छत्तीसगढ़दुर्गभिलाई

अगर छात्र बोर्ड रिज़ल्ट को लेकर तनाव मे हैं तो पेरेंट्स इन बातों का जरूर रखे ध्यान…

भिलाई / खास चर्चा भिलाई की मनोवैज्ञानिक मोनिका साहू के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे परिणाम का दिन नज़दीक आता जा रहा है छात्रों के दिन की धड़कन और बढ़ने लगी है। 10वीं और 12वीं के छात्रों के चेहरों पर तनाव अब साफ देखा जा सकता है। लेकिन ये तनाव कई बार घातक भी साबित हो जाता है। यही कारण है कि इस वक्त छात्रों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। उनके डर को समझें और उनसे बात करें। ज़रुरी है कि मनोवैज्ञानिक की लें सलाह।

State bord 10वीं और 12वीं का रिज़ल्ट जारी कर रहा है लिहाज़ा थोड़ी टेंशन होना आम बात है लेकिन अगर छात्र कुछ ज्यादा ही तनाव में हो और कुछ संदेह वाली बात करे तो घरवालों को चाहिए कि वो तुरंत मनोवैज्ञानिक की सलाह लें। या फिर किसी काउंसलर के पास जाएं। जो तनाव से घिरे छात्र को समझा सके और उनके मन को शांत कर सके।

छात्रों पर दें ध्यान

रिज़ल्ट आने से पहले और रिज़ल्ट आने के बाद भी छात्रों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। साल भर की मेहनत का फल अगर अपेक्षा के मुताबिक न आए तो तनाव होना लाज़िमी है। लिहाज़ा रिज़ल्ट आने से पहले ही उन्हे समझाना चाहिए कि ये कोई आखिरी मौका नही है और उन्हे हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

बच्चों पर न बनाएं दबाव

सबसे ज्यादा जरुरी है कि बच्चों की तुलना करते हुए उनपर किसी तरह का दबाव न बनाएं। क्योंकि इसी से छात्र सबसे ज्यादा तनाव में आता है। अभिभावकों को चाहिए कि वो अपनी इच्छाएं बच्चों पर न थोपें बल्कि उनकी इच्छाओं का सम्मान करें। और उनके मन की बातों को जानें।

न करें इग्नोर

अगर छात्र का रिज़ल्ट अच्छा नहीं भी आया तब भी छात्र को इग्नोर नहीं करना चाहिए। क्योंकि शोध में कई बार सामने आया है कि कई बार ये अनदेखी बच्चों के करियर पर विपरीत असर डालती है। बच्चे अपनी इसी अनदेखी के चलते गलत कदम उठा लेते है। इसलिए जरूरी है कि नाराज़गी और अनदेखी के बजाय उनसे नरमी और प्यार से पेश आए ताकि वो खुद को दोषी न समझें।

बच्चों की परीक्षा में पेरेंट्स रखें इन बातों का ख्याल, जानें मनोविज्ञानिक का सुझाव

मनोवैज्ञानिक मोनिका साहू ने बताया कि सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर खूब सफल हो उसे हर क्षेत्र में हमेशा सफलता हासिल हो. बच्चों की परीक्षाओं के साथ ही पेरेंट्स की परीक्षा भी शुरू हो जाती है. अपने बच्चों की खुशी के लिए उन्हें कई तरह के त्याग करने के साथ ही हर स्तर पर अपनी परीक्षा भी देनी पड़ती है. लेकिन इसके अलावा भी कुछ है, जो सभी माता-पिता को जरूर करना चाहिए. बच्चों को मोटिवेट करके दोनों की टेंशन कुछ हद तक कम हो सकती है.

बदलते दौर की बात करें तो परीक्षाओं के दौरान अभिभावक बच्चों से अच्छे नंबर की उम्मीद करते हैं. इसलिए वह कई बार जाने अनजाने में बच्चों पर दबाव भी बनाने लगते हैं. लेकिन कहीं ना कहीं यही दवाब अब बच्चों के लिए घातक भी साबित हो रहा है. जी हां अच्छे नंबर लाने की जुगत में बच्चे इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं और परिणाम से संतुष्ट ना होने से वह गलत कदम से उठा लेते हैं

जिस तरीके से अभिभावक बच्चों को मोबाइल दे देते हैं. उससे अभिभावक अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं. बच्चे भी मोबाइल की दुनिया में ऐसे खो जाते हैं कि उनका साथी मोबाइल ही बन जाता है. लेकिन जीवन में जब वह किसी बड़ी समस्या में होते हैं तो वह अपने आप को अकेला पाते हैं. उस स्थिति में उनकी मानसिक स्थिति इतनी कमजोर हो जाती है. कि वह फैसला लेने में भी सक्षम नहीं होते. ऐसे वक्त में अभिभावक ही उनका सहारा बन सकते हैं.

नंबर नहीं बच्चों के स्किल पर करें फोकस

माता-पिता बच्चों के अधिक नंबर लाने से ज्यादा बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दें. अगर उसका स्किल मजबूत होगा. तो वह अपने भविष्य को संवार सकते हैं. वहीं स्किल ही कमजोर हो तो चाहे कितना ही अच्छे नंबर क्यों नहीं ले आए. वह किसी काम के नहीं है.

शिक्षकों की भी जिम्मेदारी अहम

स्कूल के शिक्षकों की अहम जिम्मेदारी होती है. वह बच्चे पर ज्यादा ध्यान दें. क्योंकि एक शिक्षक सबसे अच्छा जानता है कि उसका विद्यार्थी किस चीज में कमजोर है. अगर शुरू से ही शिक्षक उसका मान मनोबल बढ़ाते हुए उस सब्जेक्ट में तैयारी कराएंगे. बच्चा मनोवैज्ञानिक तौर पर मजबूत होगा.

सबसे अहम बात यह है कि कोई भी एक परीक्षा में सफलता असफलता आपका भविष्य निश्चित नहीं करती है सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू है असफलता यह दर्शाती है कि कहीं ना कहीं हमारी कोशिश में कुछ ना कुछ कमी रह गई और उन्हीं कमियों को देखते हुए अपना आकलन करें और फिर से सफलता की राह पर जुट जाए।

अगर छात्र बोर्ड रिज़ल्ट को लेकर तनाव मे हैं तो पेरेंट्स इन बातों का जरूर रखे ध्यान...

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