छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

भिलाई इस्पात संयंत्र ने भारतीय रेलवे को R-350 हीट-ट्रीटेड रेल की दूसरी रेक भेजी….

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने 20 अप्रैल 2024 को 260 मीटर लंबाई वाली R-350 हीट-ट्रीटेड रेल की 1000 टन की दूसरी रेक भारतीय रेलवे को भेजी। भारतीय रेलवे, हायर एक्सल लोड के साथ रेल परिवहन को और भी तेज करने के लिए आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर है। इसके लिए भारतीय रेलवे की ओर से, सेल द्वारा उत्पादित माइक्रो-अलॉय रेल और हीट-ट्रीटेड रेल दोनों की मांगों में बढोत्तरी हुई है।
भिलाई इस्पात संयंत्र, छह दशकों से भी अधिक समय से भारतीय रेलवे की वांछित ग्रेड में रेल की मांगों को पूरा कर रहा है। संयंत्र अपने आधुनिक यूनिवर्सल रेल मिल से 130 मीटर वाली दुनिया की सबसे लंबी रेल बनाता है। साथ ही भारतीय रेलवे को 260 मीटर वेल्डेड रेल पैनल की भी आपूर्ति करता है।

भिलाई इस्पात संयंत्र ने माइक्रो-अलॉय रेल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, नए 60 ई-1 प्रोफाइल के साथ R-260 रेल का एक नया ग्रेड विकसित किया था। जिसे संयंत्र द्वारा जुलाई 2022 से रोल आउट कर भारतीय रेलवे को आपूर्ति किया जा रहा है। रेल के इस नए ग्रेड उत्पाद की मानक और विशिष्टताएं, बीएसपी द्वारा पूर्व में उत्पादित ग्रेड-880 या यूटीएस-90 रेलों की तुलना में अधिक है, यहाँ तक कि ये यूरोपीयन मानक से भी बेहतर है।

संयंत्र की आधुनिक यूनिवर्सल रेल मिल ने, R-260 ग्रेड रेल के नियमित उत्पादन के साथ भारतीय रेलवे की मांग के अनुसार, हीट-ट्रीटेड रेल की ट्रेल रोलिंग शुरू की थी। सेल के अनुसंधान विंग आरडीसीआईएस में सफल परीक्षणों और भारतीय रेलवे के अनुसंधान विंग आरडीएसओ से मंजूरी के बाद, R-350 HT रेल का वाणिज्यिक उत्पादन, अक्टूबर 2023 में यूनिवर्सल रेल मिल में शुरू हुआ। 260 मीटर लंबाई में 1000 टन R-350 HT रेल की पहली खेप, 31 अक्टूबर 2023 को भेजी गई थी।

ये विशेष ग्रेड हीट-ट्रीटेड रेल, अभी भारत के दक्षिणी भागों में फील्ड परीक्षणों के अधीन है। कई बार एक्सल लोड अधिक होने के साथ साथ ट्रेनों की गति तेज और धीमी होने के परिणामस्वरूप, ट्रेनों के पहिये और पटरियों के बीच घर्षण अधिक होता है। रेल परिवहन के ऐसे हिस्सों में पहिये और पटरियों के बीच घर्षण को कम करने के लिए यह विशेष ग्रेड हीट-ट्रीटेड रेल सबसे उपयुक्त है।

बीएसपी ने वृक्षारोपण कर मनाया विश्व पृथ्वी दिवस

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर 22 अप्रैल, 2024 को टाउनशिप के सेक्टर-6 क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) डी एल मोइत्रा, महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) सुश्री उमा कटोच, महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन)  के प्रवीण, उप महाप्रबंधक (टीएसडी) विष्णु पाठक, उप महाप्रबंधक (टीएसडी) डॉ एन के जैन, सहायक महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) सुश्री बी अनुराधा सहित पर्यावरण प्रबंधन और टाउनशिप विभागों के अन्य अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे।

मुख्य महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) डी एल मोइत्रा ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर टाउनशिप के कर्मचारियों और नागरिकों को धरती मां की रक्षा के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक अपने छोटे-छोटे प्रयासों जैसे प्लास्टिक के उपयोग से बचना, पेड़ लगाना, कचरा कम फैलाना आदि के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को रोकने में अपना योगदान दे सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने स्थापना काल से ही पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। बीएसपी ने अपने संयंत्र परिसर, टाउनशिप और खदानों में 50 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं। इसके अतिरिक्त अपने सीएसआर पहल के तहत सड़क किनारे वृक्षारोपण प्रयासों में भी योगदान दिया है।

वृक्षारोपण गतिविधियों के अलावा, बीएसपी ने पिछले कुछ वर्षों में उत्सर्जन को कम करने, पानी के पुनर्चक्रण और कचरे के पुनःउपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं। हाल ही में संयंत्र ने अपने आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण गतिविधियों में ग्रीन टेक्नोलाॅजी का समावेश किया है, जिससे ऊर्जा की खपत और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी सुनिश्चित हुई है। साथ ही बीएसपी ने वर्ष 2030-31 तक अपने कार्बन फुटप्रिंट को 2 टन/टीसीएस तक कम करने की महत्वाकांक्षी यात्रा के लिए सर्वोत्तम प्रयासों का समावेश किया है।

भिलाई इस्पात संयंत्र ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों के तहत फ्लू गैस कार्बन डाइऑक्साइड को पेट्रोलियम-ग्रेड इथेनॉल में परिवर्तित करने हेतु पायलट-स्केल प्लांट स्थापना के लिए एक फर्म के साथ समझौता किया है। यह अभिनव परियोजना कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने की बीएसपी की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

इसके अतिरिक्त, बीएसपी ने 1 जनवरी 2024 से एमओईएफसीसी और यूनिडो के सहयोग से विषैले ट्रांसफाॅर्मर आॅइल का पर्यावरण-अनुकूल तरीके से निपटान के लिए अत्याधुनिक प्लांट का परिचालन प्रारंभ किया है। यह संयंत्र पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का पहला संयंत्र है और पूरे देश की जरूरतों को पूरा करेगा। यह सभी प्रयास पृथ्वी दिवस के अवसर पर, बीएसपी के सतत विकास और बेहतर कल को सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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