छत्तीसगढ़

सी एंड आईटी विभाग के पूर्व प्रमुख ने चुनौतियों पर काबू पाने के लिए किये मंत्र साझा…

हमेशा सकारात्मक रहें और खुद को चुनौती दें: पी के झा

भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मी हो या अधिकारी, चाहे वो किसी भी पायदान पर कार्यरत हो, हमेशा कुछ बेहतर करने हेतु प्रयासरत रहते हैं। रिटायरमेंट के पश्चात भी इनका लगाव अपने विभाग और सहकर्मियों से बना रहता है। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं पी के झा जिनकी बीएसपी में यात्रा 1985 में शुरू हुई थी। वह 1989 में प्लांट के सी एंड आईटी विभाग में शामिल हुए और इसी विभाग में कार्य करते हुए दिसंबर 2022 में उसी विभाग के मुख्य महाप्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। श्री झा अपने अनुभव और विचार साझा करते हुए बताते हैं उनके नेतृत्व में लिए गए कुछ पहल से विभाग और संयंत्र को कैसे लाभ पहुंचा और कैसे अपनी टीम की मदद से उनके सामने आई बड़ी चुनौतियों को दूर किया गया। उन्होंने अभी सेवा में मौजूद कर्मियों को सफलता के कुछ मंत्र भी सुझाए।

पी के झा ने बताया कि वे 1985 में बीएसपी में शामिल हुए और प्लेट मिल में रखरखाव और योजना अनुभाग में काम करते हुए रखरखाव और उत्पादन में आने वाली विभिन्न चुनौतियों तथा उनके समाधान को शार्ट और लॉन्ग टर्म के लिए करीब से समझना अपने आप में काफी समृद्ध बना देने वाला अनुभव था।

1989 में जब ईडीपी (अब सी एंड आईटी) के लिए चुने गये तो वहां कई उभरती प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों के साथ काम करने का मौका मिला। हमने कई पहल किये जिससे यूनिट और कंपनी स्तर पर लागत में कटौती, उच्च दक्षता और सेवा की बेहतर गुणवत्ता में योगदान करने वाली प्रणालियों में बदलाव आया।

पहले कुछ वर्षों के दौरान उन्हें टाउनशिप राजस्व बिलिंग और रसीद संग्रह की मैनुअल और COBOL आधारित प्रणाली को बदलने का काम दिया गया था, जिसे कुछ ही महीनों में ऑनलाइन कर दिया गया था। इसके बाद श्री झा और उनके टीमों द्वारा टाउन सर्विसेज डिपार्टमेंट के लिए कई ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया गए।

एचआरआईएस और पेरोल का एकीकरण : श्री झा कहते हैं कि हम बीएसपी में आरडीबीएमएस में पेरोल प्रणाली विकसित करने वाले पहले थे और बाद में हमने बीआरपी (अब एसआरयू) के लिए भी इसे विकसित किया। एचआरआईएस और पेरोल का एकीकरण और कर्मचारी सेवाएं के लिए ई-सहयोग पोर्टल का विकास एक प्रमुख उपलब्धि साबित हुआ था।

एसएपी (सैप) में ई-टेंडरिंग और ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम, एसआरएम 7 जैसी कई सुधार परियोजनाएं शुरू की गईं। हम सेल में एन्क्रिप्शन और डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करने वाले पहले यूनिट थे। जीएसटी, ई-वेबिल, ई-चालान सहित कई ऐसी अन्य नियमों को लागू किया गया। फिनिशिंग मिलों, यूआरएम, बीआरएम, डब्लूआरएम और एमएम को बेहतर कवरेज के साथ एमईएस के तहत कई सुधार परियोजनाएं भी शुरू की गईं।

ई-नोटशीट ने वास्तव में कार्य संस्कृति को ही बदल दिया : राइट्स द्वारा पेपरलेस प्रमाणीकरण की प्रणाली ने यूआरएम की प्रत्येक 8 घंटे की शिफ्ट में अतिरिक्त 45 मिनट के उत्पादन समय उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कैशलेस लेनदेन को सक्षम करना और नोट तथा अनुमोदनों के लिए कागज रहित कार्य करना ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं। सैप के तहत ई-नोटशीट ने वास्तव में कार्य संस्कृति को ही बदल दिया है। सी एंड आईटी ने ई-नोटशीट के विकास और कार्यान्वयन में अन्य इकाइयों की भी मदद की। कोविड के समय में, सी एंड आईटी ने प्लांट, टाउनशिप और मेडिकल विभाग को सिस्टम आधारित सहायता प्रदान की।

सेल के लिए केंद्रीकृत पेरोल प्रणाली कार्यान्वयन सबसे चुनौतीपूर्ण: श्री झा कहते हैं कि पूरे सेल के लिए केंद्रीकृत पेरोल प्रणाली (सीपीआरएस) का कार्यान्वयन, सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक था। जिसमें, विभिन्न प्लेटफार्मों के तहत 25 अलग-अलग प्रणालियाँ थीं, जिनका रखरखाव और संचालन, विभिन्न स्तर के लोगों द्वारा किया जाता था। बीएसपी शीर्ष प्रबंधन के लगातार समर्थन से सी एंड आईटी टीम ने अप्रैल 2020 में सभी अधिकारियों और कार्मिकों के लिए एक ही बार में सीपीआरएस का संचालन, विकास और कार्यान्वयन किया था।
अब सभी कर्मचारियों का भुगतान बीएसपी वित्त विभाग द्वारा, सी एंड आईटी अनुरक्षित प्रणाली का उपयोग करके ही किया जाता है। सीपीआरएस ने बजट आवंटन के लिए कॉर्पोरेट के वित्त सम्बन्धी कार्य को आसान बना दिया है। विभिन्न एसएपी (सेप) प्रणालियों से डेटा को एकीकृत करते हुए, बीएसपी ने विक्रेता भुगतान क्वेरी पोर्टल विकसित किया, जहां सेल का कोई भी विक्रेता लॉगिन कर सकता है और अपने मोबाइल से किसी भी इकाई को अपनी आपूर्ति भुगतान की स्थिति को देख सकता है।

संगठन में अपने व्यक्तिगत योगदान के बारे में श्री झा कहते हैं कि पिछले कुछ वर्ष चुनौतियों, अवसरों और उपलब्धियों से भरे हुए थे। वे स्वयं को काफी संतुष्ट महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें अपना रोडमैप तैयार करने की पूरी आजादी मिली और परिवर्तन लाने के लिए हर तरफ से मार्गदर्शन, समर्थन और सहयोग मिला।

असफलता का डर न पालें : भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्तमान में समान क्षमताओं में कार्यरत लोगों के लिए कुछ मंत्र सुझाते हुए श्री झा कहते हैं कि यह जरूरी है कि आप अपने ग्राहकों की बात सुनें, उन्हें अपना व्यथा साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें और सुधार के लिए सुझाव मांगें। ग्राहकों को खुश करने के लिए, आउट ऑफ बॉक्स समाधान सहित विभिन्न तरीकों के बारे में सोचें, हमेशा सकारात्मक रहें और खुद को चुनौती दें।

असफलता का डर न पालें और क्यों करें की चिंता करने के बजाय, पूछें कि मैं/हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते ?
विभाग के प्रदर्शन कैसे और सुधारा जा सकता है, इसके बारे में श्री झा कहते हैं कि प्रोत्साहन, विश्वास और समर्थन से हम बड़ा सुधार ला सकते हैं। हमें अपने सहयोगियों को कैलकुलेटेड रिस्क लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और ईमानदारी से प्रयास करने के बाद, असफल होने पर भी उनके साथ खड़े रहें। कई नई पहल करते समय, हमारे अंदर विफलता का डर एक बड़ा अवरोध है।

प्रौद्योगिकी तेजी से बदल रही है और उद्योग (इंडस्ट्री) 4.0 में काफी संभावनाएं हैं। नई चुनौतियों का सामना करने और प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए प्रशिक्षण, कौशल, सहयोग और निवेश की आवश्यकता होती है, जिससे कार्य-जीवन संतुलन काफी अच्छा हो जाता है। हालाँकि इसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है। हमें योगदान करने वालों की सार्वजनिक रूप से सराहना करने और गलतियां होने पर उनसे निजी तौर पर चर्चा करने की आवश्यकता होती है।

भिलाई में रहने का आनंद ही कुछ और है : सेवानिवृत्ति के बाद भिलाई में बस जाने के करण पूछे जाने पर श्री झा कहते हैं कि भिलाई की जलवायु और सामाजिक रूपरेखा अच्छी है। अच्छी और सुविधाजनक चिकित्सा सुविधा, सांस्कृतिक मिश्रण और साथ ही ग्रामीण तथा शहरी स्वादों के मिश्रण का अपना ही आनंद है।

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