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सोने के बदले ₹20000 तक का लोन, जानिए क्या है RBI का मकसद, क्या होगा असर…

Gold Loan: सोना सिर्फ आभूषण नहीं बल्कि मुश्किल वक्त का साथी भी माना जाता है. तिजोरी में रखा सोना सिर्फ श्रृंगार नहीं बल्कि मुश्किलों दिनों में आर्थिक मदद भी करता है. लोग सोने के बदले लोन लेकर आपकी जरूरतों को पूरा करते हैं, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गोल्ड लोन को लेकर नियम में बदलाव किया है. आरबीआई ने गोल्ड लोन के नियम में बदलाव किया है.  भारतीय रिजर्व बैंक  ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से कहा है कि वे इनकम टैक्स कानूनों के अनुरूप सोने के बदले लोन देते समय 20000 रुपये से अधिक कैश का  भुगतान न करें.

गोल्ड के बदले नियम 

रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन को लेकर एनबीएफसी को सख्त दिशा निर्देश दिए हैं. आरबीआई ने एनबीएफसी से कहा कि वे इनकम टैक्स कानूनों के अनुसार गोल्ड लोन देते समय 20,000 रुपए से ज्यादा कैश का भुगतान न करें. रिजर्व बैंक ने सोने के बदले कर्ज देने वाले  फाइनेंसर और सूक्ष्म-वित्त संस्थानों को सलाह दी है कि वो आयकर अधिनियम की धारा 269एसएस का पालन करें.

बता दें कि आयकर अधिनियम की धारा 269एसएस में प्रावधान है कि कोई व्यक्ति भुगतान के निर्दिष्ट तरीकों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई जमा या लोन स्वीकार नहीं कर सकता है. इस धारा में नकदी की स्वीकृत सीमा 20,000 रुपये है. इस परामर्श के कुछ सप्ताह पहले आरबीआई ने आईआईएफएल फाइनेंस के निरीक्षण के दौरान कुछ चिंताएं नजर आने के बाद उसे गोल्ड लोन देने या वितरित करने से रोक दिया था.

क्या होगा ग्राहकों पर असर  

रिजर्व बैंक की इस सलाह पर टिप्पणी करते हुए मणप्पुरम फाइनेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) वी पी नंदकुमार ने कहा कि इसमें नकद कर्ज देने के लिए 20,000 रुपये की सीमा दोहराई गई है. उन्होंने कहा कि मणप्पुरम फाइनेंस के आधे कर्ज ऑनलाइन माध्यम से वितरित किए जाते हैं और शाखाओं से मिलने वाले ऋण के लिए भी ज्यादातर ग्राहक सीधे ट्रांसफर को प्राथमिकता देते हैं.

RBI ने क्यों लिया फैसला, क्या है इरादा ?

आरबीआई ने यह निर्देश तब दिया, जब गोल्ड लोन मुहैया कराने वाली कपछ एनबीएफसी स्पष्टीकरण के लिए आरबीआई के पास पहुंची थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई ने डिपार्टमेंट ऑफ सुपरविजन ने इसके बाद गोल्ड लोन को लेकर 20 हजार रुपये तक के कैश की सलाह दी.

इन लोगों को कर्ज लेने में होगी परेशानी 

इंडेल मनी के सीईओ उमेश मोहनन ने कहा कि इस निर्देश से पारदर्शिता और बेहतर अनुपालन लाने में मदद मिलेगी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों को लोन बांटने में थोड़ी दिक्कत होगी. ग्रामीण इलाकों में कई लोगों के औपचारिक बैंकिंग प्रणाली का हिस्सा न होने से प्रभाव पड़ सकता है. मोहनन ने कहा कि यह निर्देश अनजाने में हाशिए पर मौजूद तबकों को आपात स्थिति में भी गोल्‍ड लोन तक पहुंच बनाने से बाधित कर सकता है जिससे वित्तीय पहुंच सीमित हो सकती है.

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