्रवाल ने दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग के साथ ही किसानो और आम जनता को हुई आर्थिक हानि की भरपाई के लिए स्पेशल की मांग की है।

SECL की ओपन कास्ट माइन से हो रहे हादसों पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने जताई चिंता

रायपुर / छत्तीसगढ़ में NMDC, SECL की लापरवाही के कारण होने जनता को होने वाली परेशानियों को देखते सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल में लोक महत्व का मुद्दा उठाया। बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि, छत्तीसगढ़ की SECL ओपन कास्ट कोयला परियोजनाओं, खादानों में कोयले के खनन करने के बाद नियमानुसार उसे वापिस भरकर पुरानी स्थिति में लाना एवं उसके ऊपर वृक्षारोपण करने की बाध्यता है।

लेकिन SECL ने 50 से अधिक खदानों से कोयला तो निकाल लिया। रिक्लेमिनेषन के नाम पर अरबों रूपये खर्च भी किए जा चुके है। लेकिन उन्हें पुरानी स्थिति में नहीं लाया गया, न ही उनके ऊपर वृक्ष लगाए गए। जिसके कारण खदानों में पानी भरने एवं खुले रहने के कारण वहां लगातार दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

जिसमे बड़ी संख्या में ग्रामीणों और पशुओं की मौत भी हो रही है। साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। जिस कारण क्षेत्रीय लोगों में नाराजगी, गुस्सा एवं भय का वातावरण बना हुआ है। बृजमोहन अग्रवाल ने कोयला मंत्रालय से दोषी अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कारवाई और खुली खदानों के जल्द पुनर्वास की मांग की है।

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